डीग जिला दर्शन (Deeg Jila Darshan)

By LM GYAN

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डीग जिला – संपूर्ण विवरण

डीग जिला राजस्थान के भरतपुर संभाग में स्थित है। यह क्षेत्र अपने ऐतिहासिक किलों, जल महलों और मुगलकालीन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह पहले भरतपुर जिले का हिस्सा था, लेकिन 2023 में इसे एक नया जिला बनाया गया।

भौगोलिक स्थिति

  • देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 27.47° N, 77.33° E
  • कुल क्षेत्रफल: लगभग 1,500 वर्ग किमी
  • सीमाएँ:
    • उत्तर और पूर्व में उत्तर प्रदेश (मथुरा, आगरा जिला)
    • दक्षिण में भरतपुर जिला
    • पश्चिम में अलवर जिला
  • जलवायु:
    • गर्मियों में तापमान 47°C तक पहुँच सकता है।
    • सर्दियों में न्यूनतम तापमान 4°C तक गिर सकता है।
  • भूभाग:
    • मैदानी क्षेत्र, कृषि भूमि और ऐतिहासिक झीलों से युक्त।
    • राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित।

उपनाम एवं प्राचीन नाम

  • प्राचीन नाम: दीर्घापुर (स्कंद पुराण में)।
  • उपनाम:
    • जलमहलों की नगरी।
    • फव्वारों की नगरी।
    • 84 कोसी बृज क्षेत्र।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • स्कंद पुराण के अनुसार प्राचीन नाम दीर्घपुर
  • 1722 में: जयपुर नरेश राजा जयसिंह ने ठाकुर बदनसिंह (जाट, सिनसिनवार गौत्र) को डीग का राजा बनाया।
    • सवाई जयसिंह ने बदनसिंह को “ब्रजराज” की उपाधि दी।
  • ठाकुर बदनसिंह के शासनकाल में कुम्हेर, डीग व भरतपुर के किलों का निर्माण।
  • महाराजा सूरजमल (बदनसिंह के उत्तराधिकारी) ने राज्य का विस्तार इटावा, नारनोल, वल्लभनगर तक किया।
  • 1932 में: मेव किसान आंदोलन (मोहम्मद अली की मेव के नेतृत्व में)।

नदियाँ एवं जल संसाधन

  • रूपारेल नदी (लसवारी/वराह नदी):
    • उद्गम: उदयनाथ की पहाड़ियाँ (थानागाजी तहसील, अलवर)।
    • प्रवाह क्षेत्र: अलवर, डीग, भरतपुर।
    • महत्वपूर्ण संरचनाएँ:
      • सीकरी बाँध (डीग)।
      • मोती झील (भरतपुर) – नीलहरित शैवालों के लिए प्रसिद्ध।
      • डीग के जलमहल इसी नदी के किनारे स्थित।
    • सहायक नदी: कुकुंद (बंध बारेठा बाँध, भरतपुर)।
  • गुड़गाँव नहर: जुरहरा तहसील से प्रवेश, राजस्थान-हरियाणा संयुक्त परियोजना।

प्रमुख स्थल एवं स्थापत्य

  1. डीग के जलमहल:
    • निर्माण: 1755–1763 (ठाकुर बदनसिंह व महाराजा सूरजमल द्वारा)।
    • प्रमुख महल:
      • गोपाल भवन (सबसे भव्य)।
      • किशन भवन, नन्द भवन, सूरज भवन, सावन-भादो महल, कुश्ती महल।
    • विशेषताएँ: मुगल शैली के उद्यान, काले संगमरमर का सिंहासन।
  2. डीग का किला:
    • निर्माण: 1730 ई. में महाराजा सूरजमल द्वारा।
    • विशेष: आगरा किले से लूटी गई तोपें यहाँ रखी हैं।
  3. कुम्हेर:
    • प्राचीन नाम: कुबेरपुर।
    • कुम्हेर दुर्ग: भरतपुर शासकों की राजधानी रहा।
    • किशोरी महल: 1754 में सूरजमल ने यहाँ मुगलों को हराया।
  4. कामां:
    • महत्व: ब्रज मण्डल के 12 पवित्र स्थलों में से एक।
    • मंदिर:
      • गोकुल चन्द्र मंदिर (वल्लभ संप्रदाय)।
      • चौरासी खम्भा मंदिर (प्राचीन अवशेष)।

सांस्कृतिक विरासत

  • नौटंकी:
    • जनक: भूरीलाल (डीग)।
    • प्रसिद्ध मण्डली: नत्थराम व गिरीराज प्रसाद (कामां)।
  • बम नृत्य:
    • क्षेत्र: मेवात (डीग, भरतपुर, अलवर)।
    • विशेष: होली पर पुरुषों द्वारा नगाड़े के साथ किया जाता है।
  • मेले एवं उत्सव:
    • ब्रज महोत्सव: फरवरी में होली के अवसर पर।
    • गंगा दशहरा मेला (कामां): ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी।
    • भोजन थाली मेला (कामां): भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा।

मत्स्य संघ का इतिहास

  • गठन: 28 फरवरी 1948 (अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर)।
  • राजधानी: अलवर।
  • प्रमुख व्यक्तित्व:
    • प्रधानमंत्री: शोभाराम कुमावत।
    • राजप्रमुख: उदयभान सिंह (धौलपुर)।
  • राजस्थान में विलय: 15 मई 1949 (5वें चरण में)।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • सफेद संगमरमर: सीकरी व कामां तहसीलों में मूर्तियाँ बनाने का काम।
  • डीग गोलीकांड (1985): भरतपुर के महाराजा मानसिंह की मृत्यु के कारण मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने इस्तीफा दिया।
  • पशु प्रजनन केन्द्र: कुम्हेर (डीग), सूरतगढ़ (गंगानगर), नागौर।
  • डीग युद्ध (1804): मेजर जनरल फ्रेजर vs यशवंतराव होल्कर (जाट-मराठा विजय)।

संक्षिप्त तालिका: डीग के प्रमुख स्थल

स्थलविशेषता
जलमहलगोपाल भवन, सावन-भादो महल, काले संगमरमर का सिंहासन।
कुम्हेरकिशोरी महल, ब्रज यात्रा मेला।
कामांगोकुल चन्द्र मंदिर, चौरासी खम्भा मंदिर।
रूपारेल नदीसीकरी बाँध, मोती झील, डीग के जलमहलों का निर्माण।

LM GYAN

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