मगध का उदय
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- छठी से चौथी शताब्दी ई.पू. में मगध (आधुनिक बिहार) सबसे ताकतवर महाजनपद बन गया।
- इतिहासकारों ने इसके कई कारण बताए:
- मगध की ज़मीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ थी।
- लोहे की खदानें पास में थीं, जिससे हथियार और औज़ार बनाना आसान था।
- जंगलों में हाथी मिलते थे, जो सेना का अहम हिस्सा थे।
- गंगा और उसकी सहायक नदियों से आवागमन सस्ता और सुविधाजनक था।
- जैन और बौद्ध लेखकों ने मगध की कामयाबी का श्रेय शासकों की नीतियों को दिया।
- बिंबिसार, अजातशत्रु, और महापद्मनंद जैसे महत्वाकांक्षी राजाओं और उनके मंत्रियों ने मगध को बुलंदियों पर पहुँचाया।
मगध की राजधानियाँ
- शुरू में राजधानी थी राजगृह (गिरिव्रज), जिसका मतलब “राजाओं का घर”।
- राजगृह पहाड़ियों से घिरा एक किलेबंद शहर था।
- चौथी शताब्दी ई.पू. में पाटलिपुत्र (अब पटना) नई राजधानी बनी, जिसे उदयिन (उदयन) ने बसाया।
- पाटलिपुत्र की लोकेशन गंगा के रास्ते व्यापार और आवागमन के लिए शानदार थी।
- राजधानियों का क्रम:
- गिरिव्रज (वसुमति/कुशाग्रपुर)
- राजगृह (राजगीर)
- पाटलिपुत्र
- मगध के अन्य नाम: बृहद्रथपुरी, मगधपुरी, वसुनगरी।
- आज का मगध: दक्षिणी बिहार, पटना और गया के आसपास।
मगध की खासियत
- मगध में आर्य और अनार्य संस्कृतियों का मेल हुआ, जिससे वर्ण व्यवस्था उतनी सख्त नहीं थी जितनी मध्य देश (उत्तर प्रदेश) में।
- राजाओं ने योग्य मंत्रियों को चुना और मज़बूत प्रशासन बनाया।
- मगध राजनैतिक और धार्मिक एकता के लिए मशहूर था।
- इन सब कारणों ने मिलकर मगध को सबसे शक्तिशाली राज्य बनाया।
मगध के राजवंश
- मगध पर कई वंशों ने राज किया:
- बृहद्रथ वंश: संस्थापक बृहद्रथ।
- हर्यक वंश: संस्थापक भट्टीय, वास्तविक संस्थापक बिंबिसार।
- नाग (शिशुनाग) वंश: संस्थापक शिशुनाग।
- नंद वंश: संस्थापक महापद्मनंद।
- मौर्य वंश: संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य।
1. बृहद्रथ वंश
- संस्थापक: बृहद्रथ, जिसने गिरिव्रज को राजधानी बनाया।
- बृहद्रथ ने “जरा” नाम की राक्षसी की पूजा की, जिसके वरदान से उसे पुत्र जरासंध मिला।
- जरासंध: बृहद्रथ की मृत्यु के बाद राजा बना।
2. हर्यक वंश (544–412 ई.पू.)
- शासक:
- बिंबिसार (544–492 ई.पू.)
- अजातशत्रु (492–459 ई.पू.)
- उदयिन (459–444 ई.पू.)
- अनिरुद्ध (444–437 ई.पू.)
- इस वंश में सबसे ज़्यादा पितृहंता (पिता की हत्या करने वाले) हुए।
- प्रथम पितृहंता: अजातशत्रु (बिंबिसार की हत्या)।
- दूसरा पितृहंता: उदयिन।
- प्रथम शासक: भट्टीय।
- वास्तविक संस्थापक: बिंबिसार।
बिंबिसार
- मगध का पहला ताकतवर राजा, हर्यक कुल का।
- एक साधारण सामंत का बेटा, 15 साल की उम्र में गद्दी पर बैठा।
- बुद्ध से 5 साल छोटा, महावीर और बुद्ध दोनों का समकालीन।
- जैन ग्रंथों में इसे श्रेणिक/श्रोणिक कहा गया।
- जैन धर्म का अनुयायी और बुद्ध का उपासक।
- बौद्धसंघ को करंद वेणु वन दान दिया।
- अंग राज्य जीता, बेटे अजातशत्रु को वहाँ का शासक बनाया।
- 492 ई.पू. में अजातशत्रु ने इसकी हत्या की।
अजातशत्रु
- 491 ई.पू. में पिता बिंबिसार की हत्या कर राजा बना।
- उपनाम: कुणिक।
- कोशल के राजा प्रसेनजित पर हमला किया, लेकिन हारकर कैद हुआ।
- प्रसेनजित की बेटी वाज़ीरा से प्रेम और विवाह के बाद काशी वापस मिली।
- वज्जि संघ (वैशाली) के लिच्छवी राजा चेटक को हराने की योजना बनाई।
- मंत्री वत्सकार का अपमान कर उसे चेटक की शरण लेने भेजा, जिसने लिच्छवियों में फूट डाली।
- 16 साल तक लिच्छवियों से लड़ा, आखिरकार वत्सकार की मदद से जीता।
- काशी और वैशाली को मगध में मिलाया।
- दो हथियार इस्तेमाल किए:
- रथ मूसल: आधुनिक टैंक जैसा।
- महाशिलाकंटक: आधुनिक तोप जैसा।
- महावीर, बुद्ध, और मखलीपुत्र गोसाल को निर्वाण अजातशत्रु के समय मिला।
- 483 ई.पू. में राजगृह की सप्तवर्णी गुफा में पहली बौद्ध संगीति हुई।
- बुद्ध की अस्थियों पर राजगृह की पहाड़ी पर स्तूप बनवाया।
- गंगा और सोन नदियों के संगम पर दुर्ग शुरू किया।
- बेटे उदयिन ने 459 ई.पू. में इसकी हत्या की।
उदयिन (460–444 ई.पू.)
- पिता अजातशत्रु की हत्या कर राजा बना।
- गंगा और सोन के किनारे पाटलिपुत्र (कुसुमपुर) बसाया, इसे राजधानी बनाया।
- उदयिन के समय काशी, अंग, और वज्जि पूरी तरह मगध में मिले।
- हर्यक वंश का आखिरी शासक नागदशक था, जिसे बनारस के राज्यपाल शिशुनाग ने मारकर नाग वंश शुरू किया।
3. शिशुनाग (नाग) वंश (412–344 ई.पू.)
- शासक:
- शिशुनाग
- कालाशोक
- नंदिवर्धन (10 राजा + 9 भाई सामूहिक शासन)
- संस्थापक: शिशुनाग।
- बनारस का राज्यपाल, वैशाली की नगरवधू का बेटा।
- नागदशक की हत्या कर राजा बना।
- यूनानी इतिहासकार कर्टियस के मुताबिक, अग्रसेन नाई ही महापद्मनंद था, जिसने नंद वंश शुरू किया।
- अग्रसेन ने कालाशोक के 10 बेटों को रानी की मदद से मारा।
4. नंद वंश (344–322/323 ई.पू.)
- संस्थापक: महापद्मनंद (उग्रसेन/अग्रसेन)।
- बौद्ध, जैन ग्रंथों में इसे अग्रसेन, महाबोधिवंश में उग्रसेन कहा गया।
- महापद्मनंद:
- क्षत्रियों को खत्म करने की कसम खाई, इसलिए “सर्वक्षत्रान्तक” और “सर्वक्षायन्तक” कहलाया।
- यूनानी और जैन स्रोतों के मुताबिक नाई था।
- इक्ष्वाकु, काशी, कौशल, पांचाल को जीतकर मगध में मिलाया।
- मैसूर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से (कुन्तल) पर भी राज किया।
- मगध में “एकराट” (एकछत्र शासक) का खिताब पाने वाला पहला राजा।
- “नवानंद दोहरा” नाम का शहर बसाया।
- कुल 9 शासक, जिन्हें “नवानंद” या “नवभातरौ” कहा गया।
- पहला शासक: महापد्मनंद, आखिरी: घनानंद।
- बीच के शासकों का इतिहास अज्ञात।
- घनानंद:
- अकूत दौलत का मालिक।
- यूनानी लेखकों ने इसे “अग्रमीज” कहा।
- मगध का विस्तार गंगा, यमुना से व्यास नदी तक।
- नंदों के अत्याचारों का ज़िक्र मुद्राराक्षस (विशाखदत्त) में।
- मुद्राराक्षस में नंदों को “क्षत्रिय” कहा गया, जो इकलौता ऐसा ग्रंथ है।
- 322 ई.पू. में चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य और घनानंद के मंत्रियों के साथ मिलकर घनानंद को मारा।
- नंद शासक जैन धर्म के अनुयायी थे (मुद्राराक्षस)।
- नंद वंश के खात्मे के बाद मौर्य साम्राज्य की नींव पड़ी।