वर्ष | घटना |
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78 ई. | शक संवत का प्रारंभ। |
150 ई. | प्रथम रुद्रदामन ने पश्चिम राजस्थान को जीता। |
566 ई. | मेवाड़ में गुहिल द्वारा राज्य स्थापित किया गया। |
622 ई. | हिजरी सन् का प्रारंभ। |
647 ई. | हर्षवर्धन की मृत्यु। |
728 ई. | bप्पा रावल ने मौर्य राजा से चित्तौड़ का राज्य छीना। |
731 ई. | अरबों का राजस्थान से सीधा संघर्ष प्रारंभ। |
731 ई. | तन्नोट (जैसलमेर) का किला बना। |
736 ई. | गुर्जर राज्य की समाप्ति पर चौहान राजस्थान के शासक बने। |
738 ई. | प्रतिहारों ने अपनी राजधानी भीनमाल के स्थान पर जालौर बनाई। |
755 ई. | bप्पा रावल ने कुकुटेश्वर से चित्तौड़ को जीता। |
836 ई. | मिहिरभोज का राज्यारोहण। |
943 ई. | सांभर के लक्ष्मण चौहान ने नाडोल पर हमला कर स्वतंत्र राज्य स्थापित किया। |
944 ई. | सपादलक्ष के चौहानों ने रणथम्भौर दुर्ग का निर्माण करवाया। |
947 ई. | रामसिंह ने टोंकरा (वर्तमान टोंक) बसाया। |
956 ई. | सिंहराज प्रथम ने शेखावाटी में हर्षनाथ पहाड़ पर शिव मंदिर बनाया। |
972 ई. | मालवा के परमार भुंज वाक्पति ने चित्तौड़ पर कब्जा किया। |
973 ई. | चौहानो प्रतिहारों से स्वतंत्र हुए। मालवा के भुंज परमार ने आहड़ को नष्ट किया। गुजरात के राष्ट्रकूटों का शासन समाप्त। |
991 ई. | जयपाल ने मुसलमानों के आक्रमण के विरूद्ध सांभर कालिंजर और कन्नौज के राजाओं का संघ बनवाया। |
1008 ई. | आनन्दपाल ने महमूद के खिलाफ उज्जैन, ग्वालियर कालिंजर और कन्नौज दिल्ली तथा सांभर के राजाओं का संघ बनाया। |
1013 ई. | लोकदेवता तेजाजी जाट की मृत्यु। |
1024 ई. | महमूद गजनवी ने अजमेर पर आक्रमण किया और गढ़ बीठढी पर घेरा डाला लेकिन घायल हो जाने पर वह घेरा उछाकर अन्हीलवाड़ा चला गया। |
अक्टूबर, 1024 | महमूद गजनवी सोमनाथ पर आक्रमण करने के लिए खाना हुआ। |
1026 ई. | महमूद गजनवी ने वाराह (जैसलमेर) पर हमला किया। |
1031 ई. | विमल शाह ने आबू पहाड़ पर आदिनाथ जैन मंदिर की स्थापना करवाई। |
1040 ई. | यादव विजयपाल ने मथुरा से अपनी राजधानी हटा कर विजय मंदिर गढ़ में स्थापित की। जिसे अब बयाना गढ़ के नाम से जाना जाता है। |
1042 ई. | बसन्तगढ़ (सिरोही) को परमार नरेश पूर्णपाल ने अपनी राजधानी बनाया। |
1113 ई. | चौहान अजयराज ने अजमेर नगर बसाया। |
1119 ई. | मुहम्मद बाहलीम ने नागौर का किला बनवाया। |
1137 ई. | अर्णोराज ने मुसलमान आक्रमणकारियों को हराकर युद्ध स्थल पर आनासागर झील (अजमेर) का निर्माण करवाया। |
1137 ई. | दुल्हेराय ने बड़गुर्जरों को हराकर दौसा पर कब्जा किया और ढुंढाड़ राज्य की स्थापना की। |
1151 ई. | अजमेर के विग्रहराज-IV ने चित्तौड़ पर कब्जा कर मेवाड़ का कुछ हिस्सा अपने राज्य में मिलाया। |
1152 ई. | बीसलदेव (IV-विग्रहराज) ने अपने पितृहन्ता भाई जगदेव को पराजित कर अजमेर की गद्दी प्राप्त की। |
1153 ई. | बीसलदेव बिस्सी की जीतकर भारत का प्रथम चौहान सम्राट बना। |
1155 ई. | राव जैसल द्वारा जैसलमेर दुर्ग की स्थापना। |
1158 ई. | यादव तवनपाल ने बयाना से 15 मील दूर तवनगढ़ बसाया। |
1164 ई. | विग्रहराज चौहान ने शिवलिंग स्तम्भ नामक शिलालेख दिल्ली में खुदवाया। |
1175 ई. | गुहिलवंशीय सामन्त सिंह ने बागड़ पर अधिकार किया। |
1178 ई. | आबू के परमार नरेश धारावर्ष ने मुहम्मद गौरी को हराया। मोहम्मद गौरी ने नाडोल तथा किराडू को लूटा। |
1187 ई. | पृथ्वीराज तृतीय ने गुजरात पर आक्रमण किया एवं आबू के परमार शासक धारावर्ष को हराया। |
1190 ई. | जयानक ने अजमेर में पृथ्वीराज विजय नामक प्रसिद्ध महाकाव्य की रचना की। |
1191 ई. | पृथ्वीराज-III ने थानेश्वर के निकट तरावडी मैदान मोहम्मद गौरी को प्रथम बार हराया। (तराईन का प्रथम युद्ध) |
1192 ई. | तराईन का दूसरा युद्ध (तराईन-II युद्ध) जिसमें पृथ्वीराज मोहम्मद गौरी से हारा, मारा गया। |
1192 ई. | कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर तथा मेरठ के विद्रोह को दबाया। |
1193 ई. | हरिराज ने दिल्ली पर आक्रमण किया। |
1194 ई. | कन्नोज का जयचंद मोहम्मद गौरी से इटावा के पास चंदावर में मारा गया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर पर पुनः कब्जा कर उस स्वतंत्र राज्य को समाप्त किया। |
1195 ई. | ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेर आया। |
1196 ई. | कुतुबुद्दीन अन्हिलवाडा पर आक्रमण करने के लिए रवाना हुआ लेकिन मेरो तथा राजपूतों द्वारा रोक दिया गया। |
1197 ई. | मोहम्मद गौरी द्वारा तवनगढ़ व बयाना पर कब्जा। |
1206-1210 ई. | अढ़ाई दिन के झोपड़े का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा करवाया गया। |
1210 ई. | लाहौर में चौगान (पोलो) खेलते समय कुतुबुद्दीन की मृत्यु। |
1226 ई. | दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने रणथम्भौर पर कब्जा किया इसके पश्चात् उसने बयाना, अजमेर, नागौर, जालौर पर भी कब्जा किया। |
1230 ई. | तेजपाल ने नेमीनाथ (लुणवसाही) मंदिर का निर्माण आबू पर्वत पर करवाया। |
1234 ई. | मेवाड़ के राणा जैत्रसिंह ने शम्शुद्दीन इल्तुतमिश को हराया। |
1236 ई. | ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु। |
1237 ई. | मेवाड़ राणा समर सिंह ने तुर्कों को हराया। |
1240 ई. | राव सीहा पाली आया। |
1245 ई. | दिल्ली में सुल्तान का भाई जलालुद्दीन अपनी जान बचाने के लिए चित्तौड़ की पहाड़ियों में आ छुपा। |
1246 ई. | बाहड़देव परमार ने बारड़मेर (वर्तमान बाड़मेर) बसाया। |
1248 ई. | बलबन (उलुग खाँ) ने रणथम्भौर, बूँदी, चित्तौड़ पर हमला किया, तथा यहाँ से काफी धन माल ले गया। |
1252 ई. | नसीरुद्दीन महमूद ने बयाना विजय की। |
1258 ई. | उलुग खाँ (बलबन) ने रणथम्भौर व मेवात पर आक्रमण किया। |
11 जुलाई 1301 | रणथम्भौर पर अलाउद्दीन खिलजी का अधिकार। |
26 अगस्त, 1303 | अलाउद्दीन खिलजी द्वारा चित्तौड़ विजय अपने पुत्र खिज्र खाँ को चित्तौड़ का हाकिम नियुक्त किया। |
9 नवंबर, 1308 | सिवाणा का साललदेव मारा गया, सिवाणा पर अलाउद्दीन का कब्जा। |
1311-1312 | 9 मई, अलाउद्दीन ने जालौर पर अधिकार किया। |
1316 ई. | जैसलमेर पर अलाउद्दीन की विजय। |
1326 ई. | हम्मीर सिसोदिया ने चित्तौड़ पर अधिकार किया। |
1330 ई. | रावघड़सी ने घडसिया तालाब (जैसलमेर) बनवाया। |
1341 ई. | बम्बावदा के राव देवा ने जैता मीणा से बूंदी जीता। |
21 मार्च, 1352 | रामदेव का जन्म। |
1354 ई. | राव नरसिंह ने तारागढ़ (बूंदी) का दुर्ग बनवाया। |
1358 ई. | डूंगरसिंह ने डुंगरपुर बसाया। |
1362 ई. | रावल मल्लीनाथ का जन्म। |
1364 ई. | क्षेत्रसिंह मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठा। |
1382 ई. | मेवाड़ के राणा लाखा का राज्याभिषेक। |
1383 ई. | राजपूतों व चारणों की देवी करणी का जन्म। |
1385 ई. | रामदेव ने समाधि ली। |
1394 ई. | वीरम के पुत्र चूंडा की सहायता से ईन्द्रा प्रतिहार ने मण्डोर पर कब्जा किया तथा उसे चूंडा राठौड़ को दे दिया। |
1398 ई. | मेवाड के चूडा ने राजगद्दी से अपना अधिकार छोड़ा। |
1399 ई. | चूंडा राठौड़ ने अजमेर पर कब्जा किया। |
1405 ई. | शिवभाण देवडा ने शिवपुरी (पुराना सिरोही) शहर बसाया। |
1423 ई. | सितम्बर 27, मालवा के होशांगशाह ने 15 दिन के घेरे के बाद गागरोन गढ़ पर कब्जा किया तथा अचलदास खींची मारा गया। |
1425 ई. | सहसमल देवड़ा ने चंद्रावती के स्थान पर सिरोही नगर बसाया। |
1426 ई. | रणमल राठौड़ की सेना ने जैतारण व सोजत पर अधिकार किया। |
1433 ई. | राणा मोकल अहमदाबाद के सुलतान के विरुद्ध लड़ते हुए मारा गया। |
1440 ई. | रणकपुर में त्रिलोक्य दीपक मंदिर की प्रतिष्ठा हुई। |
1443 ई. | अप्रैल, 26, महाराणा कुम्भा तथा मालवा के सुल्तान महमूदशाह खिलजी के बीच कुम्भलगढ़ के निकट युद्ध। |
1444 ई. | मालवा के महमूद ने गागरोन पर कब्जा किया। |
2 फरवरी, 1449 | महाराणा कुम्भा का कीर्तिस्तम्भ बनकर पूर्ण। |
1450 ई. | कायम खाँ ने राजपूतों के राज्य को जीतकर नपा राज्य स्थापित किया। |
1451 ई. | बिश्नोई मत के प्रवर्तक जांभाजी का पीपासर में जन्म। |
1453 ई. | महाराणा कुंभा ने अचलगढ़ दुर्ग की प्रतिष्ठा कराई। |
1455 ई. | मालवा के सुल्तान महमूद ने अजमेर पर कब्जा किया। |
1456 ई. | महाराणा कुम्भा ने गुजरात की सेना को हराकर नागौर जीता। |
1458 ई. | कुम्भलगढ़ की प्रतिष्ठा। |
1458 ई. | राव जोधा का राज्याभिषेक। |
1459 ई. | राव जोधा द्वारा जोधपुर नगर बसाया गया। |
1460 ई. | मंडोर की चामुण्डा की मूर्ति जोधपुर के किले में स्थापित की गई। |
1465 ई. | राव जोधा का पुत्र बीका, अपने चाचा कांथल के साथ जांगल प्रदेश गया। |
1472 ई. | राव बीका ने कोडमदेसर में राजधानी स्थापित की। |
1478 ई. | वल्लभ सम्प्रदाय के संस्थापक श्री वल्लभाचार्य तैलंग का जन्म। |
1478 ई. | राव बीका का भाटियों से युद्ध। |
12 अप्रेल, 1482 | महाराणा संग्राम सिंह का जन्म। |
1483 ई. | राजस्थान में घोर अकाल। |
12 अप्रैल, 1488 | राव बीका ने बीकानेर नगर बसाया। |
1492 ई. | जोधपुर नरेश सातल का कोसाणा के पास अजमेर के मल्लू खां के पास युद्ध हुआ। |
1498 ई. | 12 जुलाई मीराबाई का जन्म। |
1503 ई. | मालवा के नासिर शाह ने मेवाड़ पर चढ़ाई की। |
1508 ई. | महाराणा संग्राम सिंह मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठा। |
1516 ई. | महाराणा सांगा के ज्येष्ठ कुंवर भोजराज का मीरा बाई से विवाह हुआ। |
1516 ई. | सिकन्दर लोदी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया लेकिन वह असफल होकर लौट गया। |
1517 ई. | दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी व मेवाड़ के महाराणा सांगा के बीच बूंदी के निकट खातौली का युद्ध हुआ। |
1517 ई. | खातौली (कोटा) के युद्ध में महाराणा सांगा ने इब्राहीम लोदी को हराकर बूंदी राज्य जीता। |
1527 ई. | बिश्नोई धर्म के प्रवर्तक जाम्भोजी की तालवा गाँव (बीकानेर) में मृत्यु। |
17 मार्च, 1527 | महाराणा सांगा व बाबर के बीच खानवा के मैदान में युद्ध हुआ। |
20 मई, 1528 | माण्डलगढ़ में महाराणा सांगा की मृत्यु। |
1532 ई. | मालदेव मारवाड़ की राजगद्दी पर बैठा। |
1535 ई. | मेवाड़ की राजमाता कर्मावती ने बहादुरशाह के 8 मार्च आक्रमण पर 13000 स्त्रियों के साथ जौहर किया। |
25 अप्रैल, 1535 | चित्तौड़ पर वापस सिसोदियों का कब्जा। |
1536 ई. | मालदेव ने नागौर के खानजादे पर चढ़ाई कर नागौर पर कब्जा किया। |
1540 ई. | महाराणा प्रताप का जन्म। |
16 जुलाई, 1541 | राव चंद्रसेन राठौड़ का जन्म। |
5 जनवरी, 1544 | रावल मालदेव और शेरशाह की सेनाओं के बीच गिरीसुमेल का युद्ध हुआ। |
जून, 1545 | मालदेव ने पुनः जोधपुर पर अधिकार किया। |
1549 ई. | राजस्थान के प्रसिद्ध कवि पृथ्वीराज का जन्म। |
1556 ई. | जोधपुर नरेश मालदेव की सेना अजमेर के सूबेदार हाजी खाँ की सेना से हारी। |
24 जनवरी, 1557 | हरमाड़ा के युद्ध में मालदेव और हाजी खाँ की सम्मिलित सेना ने राणा उदय सिंह व उसके सहायक मेड़ता के जयमल को पराजित किया। |
1559 ई. | महाराणा उदयसिंह ने उदयपुर बसाया। |
1560 ई. | वल्लभ सम्प्रदाय के वल्लभाचार्य की मृत्यु। |
1562 ई. | जनवरी 20, भारमल ने अकबर की अधीनता उसके सांगानेर के पड़ाव पर स्वीकार की। |
6 फरवरी 1562 | आमेर की भारमल की पुत्री हरखा बाई (मरियम उज्जमानी) का विवाह अकबर से हुआ। |
10 फरवरी 1562 | आमेर के भगवंत दास व मानसिंह की मुगल दरबार में नियुक्ति। |
10 नवम्बर 1562 | मारवाड़ के मालदेव की मृत्यु। |
1564 ई. | अकबर ने हिन्दुओं पर से जजिया कर हराया। |
1565 ई. | जोधपुर पर मुगलों का अधिकार। |
25 फरवरी 1568 | चित्तौड़ का तीसरा साका। |
2 मार्च, 1568 | मीरां बाई की मृत्यु। |
5 नवम्बर, 1570 | अकबर का नागौर दरबार आयोजित। |
1571 ई. | अकबर द्वारा अजमेर की चारदीवारी तथा अपने निवास के लिए महल बनवाया। |
28 फरवरी 1572 | महाराणा प्रताप की गोगुन्दा में राजगद्दी। |
18 जून 1576 | महाराणा प्रताप तथा कछवाह राजा मानसिंह (मुगल सेनापति) के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ। |
3 अप्रेल 1578 | शाहबाज खाँ ने कुंभलगढ़ पर कब्जा किया। |
4 अप्रैल, 1578 | शाहबाज खाँ ने उदयपुर पर कब्जा किया। |
1580 ई. | बादशाह अकबर द्वारा जोधपुर पर पूर्ण कब्जा। |
1581 ई. | राव चन्द्रसेन की मृत्यु। |
1582 ई. | महाराजा रायसिंह ने बीजा देवड़ा से सिरोही छीनकर आधा भाग राव सुरतान को दे दिया। |
1583 ई. | सिरोही के देवड़ा सुरतान ने सिसोदिया जगमाल पर दत्ताणी गाँव में आक्रमण किया। |
1583 ई. | बादशाह अकबर ने जोधपुर के राव मालदेव की पौत्री तथा आमेर के भगवंत दास के चचेरे भाई जयमल कच्छवाहा की पत्नी को सती होने से रोका। |
1585 ई. | आमेर के भगवान दास की पुत्री मानबाई का शहजादा सलीम के साथ लाहौर में विवाह हुआ। |
1586 ई. | महाराणा प्रताप ने चावण्ड को अपनी राजधानी बनाया। |
1589 ई. | बीकानेर के राय सिंह ने बीकानेर के किले का शिलान्यास किया। |
1593 ई. | तिलराज में पशुमेला भरना आरंभ हुआ। |
19 जनवरी 1597 | महाराणा प्रताप की मृत्यु। |
1600 ई. | महाराज रायसिंह को नागौर जागीर में दिया। |
1603 ई. | नरायणा (जयपुर) में संत दादू की मृत्यु। |
1606 ई. | जोधपुर नगर के बाहर महाराज सूर सिंह ने सूर सागर तालाब बनवाया। |
1612 ई. | कृष्ण सिंह राठौड़ ने किशनगढ़ नगर बसाया। |
1614 ई. | आमेर के मिर्जा राजा मानसिंह का देहांत। |
5 फरवरी 1615 | महाराणा अमर सिंह शहजादा खुर्रम से गोगुन्दा में मिला। |
16 फरवरी 1615 | उदयपुर का कुँवर कर्ण सिंह बादशाह जहाँगीर के दरबार में उपस्थित हुआ। |
1616 ई. | सर जेम्स का राजदूत टामस रो अजमेर में जहाँगीर के दरबार में संधि हेतु पहुँचा। |
1621 ई. | बादशाह जहाँगीर ने गजसिंह को दलथम्भन की पदवी तथा जालौर का परगना मनसब की जागीर में दिया। |
1625 ई. | बूंदी के राव रतन को बादशाह ने 5 हजारी जात व 5 सवार का मनसब दिया। |
1627 ई. | बादशाह ने माधोसिंह को कोटा का स्वतंत्र शासक नियुक्त किया। |
1630 ई. | जोधपुर नरेश गजसिंह को बादशाह जहाँगीर ने महाराज की पदवी दी। |
1633 ई. | बादशाह ने सेना भेजकर देवलिया (प्रतापगढ़) वर महारावल का कब्जा करवाया। |
1637 ई. | शाहजहाँ ने अजमेर की आना सागर झील पर बारहदरिया बनवाई। |
1638 ई. | राठौड दुर्गादास का जन्म। |
1639 ई. | आमेर नरेश जयसिंह को बादशाह ने मिर्जा राजा की पदवी दी। |
1644 ई. | बीकानेर व नागौर के शासकों की सेना के बीच मतीरे के राड़ की लड़ाई हुई। |
1649 ई. | मिर्जा राजा जयसिंह की मनसब में पाँच हजार जात व पाँच हजार सवार किये गये। |
1652 ई. | उदयपुर में जयसिंह प्रथम ने जगदीश मंदिर का निर्माण पूर्ण करवाया। |
1654 ई. | जोधपुर नरेश जसवंत सिंह को मनसब में 6000 जात व 6000 सवार दिया गया। |
1657 ई. | जोधपुर नरेश जसवंत सिंह का मनसब 7000 जात व 7000 सवार किया गया। |
16 अप्रैल 1658 | धरमत के युद्ध में दारा की सेना हारी। |
29 मई 1658 | बूंदी का राव शत्रुशाल सिंह सामूगढ़ के युद्ध में मारा गया। |
15 जनवरी 1659 | जोधपुर नरेश जसवंत सिंह खजुवाह का युद्ध प्रारंभ होने के पूर्व ही शाह शूजा के इशारे पर औरंगजेब की सेना में लूटमार कर मारवाड़ चला गया। |
14 मार्च, 1659 | औरंगजेब व दारा शिकोह के बीच दोराई (अजमेर) का युद्ध। |
1660 ई. | महाराणा राजसिंह का किशनगढ़ की राजकुमारी से विवाह। |
1662 ई. | राजसमुद्र (राजसमंद झील) निर्माण प्रारंभ। |
1663 ई. | जसवंत सिंह की हाड़ी रानी में राई का बाग बनवा कर हाड़ीपुर बसाया। |
1664 ई. | औरंगजेब ने मिर्जा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए नियुक्त किया। |
1665 ई. | औरंगजेब ने आदेश जारी किया कि भविष्य में बाहर से लाए जाने वाले माल पर चुंगी मुसलमानों से ढाई प्रतिशत तथा हिन्दुओं से 5% वसूली जायेगी। |
11 जून 1665 | शिवाजी ने मिर्जा राजा जयसिंह से पुरन्दर की संधि की। |
1667 ई. | आमेर के मिर्जा राजा जयसिंह की बुरहानपुर में मृत्यु। |
1669 ई. | मथुराधीश की प्रतिमा बूँदी लाई गई। |
1670 ई. | राजसमन्द झील का निर्माण कार्य पूर्ण। |
1671 ई. | कल्याणसिंह नरुका को माचेड़ी (अलवर) की जागीर आमेर नरेश रामसिंह ने दी। |
1672 ई. | नाथद्वारा में गोवर्धन नाथ की मूर्ति स्थापित। |
1676 ई. | बांसवाड़ा का फरमान महारावल कुशल सिंह के नाम पर। |
1678 ई. | अनूप सिंह ने अनूपगढ़ का निर्माण कराया। |
1679 ई. | बादशाह ने सेना जोधपुर पर कब्जा करने के लिए भेजी। |
1680 ई. | मुगल सेना ने देबारी (मेवाड़) पर अधिकार किया। |
1681 ई. | मुहम्मद अकबर ने देसूरी में औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह कर अपने आपको बादशाह घोषित कर दिया। |
1688 ई. | सवाई जयसिंह का जन्म। |
1690 ई. | बादशाह ने उदयपुर के महाराणा को उससे लिए पुर तथा बदनोर के परगने वापस दे दिये। |
1706 ई. | बूंदी का जोधसिंह हाड़ा गणगौर की प्रतिमा सहित तालाब में डूबा। |
1707 ई. | महाराज अजीत सिंह ने जोधपुर दुर्ग में प्रवेश किया। |
1708 ई. | बादशाह आमेर पहुँचा तथा आमेर का नाम मोमीनाबाद (बहादुर शाह) रखा। |
1710 ई. | बादशाह ने जोधपुर नरेश अजीत सिंह को 4000 जगत व 4000 सवार का मनसब दिया। |
1712 ई. | बादशाह जहाँदार शाह ने जजिया कर बंद करने की घोषणा की। |
1713 ई. | जोधपुर नरेश अजीत सिंह ने अजमेर पर अधिकार कर लिया। |
1714 ई. | जोधपुर नरेश अजीत सिंह को गुजरात का सूबेदार नियुक्त करने का फरमान भेजा। |
1718 ई. | चूड़ामन अपने भतीजे के साथ दिल्ली बादशाह से समझौता करने गया। |
1719 ई. | जजिया कर बंद कर दिया गया। |
1720 ई. | कोटा के महाराव भीम सिंह ने बूंदी पर अधिकार किया। |
1721 ई. | बादशाह ने आमेर नरेश जयसिंह को ‘सरमहाराज’ की उपाधि दी। |
1727 ई. | जयपुर नगर की नींव सवाई जयसिंह ने रखी। |
1730 ई. | जोधपुर के पास खेजड़ली गाँव में हरे वृक्षों को बचाने के लिए 363 स्त्री पुरुषों ने बलिदान दिया। |
1733 ई. | सवाई जयसिंह का मराठों से मन्दसौर के पास युद्ध हुआ। |
1734 ई. | मराठों का मुकाबला करने के लिए मेवाड़ की सीमा पर सम्मेलन। |
1735 ई. | मराठों ने सांभर को लूटा। |
1736 ई. | पेशवा चौथ वसूलने के उद्देश्य से उदयपुर पहुँचा। |
1741 ई. | जोधपुर नरेश अभयसिंह तथा उसके भाई बख्तसिंह द्वारा युद्ध हुआ। |
1743 ई. | जयपुर नरेश सवाई जयसिंह की मृत्यु। |
1744 ई. | कोटा का बूंदी पर कब्जा। |
1745 ई. | बूंदी नरेश उम्मेदसिंह ने जयपुर की सेना को हराया। |
1748 ई. | जयपुर नरेश ईश्वरी सिंह व अहमदशाही अब्दाली के बीच युद्ध। |
1750 ई. | बख्त सिंह व रामसिंह की सेना के बीच युद्ध। |
1751 ई. | जयपुर ने मराठों के विरुद्ध दंगे। |
1752 ई. | बादशाह अहमद शाह द्वारा भरतपुर का राजा। |
1754 ई. | गंगारडा के युद्ध में जोधपुर नरेश विजयसिंह, बीकानेर नरेश गजसिंह व किशनगढ़ नरेश बहादुर सिंह। |
1755 ई. | विजय सिंह ने मराठों से संधि की। |
1759 ई. | रणथम्भौर के किले पर कब्जा करने के लिए कांकोड़ के मैदान में युद्ध। |
1760 ई. | अहमदशाह अब्दाली ने डीग के चौफेर घेरा डाला। |
1761 ई. | भरतपुर नरेश सूरजमल ने आगरा नगर व किले पर कब्जा किया। |
1763 ई. | भरतपुर महाराज सुरजमल का मुगल सेनापति नजीबुद्दौला से दिल्ली के निकट युद्ध। |
1773 ई. | उदयपुर का महाराणा अरिसिंह बूंदी के राव अजीतसिंह द्वारा मारा गया। |
1774 ई. | मिर्जा नजफ ने भरतपुर नरेश से आगरा खाली करवाया। |
1775 ई. | माचेड़ी नरेश प्रताप सिंह ने अलवर से भरतपुर के जाटों का कब्जा हटा कर अलवर राज्य की स्थापना की। |
1776 ई. | मिर्जा नजफ ने सम्पूर्ण भरतपुर परगने के जाट राज्य पर अधिकार कर लिया। |
1779 ई. | बादशाह ने जयपुर नरेश प्रताप सिंह का टीका किया। |
1780 ई. | जोधपुर नरेश विजयसिंह ने बादशाह से अनुमति लेकर अपने नाम से विजयशाही चाँदी के रुपए चलाए। |
1781 ई. | जोधपुर टकसाल में शुद्ध सोने की मोहरे बनने लगी। |
1786 ई. | महादजी सिंधिया तथा बादशाह ने कर प्राप्ति के लिए जयपुर में प्रवेश किया। |
1787 ई. | तूंगा का युद्ध, जिसमें जयपुर तथा जोधपुर की सम्मिलित सेना ने मराठों को हराया। |
1789 ई. | जयपुर नरेश प्रताप सिंह तथा मराठों के बीच पाटन का युद्ध जिसमें मराठों की विजय। |
1791 ई. | अजमेर दुर्ग सिंधिया के सुपुर्द। |
1796 ई. | झाला जालिम सिंह द्वारा झालरापाटन कस्बे की नींव रखी गई। |
1798 ई. | महात्मा रामचरण दास की शाहपुरा में मृत्यु। |
1799 ई. | जयपुर में हवामहल का निर्माण। |
1800 ई. | जॉर्ज टोमस (थॉमस) ने अपने इतिहास ग्रंथ में राजपूताना शब्द का प्रयोग किया। |
1803 ई. | गवर्नर वेलेजली ने तय किया कि राजस्थान के नरेश भारत के उत्तर पश्चिम में सुरक्षा के लिए ठीक रहेंगे। |
25 सितंबर 1803 | भरतपुर नरेश रणजीत सिंह ने अंग्रेजों से स्थायी मित्रता की संधि की। |
1 नवंबर 1803 | अलवर के लसवाड़ी मैदान में मराठों तथा अंग्रेज सेनापति लेक की फौजों के मध्य युद्ध। |
12 दिसंबर 1803 | जयपुर महाराजा की मित्रता पारस्परिक सहायता के लिए अंग्रेजों से संधि हुई। |
22 दिसंबर 1803 | जोधपुर नरेश मानसिंह और अंग्रेज सरकार के बीच मित्रता व पारस्परिक सहयोग हेतु सन्धि हुई। |
1804 ई. | लॉर्ड लेक ने डीग में होल्कर और भरतपुर नरेश रणजीत सिंह को हराकर भरतपुर का घेरा डाला। |
25 नवंबर 1804 | प्रतापगढ़ के महारावल ने अंग्रेजी सरकार से मित्रता व सहायता की संधि की। |
16 अप्रैल 1805 | बीकानेर के सूरत सिंह द्वारा भटनेर दुर्ग मंगलवार के दिन जीता गया। |
1805 ई. | जोधपुर नरेश मानसिंह ने जोधपुर किले में हस्तलिखित पुस्तकों का एक पुस्तकालय स्थापित किया। |
17 अप्रैल 1805 | भरतपुर नरेश ने अंग्रेजों से दुबारा मित्रता व आपसी सहायता की संधि की। |
1807 ई. | जयपुर व जोधपुर की सेना के बीच परबतसर की घाटी (गिंगोली) में युद्ध। |
1810 ई. | उदयपुर के महाराणा भीमसिंह ने अमीर खाँ के प्रस्ताव पर कृष्णा कुमारी को जहर पीला कर मार डाला। |
1817 ई. | नवम्बर 9, करौली राज्य ने अंग्रेजों से मित्रता व सहायता की संधि की। |
26 दिसंबर 1817 | कोटा राज्य ने अंग्रेजों से मित्रता व सहायता की संधि की। |
1818 ई. | 6 जनवरी, जोधपुर, 13 जनवरी उदयपुर, 10 फरवरी बूंदी, 20 फरवरी कोटा द्वारा अंग्रेजों से मित्रता व सहायता की संधि की। |
8 मार्च 1818 | कर्नल टॉड मेवाड़ व हाड़ौती का पॉलिटीकल एजेन्ट नियुक्त होकर उदयपुर पहुँचा। |
9 मार्च | बीकानेर, 2 अप्रैल जयपुर में कंपनी से सहायता व मित्रता संधि की। |
16 सितम्बर 5 अक्टूबर | Bाँसवाड़ा से अंग्रेजों ने सहायता व मित्रता संधि की। |
31 अक्टूबर 1818 | सिरोही राज्य की अंग्रेजों से मित्रता व सहायता की संधि हुई। |
20 नवम्बर 11 दिसम्बर, 1818- | नसीराबाद में अंग्रेजी छावनी की स्थापना। |
1821 ई. | कोटा नरेश महारावल किशोर सिंह, कर्नल टॉड व जालिम सिंह की फौज से हारा। |
1822 ई. | मेरवाड़ा बटालियन की स्थापना की गई। |
11 सितंबर 1823 | सिरोही राज्य द्वारा अंग्रेजों से मित्रता व संरक्षण के लिए संधि की गई। |
1824 ई. | डूंगरपुर व बांसवाड़ा राज्यों ने स्थानीय सेना रखने के लिए अंग्रेजों से संधि की। |
1825 ई. | उत्तराधिकार मामले को लेकर अंग्रेजों ने भरतपुर पर आक्रमण किया। |
1826 ई. | भरतपुर गढ़ पर अंग्रेजों का कब्जा। |
1828 ई. | मारवाड़ में अव्यवस्था बताकर लार्ड विलियम बैंटिंक ने महाराजा मानसिंह को राजगद्दी से हटाया। |
4 दिसंबर, 1828 | लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा बंद की। |
1832 ई. | अजमेर में राजपूताना रेजीडेन्सी कायम। |
1834 ई. | 5 अप्रैल, जैसलमेर व बीकानेर की सेनाओं के बीच बासवाणी की लड़ाई हुई। |
1835 ई. | जोधपुर लीजियन का गठन। |
1837 ई. | एरिनपुरा छावनी (सिरोही) स्थापित की गई। |
1838 ई. | अंग्रेजी सरकार द्वारा जालिम सिंह (कोटा) के वंशज मदन सिंह को 17 परगने देकर झालावाड़ की स्थापना की गई। |
1839 ई. | अजमेर कमिश्नर सदरलैण्ड ने अंग्रेजी सेना लेकर जोधपुर दुर्ग पर कब्जा किया। |
1841 ई. | मेवाड़ भील कोर की स्थापना। |
1842 ई. | अलवर व भरतपुर राज्यों में अंग्रेजी शिक्षा की पहली स्कूल स्थापित। |
1844 ई. | जयपुर, जोधपुर, उदयपुर राज्यों में कन्या वध गैर कानूनी घोषित। |
1845 ई. | एजीजी का कार्यालय अजमेर से आबू लाया गया। |
1847 ई. | जयपुर राज्य में बच्चों को बेचने को अवैध घोषित किया गया। |
1848 ई. | अजमेर नगर की पहली बार जनगणना। |
1853 ई. | उदयपुर में डाकन प्रथा गैर-कानूनी घोषित। |
1854 ई. | सिरोही के राव शिव सिंह ने अपने राज्य का प्रबंध और अच्छी तरह चलाने के लिए अंग्रेजों को सौंपा। |
1856 ई. | जयपुर में रामनिवास बाग की नींव रखी गई। |
1857 ई. | भारत में सिपाही विद्रोह मेरठ से प्रारंभ। |
21 मई | एरिनपुरा में सैनिक विद्रोह। |
28 मई | नसीराबाद छावनी में सेना की दो टुकड़ियों ने सशस्त्र विद्रोह किया। |
31 मई | भरतपुर की सेना ने होड़ल में विद्रोह किया। |
3 जून | नीमच छावनी नष्ट कर विद्रोही सैनिक निम्बाहेड़ा पहुँच वे उस पर कब्जा किया। |
11 जुलाई | नीमच तथा नसीराबाद के विद्रोही सैनिकों ने अछनेरा में अलवर राज्य की सेना पर आक्रमण किया। |
8 सितम्बर | बिठुड़ा/बिथोड़ा (आऊवा) के निकट जोधपुर की सेना तथा आऊवा के कुशाल सिंह के मध्य युद्ध। |
18 सितम्बर | एजीजी लॉरेन्स का आऊवा पर आक्रमण। |
15 अक्टूबर | कोटा राज्य की सेना ने मेहताब खां के नेतृतव में अंग्रेजी रेजीडेन्सी पर आक्रमण कर दिया। |
1858 ई. | बम्बई से आई अंग्रेजी सेना ने विद्रोहियों को हरा कर कोटा पर कब्जा कर लिया। |
23 दिसम्बर | तात्यां टोपे के सैनिकों का प्रतापगढ़ में अंग्रेजी सेना से सामना हुआ। |
30 जनवरी | कैप्टन होम्स तथा जोधपुर सेना की संयुक्त सेना द्वारा आऊवा पर आक्रमण। |
14 जनवरी, 1859 | ब्रिगेडीयर शावर्स जयपुर और भरतपुर के बीच देवसां मे तात्यां और फिरोजशाह की सेना के बीच लड़ाई। |
21 जनवरी, 1859 | कर्नल होम्स ने सीकर में तात्यां की सेना को पराजित किया। |
1860 ई. | झालावाड़ नरेश पृथ्वी सिंह ने झालरापाटन के पास नवलखां दुर्ग की नींव रखी। |
1861 ई. | बीकानेर नरेश को सिपाही विद्रोह के वक्त की सेवा के उपलक्ष्य में सिरसा जिले के टी. बी. परगने के 41 गाँव मिले। |
1861 ई. | निम्बाहेड़ा परगना, उदयपुर से वापस लिया जाकर टोंक के नवाब को दिया गया। |
1862 ई. | मार्च 1862 राजस्थान के समस्त नरेशों को सिवाय टोंक के नवाब के गोद लेने का अधिकार अंग्रेजी सरकार से मिला। |
1863 ई. | बूंदी में अंग्रेजी स्कूल खुला। |
1864 ई. | आऊवा के कुशाल सिंह, आजादी की अलख जगाने वाले सूरमा का उदयपुर में स्वर्गवास हुआ। |
1865 ई. | उदयपुर में अंग्रेजी भाषा की शिक्षा दी जाने लगी। |
1867 ई. | टोंक का नवाब राजगद्दी से हटाया गया। |
1867 ई. | जोधपुर में प्रथम अंग्रेजी स्कूल खुला। |
1868 ई. | 7 अगस्त, जयपुर नरेश एवं अंग्रेजों के बीच सांभर नमक समझौता। |
फरवरी 1870 | जयपुर तथा जोधपुर नरेशों ने सांभर झील अंग्रेजों को सौंपी। |
1872 ई. | बीकानेर में पहला सरकारी स्कूल खुला। |
1873 ई. | जयपुर में FA तक शिक्षा देते हुए महाराजा कॉलेज स्थापित। |
अप्रैल, 1874 | स्वामी दयानंद सरस्वती की सत्यार्थ प्रकाश ग्रन्थ की रचना। |
21 अक्टू., 1875 | मेयो कॉलेज प्रारंभ। |
10 अप्रैल, 1875 | आर्य समाज की मुम्बई में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापना। |
1879 ई. | जोधपुर-अंग्रेजों के बीच डीडवाना, पचपदरा, फलौदी नमक संधि। |
1883 ई. | आर्य समाज की परोपकारिणी सभा का पुनर्गठन कर उदयपुर में पंजीयन हुआ। |
अगस्त 12, | दयानन्द सरस्वती जोधपुर पहुँचे। |
सितम्बर, 29, | स्वामी दयानन्द को जोधपुर में जहर दिया गया। |
अक्टूबर, 16 | दयानन्द जोधपुर से आबू रवाना। |
अक्टूबर 30 | अजमेर में दयानन्द की मृत्यु। |
दिसम्बर 28 | अजमेर में स्वामी दयानन्द की परोपकारिणी सभा का प्रथम अधिवेशन हुआ। |
1887 ई. | जोधपुर में महिला स्कूल स्थापित हुआ। |
1888 ई. | राजपूताने के एजीजी कर्नल वाल्टर की अध्यक्षता में वाल्टर राजपूत हितकारिणी सभा अजमेर में स्थापित की गई। |
1889 ई. | जोधपुर राज्य में सरदार रिसाला (घुड़सवार सेना) संगठित की गयी। |
1890 ई. | भीलवाड़ा में कपास और ऊन ओटने का कारखाना स्थापित हुआ। |
1891 ई. | खेतड़ी का अजीत सिंह आबू में विवेकानन्द से मिला। |
1895 ई. | अजमेर में पहला साप्ताहिक राजपूताना टाइम्स चालू किया। |
1897 ई. | बिजौलिया किसान आंदोलन प्रारंभ। |
1900 ई. | सर प्रताप सिंह जोधपुर रिसाला लेकर चीन युद्ध के लिए रवाना। |
1 जनवरी 1903 | दिल्ली दरबार में राजस्थान के कई नरेश सम्मिलित हुए। |
1905 ई. | बंगाल विभाजन। सम्पूर्ण भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर से राजस्थान भी प्रभावित। |
1908 ई. | अजमेर में राजपूताना संग्रहालय स्थापित। |
1911 | जोधपुर राज्य में सोमवार के स्थान पर इतवार की साप्ताहिक छुट्टी की घोषणा। |
12 दिसम्बर,1911 | दिल्ली दरबार, आयोजित राजधानी कलकत्ता बनायी गई। |
1912 | जोधपुर में चीफ कोर्ट की स्थापना। |
23 दिसम्बर,1912 | दिल्ली में वायसराय हार्डिंग पर चाँदनी चौक में बम फेंका गया। |
1913 ई. | बाँसवाड़ा में शासन द्वारा आक्रांत किये जाने पर भील आंदोलन का प्रारंभ। |
1915 | जोधपुर में मरुधरा हितकारिणी सभा स्थापित। |
21 फरवरी, 1915 | राव गोपाल सिंह तथा विजय सिंह पथिक द्वारा खरवा के निकट सशस्त्र क्रांति की तिथि निश्चित की गई। |
1916 ई. | बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व विजयसिंह पथिक ने संभाला। |
1918 ई. | झालावाड़ नरेश को वंशानुगत महाराज राणा की पदवी भारत सरकार द्वारा। |
1920 ई. | जोधपुर में मारवाड़ सेवा संघ का भँवरलाल सर्राफ की अध्यक्षता में गठन हुआ। |
1921 ई. | जमना लाल बजाज ने राव बहादुर की पदवी त्यागी। |
1922 ई. | सिरोही राज्य की रोहिड़ा तहसील में मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में भील व रासिया आंदोलन हुआ। |
1923 ई. | विजय सिंह पथिक गिरफ्तार। |
1924 ई. | मरुधर मित्र हितकारिणी सभा का नाम बदलकर मारवाड़ हितकारिणी सभा किया गया। |
1925 ई. | जोधपुर के इतिहासकार जगदीश सिंह गहलोत ने पहली बार राजस्थान की भाषा राजस्थानी घोषित करने की माँग की। |
1926 ई. | गंगनहर का उद्घाटन वायसराय इरविन द्वारा किया गया। |
1927 ई. | 1927 दिसम्बर, 17, बम्बई में अखिल भारतीय देशी राज्य परिषद् का प्रथम अधिवेशन हुआ। |
1928 ई. | राजस्थान में पहली महिला डॉक्टर पार्वती गहलोत। |
1929 ई. | मोतीलाल तेजावत गिरफ्तार। |
1930 ई. | जोधपुर में पहली बार दुर्गादास जयंती चाँदमल सारदा के सभापतित्व में मनाई गई। |
1931 ई. | बिजौलिया किसान आंदोलन अंतिम चरण में। |
1933 ई. | झालावाड़ नरेश ने मंदिरों में अछूतों को दर्शन करने की छूट दी। |
1934 ई. | मारवाड़ प्रजामण्डल स्थापित। |
1935 ई. | लोहारू के सिंहानी तथा आसपास के अन्य गाँवों में भीषण गोलीकाण्ड व नृशंस हत्याकाण्ड। |
1936 ई. | जोधपुर में संग्रहालय तथा पुस्तकालय के नए भवन का उद्घाटन। |
1937 ई. | अप्रैल, भारतीय शासन अधिनियम 1935 का प्रांतीय भाग लागू किया गया। |
1938 ई. | जयपुर सरकार द्वारा जमनालाल बजाज को गिरफ्तार किया गया। |
1939 ई. | 15-16 फरवरी, अखिल भारतीय प्रजामण्डल का छठा अधिवेशन में चर्चा। |
1941 ई. | टोंक में मजलिसे आम का उद्घाटन। |
1942 ई. | जमनालाल बजाज की मृत्यु। |
1943 ई. | बीकानेर नरेश गंगासिंह का देहान्त। |
1944 ई. | जोधपुर महाराज ने जोधपुर संविधान अधिनियम बनाया। |
1945 ई. | जोधपुर महाराज ने जोधपुर संविधान अधिनियम बनाया। |
1946 ई. | जैसलमेर जेल में सागरमल गोपा को पेट्रोल से जलाकर मार डाला। |
26 नवम्बर, 1946 | झालावाड़ प्रजामण्डल की स्थापना। |
1947 ई. | राजपूताना विश्वविद्यालय की स्थापना। |
13 मार्च, 1947 | डीडवाना के डाबडा गाँव में किसान सम्मेलन हुआ। |
1 अप्रैल, 1947 | जोधपुर राज्य का नया संविधान लागू। |
1947 ई. | मेवाड़ संविधान बना, जिसके अन्तर्गत विधानसभा गठित होनी थी। |
1948 ई. | सिरोही को गुजरात राज्य ऐजेन्सी का भाग बना दिया गया। |
4 अप्रैल, 1948 | संयुक्त राजस्थान में उदयपुर सम्मिलित हुआ। |
8 नवम्बर 1948 | सिरोही को केन्द्रीय प्रशासन के अन्तर्गत लिया गया। |
1949 ई. | आबू पर केन्द्रीय सरकार के आदेश से बम्बई सरकार का शासन स्थापित हुआ। |
14 जनवरी, 1949 | जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर रियासतों के राजस्थान में विलय की घोषणा। |
30 मार्च, 1949 | जयपुर, जोधपुर बीकानेर, जैसलमेर राज्य वृहत राजस्थान सम्मिलित। |
7 अप्रैल 1949 | राजस्थान प्रशासन अध्यादेश बनाया जाकर लागू किया गया। |
15 मई, 1949 | मत्स्य संघ राज्य में सम्मिलित। |
22 दिसंबर 1949 | राजस्थान लोकसेवा आयोग कानून लागू किया गया। |
1950 ई. | अजमेर भारत में विलीन हुआ। |
1951 ई. | हीरालाल शास्त्री ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा। |
29 मार्च 1952 | 160 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा का उद्घाटन। |
1 अप्रैल, 1955 | आकाशवाणी जयपुर प्रसारण प्रारंभ। |
28 जनवरी 1958 | राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर में स्थापित। |
1958 ई. | राजस्थान की सब जागीरों का पुनर्ग्रहण किया गया। |