गुर्जर-प्रतिहार वंश 2025: भारत के द्वारपाल की महागाथा

By: LM GYAN

On: 11 June 2025

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गुर्जर-प्रतिहार वंश

गुर्जर-प्रतिहार वंश, भारत के इतिहास में एक ऐसा शक्तिशाली राजवंश है, जिसने 6ठी सदी से 11वीं सदी तक उत्तर-पश्चिम भारत को आक्रमणों से बचाकर संस्कृति और शौर्य की मिसाल कायम की। मंडोर, जालोर, कन्नौज, और उज्जैन जैसे क्षेत्रों में फैले इस वंश को भारत का द्वारपाल कहा जाता है, क्योंकि इन्होंने अरब और मुस्लिम आक्रमणों को रोका। 2025 में, जब हम भारतीय इतिहास को खंगालते हैं, गुर्जर-प्रतिहार वंश की वीरता और सांस्कृतिक योगदान आज भी प्रेरणा देते हैं। आओ, इस महागाथा को जीवंत करें!

गुर्जर-प्रतिहार वंश: उदय और उत्पत्ति

गुर्जर-प्रतिहार वंश का उदय 6ठी सदी के द्वितीय चरण में उत्तर-पश्चिम भारत में हुआ। बादामी चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का पहला उल्लेख मिलता है।

  • नाम: चंदेल शिलालेख में गुर्जर-प्रतिहार शब्द, अरब यात्रियों ने जुर्ज या अल गुर्जर कहा।
  • उत्पत्ति:
    • प्रतिहार अभिलेख: स्वयं को लक्ष्मण का वंशज, इक्ष्वाकु कुल का रघुवंशी
    • पृथ्वीराज रासो: आबू पर्वत पर अग्निकुंड से उत्पत्ति।
    • ओझा: सूर्यवंशी
    • टॉड/क्रूक: शक/सिथियन, कनिंघम: कुषाण (यू-ची)
  • शाखाएँ: मुहणोत नैणसी के अनुसार 26 शाखाएँ, जिनमें मंडोर, जालोर, कन्नौज, उज्जैन, भड़ौंच, राजोगढ़ प्रमुख।
  • संस्थापक: हरिश्चन्द्र, ब्राह्मण शासक, ने मंडोर में 6ठी सदी में वंश शुरू किया।
  • महत्व: भारत का द्वारपाल, अरब आक्रमणों को रोका।

मंडोर के गुर्जर-प्रतिहार: प्रारंभिक शौर्य

मंडोर में गुर्जर-प्रतिहार वंश की नींव हरिश्चन्द्र ने रखी, जिन्हें आदिपुरुष कहा जाता है। 861 ई. का घटियाला शिलालेख (कक्कुक द्वारा स्थापित) इस वंश की प्रारंभिक वंशावली बताता है।

  • हरिश्चन्द्र:
    • पत्नी: भद्रा (क्षत्रिय), जिनसे चार पुत्र—भोगभट्ट, कदक, रज्जिल, दद्द
    • काम: चारों पुत्रों ने माण्डव्यपुर (मंडोर) जीता, परकोटा बनवाया।
  • रज्जिल:
    • वंशावली शुरू, मंडोर के आसपास क्षेत्र जीते।
  • नरभट्ट:
    • उपनाम: पेल्लापेल्ली (रणकुशल), रज्जिल का पुत्र।
  • नागभट्ट प्रथम:
    • उपनाम: नाहड़, मेड़ान्तक (मेड़ता) को राजधानी बनाया।
    • पत्नी: जज्जिका देवी, पुत्र—तात, भोज
  • यशोवर्धन: तात का पुत्र, पृथुवर्धन का आक्रमण विफल।
  • शिलूक: यशोवर्धन का पौत्र, देवराज भाटी को हराया।
  • कक्क: मुंगेर में गौड़ धर्मपाल को हराया, वत्सराज का सामंत।
  • बाउक: मयूर राजा को हराया, मंडोर में प्रशस्ति।
  • कक्कुक:
    • विजय: भील, आभीर आक्रमण रोके, रोहिंसकूप, मंडोर में विजय स्तंभ।
    • काम: महाजनों को बसाया, बाजार बनवाया।
  • अंत: 1395 ई. में प्रतिहार हम्मीर से परेशान ईन्दा प्रतिहार शाखा ने चूंडा राठौड़ को मंडोर दहेज में दिया।

जालोर, कन्नौज, उज्जैन के गुर्जर-प्रतिहार: साम्राज्य का विस्तार

मंडोर से निकले गुर्जर-प्रतिहार वंश ने जालोर, कन्नौज, और उज्जैन में रघुवंशी प्रतिहार के रूप में साम्राज्य स्थापित किया।

नागभट्ट प्रथम (730-760 ई.)

  • क्षेत्र: मारवाड़ से भड़ौंच, लाट, जालोर, आबू, मालवा
  • उपलब्धियाँ: अरब और बलूच आक्रमण रोके, द्वारपाल
  • उपनाम: ग्वालियर प्रशस्ति में म्लेच्छों का नाशक, नारायण
  • दरबार: नागावलोक का दरबार
  • महत्व: प्रथम शक्तिशाली शासक, क्षत्रिय-ब्राह्मण

वत्सराज (783-795 ई.)

  • उपनाम: रणहस्तिन, वंश का वास्तविक संस्थापक
  • काम:
    • 778 ई. में उद्योतन सूरी ने कुवलयमाला (प्राकृत) रची।
    • 783 ई. में जिनसेन सूरी ने हरिवंश पुराण
    • ओसियां जैन मंदिर निर्मित।
  • महत्व: त्रिकोणीय संघर्ष (प्रतिहार, पाल, राष्ट्रकूट) शुरू।

नागभट्ट द्वितीय (795-833 ई.)

  • उपलब्धियाँ:
    • उज्जैन, कन्नौज जीता, कन्नौज को राजधानी बनाया।
    • आयुध वंश, पाल वंश को हराया।
  • उपनाम: बुचकला अभिलेख में परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर
  • प्रमाण: ग्वालियर अभिलेख, खुम्माण रासो

मिहिरभोज (836-885 ई.)

  • उपलब्धियाँ:
    • कन्नौज को स्थायी राजधानी।
    • साम्राज्य: हिमालय से बुंदेलखंड, गुजरात से उत्तर प्रदेश
  • उपनाम: आदिवराह (वराह अभिलेख), प्रभास (दौलतपुर अभिलेख)。
  • प्रमाण: सुलेमान (अरब यात्री), कल्हण (राजतरंगिणी)。
  • ग्रंथ: शृंगार प्रकाश, युक्ति कल्पतरु, राज मृगांक
  • महत्व: मुस्लिम शत्रु, शक्तिशाली शासक

महेंद्रपाल प्रथम (885-910 ई.)

  • उपनाम: राजशेखर ने निर्भय नरेंद्र, रघुकुल तिलक
  • काम: काठियावाड़ तक शासन।
  • राजशेखर के ग्रंथ: कर्पूरमंजरी, काव्यमीमांसा, विद्धशालभंजिका, बालभारत
  • महत्व: हिंदू भारत का अंतिम महान सम्राट (बी.एन. पाठक)。

महिपाल प्रथम (914-943 ई.)

  • उपनाम: राजशेखर ने आर्यावर्त का महाराजाधिराज, रघुकुलमुक्तामणि
  • काम: पंजाब के कुलूत, रनठ को हराया (अल मसूदी, 915 ई.)।
  • प्रमाण: कहला अभिलेख, प्रचंड पाण्डव

महेंद्रपाल द्वितीय

  • माता: प्रसाधना देवी
  • उत्तराधिकारी: देवपाल, विनायकपाल द्वितीय, महिपाल द्वितीय, विजयपाल

महिपाल द्वितीय

  • प्रमाण: बयाना अभिलेख, महाराजाधिराज महिपाल देव

राज्यपाल (990-1019 ई.)

  • काम: कन्नौज में 7 किले बनवाए।
  • चुनौती: 1018 ई. में महमूद गजनवी का हमला, जंगल में भागे।
  • अंत: विद्याधर चंदेल ने हराया, मृत्यु।

त्रिलोचनपाल (1019-1027 ई.)

  • राजधानी: बारी (रामगंगा-सरयू संगम)।
  • चुनौती: 1020 ई. में महमूद गजनवी का हमला।

यशपाल (1027-1036 ई.)

  • प्रमाण: कड़ा शिलालेख, दान का उल्लेख।
  • महत्व: अंतिम शासक, 1093 ई. में चन्द्रदेव गहड़वाल ने कन्नौज छीना।

गुर्जर-प्रतिहार वंश: सांस्कृतिक विरासत

गुर्जर-प्रतिहार वंश ने कला, साहित्य, और धर्म में अमर योगदान दिया।

  • निर्माण: ओसियां जैन मंदिर, विजय स्तंभ (रोहिंसकूप, मंडोर)。
  • साहित्य: कुवलयमाला, हरिवंश पुराण, राजशेखर के ग्रंथ।
  • मुद्रा: मिहिरभोज के आदिवराह सिक्के।
  • महत्व: हिंदू-जैन संस्कृति का संरक्षण।

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