भरतपुर जिले का संपूर्ण विवरण
भरतपुर राजस्थान का एक ऐतिहासिक जिला है, जिसे “पूर्वी राजस्थान का प्रवेश द्वार” कहा जाता है। यह जिला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर पक्षी अभयारण्य) के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में दर्ज है। भरतपुर की संस्कृति, इतिहास, और वास्तुकला इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं।
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भौगोलिक स्थिति
- देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 27.216° N, 77.489° E
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 5,066 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर में उत्तर प्रदेश (मथुरा, आगरा)
- दक्षिण में धौलपुर जिला
- पूर्व में उत्तर प्रदेश (अलीगढ़, आगरा)
- पश्चिम में करौली और दौसा जिला
- जलवायु:
- गर्मियों में तापमान 45°C तक और सर्दियों में 5°C तक गिरता है।
- भूभाग:
- भरतपुर जिला बांगर और खादर नामक दो भौगोलिक क्षेत्रों में बंटा हुआ है।
- यहाँ की मिट्टी उपजाऊ और जलवायु कृषि के अनुकूल है।
प्रशासनिक संरचना
- डीग जिला बनने के बाद भरतपुर में:
- 7 उपखंड: भरतपुर, नदबई, उच्चैन, बयाना, वैर, रूपवास, भुसावर।
- 8 तहसीलें: उच्चैन, भरतपुर, बयाना, वैर, भुसावर, रूपवास, रूदावल, नदबई।
- 41 साल में दूसरी बार विभाजन:
- 15 अप्रैल 1982 को धौलपुर अलग हुआ, अब डीग नया जिला बना।
- सीमाएँ:
- राजस्थान के 5 जिले: डीग, अलवर, दौसा, करौली, धौलपुर।
- अंतर्राज्यीय सीमा: उत्तर प्रदेश।
- संभागीय विशेषताएँ:
- सबसे कम लिंगानुपात वाला संभाग।
- तीन राज्यों से सीमा: हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश।
- राजस्थान का सातवाँ संभाग।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- नामकरण: दशरथ पुत्र भरत के नाम पर।
- जाट राजवंश:
- गोकुल: आदिपुरुष।
- चूड़ामन (1688-1722): संस्थापक, “राय बहादुर” की उपाधि।
- बदनसिंह (1722-1756): वास्तविक संस्थापक, 1733 में भरतपुर रियासत की स्थापना, डीग में जलमहलों का निर्माण।
- महाराजा सूरजमल (1756-1763): “जाटों का प्लेटो”, लोहागढ़ दुर्ग व कृष्णविलास महल (डीग) का निर्माण।
- जवाहरसिंह: 1765 में दिल्ली विजय, जवाहर बुर्ज का निर्माण।
- 1948 में मत्स्य राज्य (भरतपुर, अलवर, धौलपुर, करौली) का हिस्सा, 1949 में राजस्थान में विलय।
भौगोलिक एवं आर्थिक महत्व
- उपनाम: “राजस्थान का पूर्वी प्रवेश द्वार”।
- एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र): 2013 में अलवर के बाद शामिल हुआ।
- शुभंकर: सारस।
- प्रमुख नदियाँ: बाणगंगा, गंभीर, रूपारेल।
- कृषि उत्पाद:
- सरसों का तेल (इंजन मार्क)।
- बयाना: नील की खेती के लिए प्रसिद्ध।
- खनिज संसाधन:
- बंशी पहाड़पुर: उत्तम लाल इमारती पत्थर।
पर्यटन एवं सांस्कृतिक धरोहर
प्रमुख स्थल:
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना पक्षी विहार):
- यूनेस्को विश्व धरोहर, शीतकाल में विदेशी पक्षियों का आगमन।
- लोहागढ़ दुर्ग (1733): “अजेय दुर्ग”, जाट शासकों की शक्ति का प्रतीक।
- जवाहर बुर्ज: दिल्ली विजय की स्मृति में निर्मित।
- बयाना दुर्ग (1040 ई.): यादव राजा विजयपाल द्वारा निर्मित।
- उषा मंदिर/मस्जिद (956 ई.): मूलतः हिंदू मंदिर, बाद में मस्जिद में परिवर्तित।
- गंगा मंदिर (1846): महाराजा बलवंत सिंह द्वारा निर्मित।
सांस्कृतिक विरासत:
- बम नृत्य: फाल्गुन माह में बमरसिया गीतों के साथ।
- नौटकी लोकनाट्य: पारंपरिक नाट्य शैली।
- लालदासी सम्प्रदाय: मुख्य पीठ नगला-जहाज में।
अवसंरचना एवं विकास
- जल संसाधन:
- मोती झील: “भरतपुर की जीवनरेखा”, गंभीर व बाणगंगा नदियों का जल।
- अजान बांध: केवलादेव अभयारण्य को जलापूर्ति।
- बंध बारैठा बांध: कुकुन्द नदी पर, सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना।
- औद्योगिक इकाइयाँ:
- सिमको रेल: मालगाड़ी डिब्बे निर्माण।
- प्रथम जैव उर्वरक कारखाना।
- खेल: बालक कुश्ती अकादमी।
प्रमुख युद्ध एवं स्मारक
- बयाना का युद्ध (1527): राणा सांगा vs बाबर, राणा सांगा विजयी।
- खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527, रूपवास):
- राणा सांगा vs बाबर, बाबर की विजय।
- खानवा स्मारक: 24 राजपूत योद्धाओं की शहादत का प्रतीक।
इतिहास और स्थापत्य कला
- 1804 में ब्रिटिश सेना भरतपुर के किले को नहीं जीत सकी, जो इसकी अभेद्य सुरक्षा को दर्शाता है।
- भरतपुर महल और पेशावरिया महल, क्षेत्र की ऐतिहासिक शान का प्रतीक हैं।
- लोहागढ़ किला, जिसकी दीवारें मजबूत लोहे की तरह हैं, आज भी इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।
- प्रसिद्ध जवाहर बाग में स्थित भगवान शिव का मंदिर एवं अन्य पुरातात्विक अवशेष महत्वपूर्ण हैं।
प्राकृतिक एवं कृषि विशेषताएँ
- भरतपुर क्षेत्र में नील की खेती विशेष रूप से प्रसिद्ध थी।
- यहाँ की मिट्टी सरसों की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है, और यहाँ का सरसों का तेल (इंजन तेल) पूरे देश में प्रसिद्ध है।
- खैर के वृक्षों से कत्थे का उत्पादन यहाँ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है।
- यहाँ की बंजर भूमि पर बिचिंगा प्लांट की खेती भी की जाती है।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर
- लालसोटिया संप्रदाय की प्रसिद्ध पीठ नागला भरतपुर में स्थित है, जहाँ 1648 ई. में संत लालसोट जी की मृत्यु हुई थी।
- भरतपुर के समीप बयाना क्षेत्र के मसान (श्रीपुर), श्रीधू, वाणपुर का ऐतिहासिक महत्व है।
- मथुरा से सटा होने के कारण भरतपुर में मूर्तिकला केंद्र भी स्थापित है।
- यहाँ की प्रसिद्ध लांगुरिया लोकगाथा जिसे पहले भूरालाल ने गाया, बाद में इसे गिरिराज प्रसाद ने लोकप्रियता दिलाई।
प्रमुख संस्थान और व्यक्ति
- संत जंगजी महाराज का निवास भी भरतपुर में स्थित है।
- सैनिक स्कूल की स्थापना 1938 में गोपालसिंह यादव की अध्यक्षता में गुलामकादिर चौधरी, मास्टर अब्दुल रहमान के प्रयासों से की गई थी।
- भरतपुर का रेलवे जंक्शन क्षेत्र का प्रमुख परिवहन केंद्र है।