डूंगरपुर जिले का संपूर्ण विवरण
डूंगरपुर जिला राजस्थान का एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जिसे “पहाड़ियों का नगर” भी कहा जाता है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, झीलों, महलों और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का झूलता महल, बनेश्वर धाम और गापेश्वर महादेव मंदिर प्रमुख आकर्षण हैं।
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भौगोलिक स्थिति
- देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 23.84° N, 73.71° E
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 3,770 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर में बांसवाड़ा जिला
- दक्षिण में गुजरात राज्य
- पूर्व में प्रतापगढ़ जिला
- पश्चिम में साबरकांठा (गुजरात)
- जलवायु:
- गर्मियों में तापमान 42°C तक और सर्दियों में 5°C तक गिर सकता है।
- भूभाग:
- अरावली पर्वत श्रेणी से घिरा हुआ क्षेत्र।
प्रशासनिक एवं भौगोलिक जानकारी
- नवगठित सीमाएँ:
- सलूंबर, उदयपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ से घिरा
- गुजरात से अंतर्राज्यीय सीमा
- राष्ट्रीय राजमार्ग: NH-927A, NH-48
- प्रमुख नदियाँ:
- माही (मध्य प्रदेश से उद्गम, डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीमा)
- जाखम
- सोम (सोम-कमला-अम्बा परियोजना)
- उपनाम:
- वागड़ क्षेत्र (ऐतिहासिक नाम)
- आदिवासियों का कुम्भ (बेणेश्वर धाम)
- वागड़ का पुष्कर
- शुभंकर: जांधिल (स्थानीय पक्षी)
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- स्थापना: 1358 ई. में महारावल डूंगरसिंह द्वारा
- शासक उपाधि: महारावल
- प्रमुख शासक:
- उदयसिंह (खानवा युद्ध में भागीदार, उदयशाही सिक्के)
- विजयसिंह (एडवर्ड सागर झील निर्माण)
- लक्ष्मणसिंह (राजस्थान एकीकरण के समय शासक)
- विशेष:
- 25 मार्च 1948 को राजस्थान संघ में विलय
- राज्य का सर्वाधिक लिंगानुपात (994) वाला जिला
प्रमुख पर्यटन स्थल
- ऐतिहासिक स्थल:
- जूना महल: 5 मंजिला महल (महारावल वीरसिंह द्वारा)
- एक थंबिया महल: 3 मंजिला शिवालय (गैबसागर तट पर)
- गैबसागर झील: महारावल गोपीनाथ द्वारा निर्मित
- नवलखा बावड़ी: रानी प्रेमलदेवी द्वारा निर्मित
- धार्मिक स्थल:
- बेणेश्वर धाम:
- सोम-माही-जाखम नदियों का संगम
- आदिवासियों का कुम्भ मेला (माघ पूर्णिमा)
- देव सोमनाथ मंदिर:
- 12वीं शताब्दी में निर्मित (बिना चूना-सीमेंट के)
- सिलावटी हस्तकला का उदाहरण
- गलियाकोट:
- दाउदी बोहरा सम्प्रदाय का तीर्थ
- सैयद फखरूद्दीन की मस्जिद
- संत मावजी मंदिर (साबला):
- भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का स्थल
सांस्कृतिक विरासत
- लोक कला:
- गवरी नृत्य: वर्षा ऋतु में किया जाने वाला आदिवासी नृत्य
- रमकड़ा शिल्प: गलियाकोट में सॉफ्ट स्टोन की नक्काशी
- हरे रंग का संगमरमर: स्थानीय विशेषता
- मेले:
- राडरमण: होलिका दहन के बाद आयोजित
- वागड़ महोत्सव: कार्तिक शुक्ल एकादशी को
आर्थिक एवं औद्योगिक महत्व
- जल परियोजनाएँ:
- सोम-कमला-अम्बा परियोजना (1977): आसपुर तहसील में
- भीखाभाई सागवाड़ा परियोजना
- विशेष योजनाएँ:
- आदिवासी महिला सहकारी मिनी बैंक:
- बरबदूनिया गाँव में (देश का पहला)
- अवशीतलन केन्द्र:
- उदयपुर डेयरी संयंत्र के अधीन
प्रमुख व्यक्तित्व
- भोगीलाल पाण्ड्या:
- “वागड़ का गाँधी”
- डूंगरपुर प्रजामण्डल के संस्थापक
- गवरी बाई:
- “वागड़ की मीरा”
- कृष्ण भक्ति कीर्तनकार
- गोविन्द गुरु:
- सम्प सभा (1905) एवं भगत आंदोलन के प्रवर्तक
- डॉ. नगेंद्रसिंह:
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश रहे
पारिस्थितिकी एवं वन्यजीव
- भौगोलिक विशेषता:
- अरावली पहाड़ियों से घिरा
- राज्य में सर्वप्रथम अरब सागर मानसून प्रवेश
- कृषि पद्धति:
- झूमंग कृषि (स्थानान्तरण कृषि)
शैक्षणिक एवं खेल संस्थान
- बालक तीरंदाजी अकादमी:
- खेल प्रशिक्षण हेतु प्रसिद्ध
- पैनोरमा स्थल:
- कालीबाई पैनोरमा (माण्डवा)
- संत मावजी पैनोरमा (बेणेश्वर)
डूंगरपुर जिला अपनी आदिवासी संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहरों और प्राकृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का बेणेश्वर धाम (आदिवासियों का कुम्भ) और देव सोमनाथ मंदिर धार्मिक महत्व के प्रमुख केंद्र हैं। गवरी नृत्य और रमकड़ा शिल्प सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखते हैं। माही नदी परियोजनाओं और महिला सहकारी बैंक जैसी पहलों के माध्यम से यह जिला सामाजिक-आर्थिक विकास का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। राजस्थान के दक्षिणी छोर पर स्थित यह जिला अपने हरे संगमरमर और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है।