चित्तौड़गढ़ जिले का संपूर्ण विवरण
चित्तौड़गढ़ राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है, जिसे “वीरों की भूमि” कहा जाता है। यह अपनी शौर्यगाथाओं, किलों, युद्धों और जौहर की परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का चित्तौड़गढ़ किला भारत के सबसे बड़े और प्रसिद्ध किलों में से एक है।
भौगोलिक स्थिति
- देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 24.8887° N, 74.6269° E
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 7,822 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर में भीलवाड़ा जिला
- दक्षिण में प्रतापगढ़ और मंदसौर (मध्य प्रदेश)
- पूर्व में बूंदी और कोटा जिला
- पश्चिम में राजसमंद जिला
- जलवायु:
- गर्मियों में तापमान 45°C तक और सर्दियों में 5°C तक गिर सकता है।
- भूभाग:
- अरावली पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ क्षेत्र।
सामान्य जानकारी
- प्रमुख नदियाँ: बेड़च, गंभीरी, बामणी
- उपनाम:
- राजस्थान का गौरव
- मालवा का प्रवेश द्वार
- सीमेंट नगरी
- राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी प्रवेश द्वार
- शक्ति एवं भक्ति की नगरी
- शुभंकर: चौसिंगा/घंटेल
- आकृति: घोड़े की नाल के समान
- स्थिति: दिल्ली-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-48) पर
- ऊंचाई: समुद्रतल से औसतन 1600 फीट
- खंडित जिला: चित्तौड़गढ़ व रावतभाटा
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- प्राचीन नाम: शिवि एवं नगरी (राजधानी: मध्यमिका)
- संस्थापक: मौर्य राजा चित्रांगद मौर्य ने चित्रकूट (चित्तौड़गढ़) का निर्माण करवाया
- वंश कालक्रम:
- गुहिल वंश:
- 565 ई. में स्थापित (विश्व का सबसे प्राचीन राजवंश)
- राजधानी: नागदा (उदयपुर)
- सिसोदिया वंश:
- बप्पा रावल (734 ई. में चित्तौड़गढ़ पर अधिकार)
- महाराणा कुंभा (विजय स्तंभ का निर्माण)
- रावल रतनसिंह (रानी पद्मिनी का जौहर)
तीन ऐतिहासिक साके
- प्रथम साका (1303 ई.):
- अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण
- रानी पद्मिनी का जौहर (गौरा-बादल का बलिदान)
- दुर्ग का नाम परिवर्तन: खिजाबाद
- द्वितीय साका (1534 ई.):
- गुजरात के बहादुरशाह का आक्रमण
- रानी कर्मावती व जवाहरबाई का जौहर
- रावत बाघसिंह का केसरिया
- तृतीय साका (1568 ई.):
- अकबर का आक्रमण
- फूलकंवर का जौहर
- जयमल राठौड़ व फत्ता सिसोदिया का बलिदान
प्रमुख दुर्ग एवं स्मारक
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग:
- यूनेस्को विश्व धरोहर (21 जून 2013)
- क्षेत्रफल: 13 किमी परिधि (राजस्थान का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट)
- प्रमुख स्थल:
- विजय स्तंभ (1437 ई.)
- कीर्ति स्तंभ (जैन)
- पद्मिनी महल
- कुंभा महल
- फतेह प्रकाश महल
- विजय स्तंभ:
- 9 मंजिला, 122 फीट ऊँचा
- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व राजस्थान पुलिस का प्रतीक
- 15 अगस्त 1949 को डाक टिकट जारी
धार्मिक स्थल
- मंदिर समूह:
- बड़ली के शिव मंदिर (9 मंदिरों का समूह)
- समिद्धेश्वर महादेव/भोज मंदिर
- सूर्य मंदिर (प्रतिहार कालीन)
- मीरा मंदिर (संत रैदास की छतरी सहित)
- आवरी माता मंदिर (लकवा उपचार हेतु)
- तीर्थ स्थल:
- मातृकृण्डिया (राजस्थान का हरिद्वार)
- बांसी दुगारी (तेजाजी का तीर्थ)
औद्योगिक महत्व
- सीमेंट उद्योग:
- निम्बाहेड़ा: राजस्थान का सबसे बड़ा सीमेंट कारखाना
- मंगरोल: सफेद सीमेंट उत्पादन
- खनन एवं धातु:
- चंदेरिया: एशिया का सबसे बड़ा जिंक स्मेल्टर
- अकोला-दरीबा: तांबे के भंडार
- बारोदिया: सिलिका रेत
- अन्य:
- रावतभाटा: भारी जल संयंत्र (अणु नगरी)
- मेवाड़ शुगर मिल्स (1932)
- जींस पार्क (खेरूणा गाँव)
जल संसाधन
- बांध:
- राणा प्रताप सागर बांध (चंबल नदी पर)
- गुढ़ा बांध (मेज नदी पर)
- वरध बांध (हाड़ौती का गोवा)
- जलप्रपात:
- चूलिया जलप्रपात (राजस्थान का सबसे ऊँचा)
सांस्कृतिक विरासत
- कला एवं शिल्प:
- बस्सी: काष्ठ कला (प्रभातजी सुथार)
- अकोला: दाबू प्रिंट (लाल, काला, हरा रंग)
- लोकनृत्य:
- नाहर नृत्य (मांडलगढ़)
- भोपा भैरूनाथ नाटक
वन्यजीव अभयारण्य
- भैंसरोडगढ़ अभयारण्य (1983)
- बस्सी वन्यजीव अभयारण्य (1988)
- चित्तौड़ मृगवन (1969)
शैक्षणिक एवं चिकित्सा
- सीताफल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
- राजस्थान में प्रथम पल्स पोलियो अभियान
पुरातात्विक स्थल
- घोसूण्डी शिलालेख (वैष्णव सम्प्रदाय का प्राचीनतम साक्ष्य)
- रसिया की छतरी का लेख (1274 ई.)
- चित्तौड़गढ़ शिलालेख (1438 ई.)
- मानमौरी का अभिलेख (713 ई.)
विशेष तथ्य
- एकी आंदोलन (1921): मोतीलाल तेजावत द्वारा मातृकृण्डिया से प्रारंभ
- बेंगू किसान आंदोलन (1921): रामनारायण चौधरी के नेतृत्व में
- ऊपरमाल क्षेत्र: भैंसरोडगढ़ से बिजौलिया तक का पठारी भाग
- कजली तीज: भाद्रपद कृष्ण तृतीया को मनाया जाने वाला उत्सव
चित्तौड़गढ़ जिला अपनी वीरगाथाओं, ऐतिहासिक धरोहरों और प्राकृतिक सम्पदा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का चित्तौड़गढ़ दुर्ग (यूनेस्को विश्व धरोहर), विजय स्तंभ और राणा प्रताप सागर बांध पर्यटकों के मुख्य आकर्षण हैं। सीमेंट उद्योग और खनन क्षेत्र में इस जिले का महत्वपूर्ण योगदान है। साथ ही, मीराबाई, महाराणा कुंभा और महाराणा प्रताप से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत इसे राजस्थान का गौरव बनाती है।