Home - कालीबंगा सभ्यता – एक परिचय
कालीबंगा सभ्यता – एक परिचय By LM GYAN
Updated on: 25 April 2025
🏺 कालीबंगा सभ्यता – एक परिचय कालीबंगा, राजस्थान (हनुमानगढ़) में स्थित एक प्रमुख सिन्धु घाटी सभ्यता का स्थल है। सिन्धु घाटी की तीन प्रमुख राजधानियाँ मानी जाती हैं:हड़प्पा (1921) – पाकिस्तान मोहनजोदड़ो (1922) – पाकिस्तान कालीबंगा – भारत (राजस्थान)इतिहासकार दशरथ शर्मा ने कालीबंगा को सिन्धु घाटी की तीसरी राजधानी कहा। यह स्थल घग्घर नदी (सरस्वती नदी का अवशेष) के किनारे बसा था। 🔍 खोज एवं उत्खनन सर्वप्रथम जानकारी: एल. पी. टेसीटोरी (इटली) द्वारा (1887–99) खोज: अमलानंद घोष (1951–52) उत्खनन: ब्रजवासी लाल एवं बालकृष्ण थापर (1961–1969) कालीबंगा संग्रहालय की स्थापना: 1985–86 🌊 भौगोलिक स्थिति और नदी कालीबंगा – हनुमानगढ़ ज़िले में स्थित किनारे: घग्घर नदी (सरस्वती के अवशेष) ऋग्वेद में उल्लेखित तीन नदियाँ:सरस्वती (नदीतमा – श्रेष्ठ नदी)दृषद्वती अपाया 🏛 नगर नियोजन और संरचना नगर दो भागों में विभाजित:पश्चिमी भाग – दुर्गीकृतपूर्वी भाग – अदुर्गीकृत सड़कें समकोण पर काटती थीं – ग्रीड सिस्टम पक्की और ढकी हुई नालियों की व्यवस्था घरों के दरवाज़े मुख्य सड़क पर न खुलकर गली में खुलते थे (जैसे हड़प्पा में) दोहरे परकोटे की सभ्यता – रक्षा प्राचीर से घिरा नगरसड़कें: 5 से 7.2 मीटर चौड़ी; गलियाँ: 1.8 मीटर चौड़ी 🧱 प्रमुख पुरातात्विक अवशेष 5 स्तर प्राप्त – 2 प्राक्-हड़प्पा, 3 हड़प्पा कालीनजुते हुए खेत – एकमात्र स्थल जिससे यह साक्ष्य मिलाअग्निवैदिकाएँ (7) – यज्ञकुण्ड, बलिप्रथा के प्रमाणयुग्म समाधियाँ (दो लोगों की एक साथ कब्र)अण्डाकार कब्रें – चिरायु कब्रेंशवदाह नहीं, शवों को गाड़ते थे , साथ में बर्तन, गहनेभूकंप के साक्ष्य तंदूर जैसे सामूहिक चूल्हे काली मृदपात्र , हरिण चित्र , पशु अलंकृत ईंटें मिट्टी, ताँबे, काँसे की चूड़ियाँ खिलौना गाड़ी , तीर , कुत्ता – पालतु पशु अवतल चक्की, सालन, सिल-बट्टा बेलनाकार मुहरें – मेसोपोटामिया से संबंध दर्शाती हैंशल्य चिकित्सा – बालक की खोपड़ी में 6 छेदस्वास्तिक चिह्न और सिक्के – व्याघ्र व कुमारी देवी चित्र🌾 कृषि और उत्पादन मुख्य फसलें: गेहूँ और जौ दो फसलें एक साथ बोई जाती थीं – समकोण पंक्तियों में कपास को “सिडन” कहा जाता था ✍️ संस्कृति, धर्म और विश्वास मातृदेवी की मूर्तियाँ नहीं मिलीं – यह एक अपवाद हैबलिप्रथा के प्रमाण – जानवरों की हड्डियाँ अग्निकुण्डों मेंपुनर्जन्म में विश्वास – शव के साथ सामग्री रखने से सिद्धकोई मंदिर नहीं मिले – मंदिर परंपरा का अभावलिपि – दायें से बाएं लिखी जाती थी; सर्पाकार/गोमूत्राकार शैलीलिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है 🏙️ आधुनिक प्रभाव जयपुर नगर – कालीबंगा के नगर नियोजन से प्रेरितकालीबंगा को “दीन हीन बस्ती” भी कहा गया – अधिकतर मकान कच्ची ईंटों से बने थे On this website, you will find important subjects about India GK, World GK, and Rajasthan GK that are necessary in all competitive examinations. We also provide test series and courses via our app.
Related Post राजस्थान की ऐतिहासिक घटनाएँ भारत का ऐतिहासिक समय रेखा महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ वर्ष घटना 78 ई. शक संवत का प्रारंभ। 150 ई. प्रथम रुद्रदामन ने पश्चिम राजस्थान को ...
“एपीग्राफी”, या पुरालेखशास्त्र, उत्कीर्ण अभिलेखों का अध्ययन है। पुरालिपिशास्त्र या पेलियोग्राफी अभिलेखों और दूसरे पुराने दस्तावेजों की प्राचीन लिपि का अध्ययन करना है।डॉ. गौरीशंकर होराचन्द ओझा ने भारतीय ...
ताम्र पाषाणिक संस्कृति के राजस्थान में स्थान मानव ने सर्वप्रथम 5 हजार ईसा पूर्व ताँबे की खोज की थी। इस संस्कृति के लोग पत्थर के साथ-साथ ताँबे की ...