बीकानेर जिला दर्शन (Bikaner Jila Darshan)

By: LM GYAN

On: 5 April 2025

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बीकानेर जिला दर्शन

बीकानेर जिले का संपूर्ण विवरण

बीकानेर, जिसे “रेत के टीलों की नगरी” और “ऊँटो की धरती” कहा जाता है, राजस्थान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला है। यह अपने किलों, महलों, स्वादिष्ट भोजन और ऊँटों के लिए प्रसिद्ध है।

सामान्य जानकारी

  • राष्ट्रीय राजमार्ग: बीकानेर जिले से एन.एच. 11, 62, और 911 गुजरते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सीमा: बीकानेर संभाग राजस्थान में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है और यह राजस्थान का सबसे छोटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाला संभाग है।
  • नदियाँ: यह संभाग राजस्थान में न्यूनतम नदियों वाला संभाग है।

भौगोलिक स्थिति

  • देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 27.4974° N, 72.9795° E
  • कुल क्षेत्रफल: लगभग 30,247 वर्ग किमी
  • सीमाएँ:
    • उत्तर में गंगानगर और हनुमानगढ़
    • दक्षिण में जोधपुर और नागौर
    • पश्चिम में जैसलमेर और पाकिस्तान की सीमा
    • पूर्व में चूरू
  • जलवायु:
    • यह एक शुष्क और अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र है, जहाँ गर्मियों में तापमान 50°C तक और सर्दियों में 2°C तक गिर सकता है।
  • भूभाग:
    • बीकानेर राजस्थान के थार मरुस्थल में स्थित है, जहाँ रेत के बड़े-बड़े टीले पाए जाते हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • राव बीका (1465-1504): राव जोधा का पांचवा पुत्र और बीकानेर राठौड़ वंश का संस्थापक। 1472 में कोडमदेसर में बीका का राज्याभिषेक हुआ।
  • राव लूणकरण (1505-1526): राव बीका के पुत्र, जो दानी शासक के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन्हें कलयुग का कर्ण कहा जाता है।
  • पृथ्वीराज राठौड़: कल्याणमल के पुत्र और अकबर के दरबारी कवि। इन्होंने डिंगल में बेलि क्रिसन रुक्मणी री नामक ग्रंथ लिखा। इन्हें डिंगल का हेरोस कहा जाता है।
  • राव कल्याणमल: बीकानेर का प्रथम राजा, जिसने अकबर की अधीनता स्वीकार की। इन्होंने गिरी सुमेल युद्ध के समय शेरशाह सूरी का साथ दिया।
  • महाराजा रायसिंह (1574-1612): इन्हें राजपूताने का कर्ण कहा जाता है। इन्होंने रायसिंह महोत्सव और ज्योतिष रत्नमाला नामक ग्रंथों की रचना की।
  • महाराजा कर्णसिंह (1631-1669): औरंगजेब ने इन्हें जांगलघर बादशाह की उपाधि दी। इन्होंने औरंगजेब के अभियान को विफल कर दिया।
  • महाराजा अनूपसिंह (1669-1698): इनके काल को बीकानेरी चित्रकला का स्वर्णकाल माना जाता है। इनके समय में उस्ता कला का सर्वाधिक विकास हुआ।
  • महाराजा गंगासिंह (1887-1943): इनके समय में बीकानेर में छपनिया अकाल पड़ा। इन्होंने प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। इन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलन (1930-32) में भाग लिया।

प्रमुख स्थल एवं संरचनाएँ

  • लूणकरणसर: खारे पानी की झील। मूंगफली उत्पादन के कारण इसे राजस्थान का राजकोट कहा जाता है।
  • कतरियासर: जसनाथी सम्प्रदाय का उत्पत्ति स्थल। यहाँ अग्नि नृत्य किया जाता है।
  • लालगढ़: राजा गंगासिंह द्वारा अपने पिता लालसिंह की स्मृति में बनाया गया दुर्ग।
  • पलाना बरसिंगसर: लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत परियोजना स्थित है।
  • कोलायत: सांख्य दर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल की तपोभूमि।
  • मुकाम (नोखा): गुरु जाम्भेश्वर की तपोस्थली (विश्नोई सम्प्रदाय)।
  • वीर बिग्गाजी: जाखड़ समाज के कुलदेवता। इनका जन्म रीड़ी गांव (श्रीडूंगरगढ़) में हुआ था।
  • रम्मत: लोकनाट्य रम्मत का आयोजन बीकानेर में पाटों पर किया जाता है।
  • मथेरण कला: जैन समुदाय से संबंधित मथेरण कला में भित्ति चित्रण किया जाता है।
  • अल्लाहजिलाई बाई: राजस्थान की प्रसिद्ध मांड गायिका। इन्हें राजस्थान की मरू कोकिला कहा जाता है।
  • गवरी बाई: प्रसिद्ध मांड गायिका। 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।

प्राकृतिक एवं वन्यजीव अभयारण्य

  • डाडाथोरा: यहाँ लघु पाषाणकालीन अवशेष मिले हैं।
  • सॉथी: इसे कालीबंगा प्रथम कहते हैं। यहाँ हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं।
  • रानेरी: लिग्नाइट आधारित देश का निजी क्षेत्र का प्रथम बिजली उत्पादन संयंत्र यहाँ स्थापित किया गया है।
  • विसरासर: देश की सबसे बड़ी जिप्सम उत्पादन कंपनी स्थित है।
  • गजनेर वन्यजीव अभयारण्य: गजनेर, बीकानेर में स्थित।

शिक्षा एवं अनुसंधान

  • राष्ट्रीय मरू बागवानी अनुसंधान केन्द्र: बीकानेर में स्थित।
  • केन्द्रीय ऊँट प्रजनन केन्द्र: जोहड़बीड़, बीकानेर में स्थित। 1984 में स्थापित, 1995 में इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय ऊष्ट्र अनुसंधान केंद्र कर दिया गया।
  • बालक साइक्लिंग अकादमी: बीकानेर में स्थित।
  • उरमूल डेयरी / उरमूल ट्रस्ट: 1983 में स्थापित, यह भारत की एकमात्र ऊँटनी के दूध की डेयरी है।
  • राजस्थानी भाषा साहित्य व संस्कृति अकादमी: 1983 में स्थापित, मासिक पत्रिका जागती जोत प्रकाशित करती है।
  • राजस्थान राज्य अभिलेखागार: 1955 में जयपुर में स्थापित, 1960 में बीकानेर स्थानांतरित।
  • महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय: 2003 में स्थापित।
  • राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय: 2010 में स्थापित।
  • सार्दुल स्पोर्ट्स स्कूल: राज्य का पहला स्पोर्ट्स स्कूल।

उद्योग एवं व्यापार

  • एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी: बीकानेर में स्थित।
  • जामसर: जिप्सम की सबसे बड़ी खान।
  • बीकानेरी भुंजिया: बीकानेर का प्रसिद्ध व्यंजन।
  • जैतून तेल रिफाइनरी: लूणकरणसर में स्थापित।
  • नाल एयरपोर्ट: बीकानेर में स्थित।

सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थल

  • करणी माता मंदिर: देशनोक, बीकानेर में स्थित। यह मंदिर चूहों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें काबा कहा जाता है।
  • श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर: राव लूणकरण द्वारा निर्मित।
  • जैन मन्दिर भांडाशाह: राव लूणकरण के समय भांडा शाह द्वारा निर्मित।
  • जूनागढ़ दुर्ग: महाराजा राय सिंह द्वारा 1589-1594 ई. में निर्मित। इसके प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं – गज मंदिर, फूल महल, चन्द्र महल, छत्र महल, अनूप संग्रहालय, रतन निवास, रामसर तालाब आदि।
  • गजनेर पैलेस एवं झील: 1784 ई. में महाराजा गज सिंह द्वारा निर्मित।
  • लालगढ़ पैलेस एवं म्यूजियम: 1902 में महाराजा गंगा सिंह द्वारा निर्मित।
  • श्री करणी माता पैनोरमा: बीकानेर में स्थित।
  • मुकाम – तालवा: विश्नोई सम्प्रदाय की प्रधानपीठ, यहाँ गुरु जम्भेश्वर जी महाराज का समाधि स्थल है।
  • कतरियासर गाँव: जसनाथी संप्रदाय की प्रधानपीठ, यहाँ अग्नि नृत्य किया जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • बीकानेर प्रजामंडल: 1936 में मघाराम वैद्य द्वारा स्थापित।
  • ऊँट महोत्सव: बीकानेर का प्रसिद्ध उत्सव।
  • जूनागढ़ प्रशस्ति: 1594 ई. की यह प्रशस्ति संस्कृत भाषा में बीकानेर शासक रायसिंह द्वारा जूनागढ़ किले में उत्कीर्ण करवाई गई।
  • कोलायत झील: बीकानेर की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील। यहाँ कपिल मुनि का मंदिर स्थित है।
  • अनूपसागर: बीकानेर में स्थित।
  • मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौड़: प्रथम भारतीय जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद व्यक्तिगत रजत पदक जीता।
  • जसनाथ जी: जसनाथी संप्रदाय के संस्थापक। इनका जन्म 1482 ई. में कतरियासर, बीकानेर में हुआ।

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