राजस्थान की प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएँ (Major Historical Events of Rajasthan)

By: LM GYAN

On: 17 March 2025

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राजस्थान की प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएँ (Major Historical Events of Rajasthan)
राजस्थान की ऐतिहासिक घटनाएँ

भारत का ऐतिहासिक समय रेखा

महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ

वर्षघटना
78 ई.शक संवत का प्रारंभ।
150 ई.प्रथम रुद्रदामन ने पश्चिम राजस्थान को जीता।
566 ई.मेवाड़ में गुहिल द्वारा राज्य स्थापित किया गया।
622 ई.हिजरी सन् का प्रारंभ।
647 ई.हर्षवर्धन की मृत्यु।
728 ई.bप्पा रावल ने मौर्य राजा से चित्तौड़ का राज्य छीना।
731 ई.अरबों का राजस्थान से सीधा संघर्ष प्रारंभ।
731 ई.तन्नोट (जैसलमेर) का किला बना।
736 ई.गुर्जर राज्य की समाप्ति पर चौहान राजस्थान के शासक बने।
738 ई.प्रतिहारों ने अपनी राजधानी भीनमाल के स्थान पर जालौर बनाई।
755 ई.bप्पा रावल ने कुकुटेश्वर से चित्तौड़ को जीता।
836 ई.मिहिरभोज का राज्यारोहण।
943 ई.सांभर के लक्ष्मण चौहान ने नाडोल पर हमला कर स्वतंत्र राज्य स्थापित किया।
944 ई.सपादलक्ष के चौहानों ने रणथम्भौर दुर्ग का निर्माण करवाया।
947 ई.रामसिंह ने टोंकरा (वर्तमान टोंक) बसाया।
956 ई.सिंहराज प्रथम ने शेखावाटी में हर्षनाथ पहाड़ पर शिव मंदिर बनाया।
972 ई.मालवा के परमार भुंज वाक्पति ने चित्तौड़ पर कब्जा किया।
973 ई.चौहानो प्रतिहारों से स्वतंत्र हुए। मालवा के भुंज परमार ने आहड़ को नष्ट किया। गुजरात के राष्ट्रकूटों का शासन समाप्त।
991 ई.जयपाल ने मुसलमानों के आक्रमण के विरूद्ध सांभर कालिंजर और कन्नौज के राजाओं का संघ बनवाया।
1008 ई.आनन्दपाल ने महमूद के खिलाफ उज्जैन, ग्वालियर कालिंजर और कन्नौज दिल्ली तथा सांभर के राजाओं का संघ बनाया।
1013 ई.लोकदेवता तेजाजी जाट की मृत्यु।
1024 ई.महमूद गजनवी ने अजमेर पर आक्रमण किया और गढ़ बीठढी पर घेरा डाला लेकिन घायल हो जाने पर वह घेरा उछाकर अन्हीलवाड़ा चला गया।
अक्टूबर, 1024महमूद गजनवी सोमनाथ पर आक्रमण करने के लिए खाना हुआ।
1026 ई.महमूद गजनवी ने वाराह (जैसलमेर) पर हमला किया।
1031 ई.विमल शाह ने आबू पहाड़ पर आदिनाथ जैन मंदिर की स्थापना करवाई।
1040 ई.यादव विजयपाल ने मथुरा से अपनी राजधानी हटा कर विजय मंदिर गढ़ में स्थापित की। जिसे अब बयाना गढ़ के नाम से जाना जाता है।
1042 ई.बसन्तगढ़ (सिरोही) को परमार नरेश पूर्णपाल ने अपनी राजधानी बनाया।
1113 ई.चौहान अजयराज ने अजमेर नगर बसाया।
1119 ई.मुहम्मद बाहलीम ने नागौर का किला बनवाया।
1137 ई.अर्णोराज ने मुसलमान आक्रमणकारियों को हराकर युद्ध स्थल पर आनासागर झील (अजमेर) का निर्माण करवाया।
1137 ई.दुल्हेराय ने बड़गुर्जरों को हराकर दौसा पर कब्जा किया और ढुंढाड़ राज्य की स्थापना की।
1151 ई.अजमेर के विग्रहराज-IV ने चित्तौड़ पर कब्जा कर मेवाड़ का कुछ हिस्सा अपने राज्य में मिलाया।
1152 ई.बीसलदेव (IV-विग्रहराज) ने अपने पितृहन्ता भाई जगदेव को पराजित कर अजमेर की गद्दी प्राप्त की।
1153 ई.बीसलदेव बिस्सी की जीतकर भारत का प्रथम चौहान सम्राट बना।
1155 ई.राव जैसल द्वारा जैसलमेर दुर्ग की स्थापना।
1158 ई.यादव तवनपाल ने बयाना से 15 मील दूर तवनगढ़ बसाया।
1164 ई.विग्रहराज चौहान ने शिवलिंग स्तम्भ नामक शिलालेख दिल्ली में खुदवाया।
1175 ई.गुहिलवंशीय सामन्त सिंह ने बागड़ पर अधिकार किया।
1178 ई.आबू के परमार नरेश धारावर्ष ने मुहम्मद गौरी को हराया। मोहम्मद गौरी ने नाडोल तथा किराडू को लूटा।
1187 ई.पृथ्वीराज तृतीय ने गुजरात पर आक्रमण किया एवं आबू के परमार शासक धारावर्ष को हराया।
1190 ई.जयानक ने अजमेर में पृथ्वीराज विजय नामक प्रसिद्ध महाकाव्य की रचना की।
1191 ई.पृथ्वीराज-III ने थानेश्वर के निकट तरावडी मैदान मोहम्मद गौरी को प्रथम बार हराया। (तराईन का प्रथम युद्ध)
1192 ई.तराईन का दूसरा युद्ध (तराईन-II युद्ध) जिसमें पृथ्वीराज मोहम्मद गौरी से हारा, मारा गया।
1192 ई.कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर तथा मेरठ के विद्रोह को दबाया।
1193 ई.हरिराज ने दिल्ली पर आक्रमण किया।
1194 ई.कन्नोज का जयचंद मोहम्मद गौरी से इटावा के पास चंदावर में मारा गया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर पर पुनः कब्जा कर उस स्वतंत्र राज्य को समाप्त किया।
1195 ई.ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेर आया।
1196 ई.कुतुबुद्दीन अन्हिलवाडा पर आक्रमण करने के लिए रवाना हुआ लेकिन मेरो तथा राजपूतों द्वारा रोक दिया गया।
1197 ई.मोहम्मद गौरी द्वारा तवनगढ़ व बयाना पर कब्जा।
1206-1210 ई.अढ़ाई दिन के झोपड़े का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा करवाया गया।
1210 ई.लाहौर में चौगान (पोलो) खेलते समय कुतुबुद्दीन की मृत्यु।
1226 ई.दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने रणथम्भौर पर कब्जा किया इसके पश्चात् उसने बयाना, अजमेर, नागौर, जालौर पर भी कब्जा किया।
1230 ई.तेजपाल ने नेमीनाथ (लुणवसाही) मंदिर का निर्माण आबू पर्वत पर करवाया।
1234 ई.मेवाड़ के राणा जैत्रसिंह ने शम्शुद्दीन इल्तुतमिश को हराया।
1236 ई.ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु।
1237 ई.मेवाड़ राणा समर सिंह ने तुर्कों को हराया।
1240 ई.राव सीहा पाली आया।
1245 ई.दिल्ली में सुल्तान का भाई जलालुद्दीन अपनी जान बचाने के लिए चित्तौड़ की पहाड़ियों में आ छुपा।
1246 ई.बाहड़देव परमार ने बारड़मेर (वर्तमान बाड़मेर) बसाया।
1248 ई.बलबन (उलुग खाँ) ने रणथम्भौर, बूँदी, चित्तौड़ पर हमला किया, तथा यहाँ से काफी धन माल ले गया।
1252 ई.नसीरुद्दीन महमूद ने बयाना विजय की।
1258 ई.उलुग खाँ (बलबन) ने रणथम्भौर व मेवात पर आक्रमण किया।
11 जुलाई 1301रणथम्भौर पर अलाउद्दीन खिलजी का अधिकार।
26 अगस्त, 1303अलाउद्दीन खिलजी द्वारा चित्तौड़ विजय अपने पुत्र खिज्र खाँ को चित्तौड़ का हाकिम नियुक्त किया।
9 नवंबर, 1308सिवाणा का साललदेव मारा गया, सिवाणा पर अलाउद्दीन का कब्जा।
1311-13129 मई, अलाउद्दीन ने जालौर पर अधिकार किया।
1316 ई.जैसलमेर पर अलाउद्दीन की विजय।
1326 ई.हम्मीर सिसोदिया ने चित्तौड़ पर अधिकार किया।
1330 ई.रावघड़सी ने घडसिया तालाब (जैसलमेर) बनवाया।
1341 ई.बम्बावदा के राव देवा ने जैता मीणा से बूंदी जीता।
21 मार्च, 1352रामदेव का जन्म।
1354 ई.राव नरसिंह ने तारागढ़ (बूंदी) का दुर्ग बनवाया।
1358 ई.डूंगरसिंह ने डुंगरपुर बसाया।
1362 ई.रावल मल्लीनाथ का जन्म।
1364 ई.क्षेत्रसिंह मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठा।
1382 ई.मेवाड़ के राणा लाखा का राज्याभिषेक।
1383 ई.राजपूतों व चारणों की देवी करणी का जन्म।
1385 ई.रामदेव ने समाधि ली।
1394 ई.वीरम के पुत्र चूंडा की सहायता से ईन्द्रा प्रतिहार ने मण्डोर पर कब्जा किया तथा उसे चूंडा राठौड़ को दे दिया।
1398 ई.मेवाड के चूडा ने राजगद्दी से अपना अधिकार छोड़ा।
1399 ई.चूंडा राठौड़ ने अजमेर पर कब्जा किया।
1405 ई.शिवभाण देवडा ने शिवपुरी (पुराना सिरोही) शहर बसाया।
1423 ई.सितम्बर 27, मालवा के होशांगशाह ने 15 दिन के घेरे के बाद गागरोन गढ़ पर कब्जा किया तथा अचलदास खींची मारा गया।
1425 ई.सहसमल देवड़ा ने चंद्रावती के स्थान पर सिरोही नगर बसाया।
1426 ई.रणमल राठौड़ की सेना ने जैतारण व सोजत पर अधिकार किया।
1433 ई.राणा मोकल अहमदाबाद के सुलतान के विरुद्ध लड़ते हुए मारा गया।
1440 ई.रणकपुर में त्रिलोक्य दीपक मंदिर की प्रतिष्ठा हुई।
1443 ई.अप्रैल, 26, महाराणा कुम्भा तथा मालवा के सुल्तान महमूदशाह खिलजी के बीच कुम्भलगढ़ के निकट युद्ध।
1444 ई.मालवा के महमूद ने गागरोन पर कब्जा किया।
2 फरवरी, 1449महाराणा कुम्भा का कीर्तिस्तम्भ बनकर पूर्ण।
1450 ई.कायम खाँ ने राजपूतों के राज्य को जीतकर नपा राज्य स्थापित किया।
1451 ई.बिश्नोई मत के प्रवर्तक जांभाजी का पीपासर में जन्म।
1453 ई.महाराणा कुंभा ने अचलगढ़ दुर्ग की प्रतिष्ठा कराई।
1455 ई.मालवा के सुल्तान महमूद ने अजमेर पर कब्जा किया।
1456 ई.महाराणा कुम्भा ने गुजरात की सेना को हराकर नागौर जीता।
1458 ई.कुम्भलगढ़ की प्रतिष्ठा।
1458 ई.राव जोधा का राज्याभिषेक।
1459 ई.राव जोधा द्वारा जोधपुर नगर बसाया गया।
1460 ई.मंडोर की चामुण्डा की मूर्ति जोधपुर के किले में स्थापित की गई।
1465 ई.राव जोधा का पुत्र बीका, अपने चाचा कांथल के साथ जांगल प्रदेश गया।
1472 ई.राव बीका ने कोडमदेसर में राजधानी स्थापित की।
1478 ई.वल्लभ सम्प्रदाय के संस्थापक श्री वल्लभाचार्य तैलंग का जन्म।
1478 ई.राव बीका का भाटियों से युद्ध।
12 अप्रेल, 1482महाराणा संग्राम सिंह का जन्म।
1483 ई.राजस्थान में घोर अकाल।
12 अप्रैल, 1488राव बीका ने बीकानेर नगर बसाया।
1492 ई.जोधपुर नरेश सातल का कोसाणा के पास अजमेर के मल्लू खां के पास युद्ध हुआ।
1498 ई.12 जुलाई मीराबाई का जन्म।
1503 ई.मालवा के नासिर शाह ने मेवाड़ पर चढ़ाई की।
1508 ई.महाराणा संग्राम सिंह मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठा।
1516 ई.महाराणा सांगा के ज्येष्ठ कुंवर भोजराज का मीरा बाई से विवाह हुआ।
1516 ई.सिकन्दर लोदी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया लेकिन वह असफल होकर लौट गया।
1517 ई.दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी व मेवाड़ के महाराणा सांगा के बीच बूंदी के निकट खातौली का युद्ध हुआ।
1517 ई.खातौली (कोटा) के युद्ध में महाराणा सांगा ने इब्राहीम लोदी को हराकर बूंदी राज्य जीता।
1527 ई.बिश्नोई धर्म के प्रवर्तक जाम्भोजी की तालवा गाँव (बीकानेर) में मृत्यु।
17 मार्च, 1527महाराणा सांगा व बाबर के बीच खानवा के मैदान में युद्ध हुआ।
20 मई, 1528माण्डलगढ़ में महाराणा सांगा की मृत्यु।
1532 ई.मालदेव मारवाड़ की राजगद्दी पर बैठा।
1535 ई.मेवाड़ की राजमाता कर्मावती ने बहादुरशाह के 8 मार्च आक्रमण पर 13000 स्त्रियों के साथ जौहर किया।
25 अप्रैल, 1535चित्तौड़ पर वापस सिसोदियों का कब्जा।
1536 ई.मालदेव ने नागौर के खानजादे पर चढ़ाई कर नागौर पर कब्जा किया।
1540 ई.महाराणा प्रताप का जन्म।
16 जुलाई, 1541राव चंद्रसेन राठौड़ का जन्म।
5 जनवरी, 1544रावल मालदेव और शेरशाह की सेनाओं के बीच गिरीसुमेल का युद्ध हुआ।
जून, 1545मालदेव ने पुनः जोधपुर पर अधिकार किया।
1549 ई.राजस्थान के प्रसिद्ध कवि पृथ्वीराज का जन्म।
1556 ई.जोधपुर नरेश मालदेव की सेना अजमेर के सूबेदार हाजी खाँ की सेना से हारी।
24 जनवरी, 1557हरमाड़ा के युद्ध में मालदेव और हाजी खाँ की सम्मिलित सेना ने राणा उदय सिंह व उसके सहायक मेड़ता के जयमल को पराजित किया।
1559 ई.महाराणा उदयसिंह ने उदयपुर बसाया।
1560 ई.वल्लभ सम्प्रदाय के वल्लभाचार्य की मृत्यु।
1562 ई.जनवरी 20, भारमल ने अकबर की अधीनता उसके सांगानेर के पड़ाव पर स्वीकार की।
6 फरवरी 1562आमेर की भारमल की पुत्री हरखा बाई (मरियम उज्जमानी) का विवाह अकबर से हुआ।
10 फरवरी 1562आमेर के भगवंत दास व मानसिंह की मुगल दरबार में नियुक्ति।
10 नवम्बर 1562मारवाड़ के मालदेव की मृत्यु।
1564 ई.अकबर ने हिन्दुओं पर से जजिया कर हराया।
1565 ई.जोधपुर पर मुगलों का अधिकार।
25 फरवरी 1568चित्तौड़ का तीसरा साका।
2 मार्च, 1568मीरां बाई की मृत्यु।
5 नवम्बर, 1570अकबर का नागौर दरबार आयोजित।
1571 ई.अकबर द्वारा अजमेर की चारदीवारी तथा अपने निवास के लिए महल बनवाया।
28 फरवरी 1572महाराणा प्रताप की गोगुन्दा में राजगद्दी।
18 जून 1576महाराणा प्रताप तथा कछवाह राजा मानसिंह (मुगल सेनापति) के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ।
3 अप्रेल 1578शाहबाज खाँ ने कुंभलगढ़ पर कब्जा किया।
4 अप्रैल, 1578शाहबाज खाँ ने उदयपुर पर कब्जा किया।
1580 ई.बादशाह अकबर द्वारा जोधपुर पर पूर्ण कब्जा।
1581 ई.राव चन्द्रसेन की मृत्यु।
1582 ई.महाराजा रायसिंह ने बीजा देवड़ा से सिरोही छीनकर आधा भाग राव सुरतान को दे दिया।
1583 ई.सिरोही के देवड़ा सुरतान ने सिसोदिया जगमाल पर दत्ताणी गाँव में आक्रमण किया।
1583 ई.बादशाह अकबर ने जोधपुर के राव मालदेव की पौत्री तथा आमेर के भगवंत दास के चचेरे भाई जयमल कच्छवाहा की पत्नी को सती होने से रोका।
1585 ई.आमेर के भगवान दास की पुत्री मानबाई का शहजादा सलीम के साथ लाहौर में विवाह हुआ।
1586 ई.महाराणा प्रताप ने चावण्ड को अपनी राजधानी बनाया।
1589 ई.बीकानेर के राय सिंह ने बीकानेर के किले का शिलान्यास किया।
1593 ई.तिलराज में पशुमेला भरना आरंभ हुआ।
19 जनवरी 1597महाराणा प्रताप की मृत्यु।
1600 ई.महाराज रायसिंह को नागौर जागीर में दिया।
1603 ई.नरायणा (जयपुर) में संत दादू की मृत्यु।
1606 ई.जोधपुर नगर के बाहर महाराज सूर सिंह ने सूर सागर तालाब बनवाया।
1612 ई.कृष्ण सिंह राठौड़ ने किशनगढ़ नगर बसाया।
1614 ई.आमेर के मिर्जा राजा मानसिंह का देहांत।
5 फरवरी 1615महाराणा अमर सिंह शहजादा खुर्रम से गोगुन्दा में मिला।
16 फरवरी 1615उदयपुर का कुँवर कर्ण सिंह बादशाह जहाँगीर के दरबार में उपस्थित हुआ।
1616 ई.सर जेम्स का राजदूत टामस रो अजमेर में जहाँगीर के दरबार में संधि हेतु पहुँचा।
1621 ई.बादशाह जहाँगीर ने गजसिंह को दलथम्भन की पदवी तथा जालौर का परगना मनसब की जागीर में दिया।
1625 ई.बूंदी के राव रतन को बादशाह ने 5 हजारी जात व 5 सवार का मनसब दिया।
1627 ई.बादशाह ने माधोसिंह को कोटा का स्वतंत्र शासक नियुक्त किया।
1630 ई.जोधपुर नरेश गजसिंह को बादशाह जहाँगीर ने महाराज की पदवी दी।
1633 ई.बादशाह ने सेना भेजकर देवलिया (प्रतापगढ़) वर महारावल का कब्जा करवाया।
1637 ई.शाहजहाँ ने अजमेर की आना सागर झील पर बारहदरिया बनवाई।
1638 ई.राठौड दुर्गादास का जन्म।
1639 ई.आमेर नरेश जयसिंह को बादशाह ने मिर्जा राजा की पदवी दी।
1644 ई.बीकानेर व नागौर के शासकों की सेना के बीच मतीरे के राड़ की लड़ाई हुई।
1649 ई.मिर्जा राजा जयसिंह की मनसब में पाँच हजार जात व पाँच हजार सवार किये गये।
1652 ई.उदयपुर में जयसिंह प्रथम ने जगदीश मंदिर का निर्माण पूर्ण करवाया।
1654 ई.जोधपुर नरेश जसवंत सिंह को मनसब में 6000 जात व 6000 सवार दिया गया।
1657 ई.जोधपुर नरेश जसवंत सिंह का मनसब 7000 जात व 7000 सवार किया गया।
16 अप्रैल 1658धरमत के युद्ध में दारा की सेना हारी।
29 मई 1658बूंदी का राव शत्रुशाल सिंह सामूगढ़ के युद्ध में मारा गया।
15 जनवरी 1659जोधपुर नरेश जसवंत सिंह खजुवाह का युद्ध प्रारंभ होने के पूर्व ही शाह शूजा के इशारे पर औरंगजेब की सेना में लूटमार कर मारवाड़ चला गया।
14 मार्च, 1659औरंगजेब व दारा शिकोह के बीच दोराई (अजमेर) का युद्ध।
1660 ई.महाराणा राजसिंह का किशनगढ़ की राजकुमारी से विवाह।
1662 ई.राजसमुद्र (राजसमंद झील) निर्माण प्रारंभ।
1663 ई.जसवंत सिंह की हाड़ी रानी में राई का बाग बनवा कर हाड़ीपुर बसाया।
1664 ई.औरंगजेब ने मिर्जा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए नियुक्त किया।
1665 ई.औरंगजेब ने आदेश जारी किया कि भविष्य में बाहर से लाए जाने वाले माल पर चुंगी मुसलमानों से ढाई प्रतिशत तथा हिन्दुओं से 5% वसूली जायेगी।
11 जून 1665शिवाजी ने मिर्जा राजा जयसिंह से पुरन्दर की संधि की।
1667 ई.आमेर के मिर्जा राजा जयसिंह की बुरहानपुर में मृत्यु।
1669 ई.मथुराधीश की प्रतिमा बूँदी लाई गई।
1670 ई.राजसमन्द झील का निर्माण कार्य पूर्ण।
1671 ई.कल्याणसिंह नरुका को माचेड़ी (अलवर) की जागीर आमेर नरेश रामसिंह ने दी।
1672 ई.नाथद्वारा में गोवर्धन नाथ की मूर्ति स्थापित।
1676 ई.बांसवाड़ा का फरमान महारावल कुशल सिंह के नाम पर।
1678 ई.अनूप सिंह ने अनूपगढ़ का निर्माण कराया।
1679 ई.बादशाह ने सेना जोधपुर पर कब्जा करने के लिए भेजी।
1680 ई.मुगल सेना ने देबारी (मेवाड़) पर अधिकार किया।
1681 ई.मुहम्मद अकबर ने देसूरी में औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह कर अपने आपको बादशाह घोषित कर दिया।
1688 ई.सवाई जयसिंह का जन्म।
1690 ई.बादशाह ने उदयपुर के महाराणा को उससे लिए पुर तथा बदनोर के परगने वापस दे दिये।
1706 ई.बूंदी का जोधसिंह हाड़ा गणगौर की प्रतिमा सहित तालाब में डूबा।
1707 ई.महाराज अजीत सिंह ने जोधपुर दुर्ग में प्रवेश किया।
1708 ई.बादशाह आमेर पहुँचा तथा आमेर का नाम मोमीनाबाद (बहादुर शाह) रखा।
1710 ई.बादशाह ने जोधपुर नरेश अजीत सिंह को 4000 जगत व 4000 सवार का मनसब दिया।
1712 ई.बादशाह जहाँदार शाह ने जजिया कर बंद करने की घोषणा की।
1713 ई.जोधपुर नरेश अजीत सिंह ने अजमेर पर अधिकार कर लिया।
1714 ई.जोधपुर नरेश अजीत सिंह को गुजरात का सूबेदार नियुक्त करने का फरमान भेजा।
1718 ई.चूड़ामन अपने भतीजे के साथ दिल्ली बादशाह से समझौता करने गया।
1719 ई.जजिया कर बंद कर दिया गया।
1720 ई.कोटा के महाराव भीम सिंह ने बूंदी पर अधिकार किया।
1721 ई.बादशाह ने आमेर नरेश जयसिंह को ‘सरमहाराज’ की उपाधि दी।
1727 ई.जयपुर नगर की नींव सवाई जयसिंह ने रखी।
1730 ई.जोधपुर के पास खेजड़ली गाँव में हरे वृक्षों को बचाने के लिए 363 स्त्री पुरुषों ने बलिदान दिया।
1733 ई.सवाई जयसिंह का मराठों से मन्दसौर के पास युद्ध हुआ।
1734 ई.मराठों का मुकाबला करने के लिए मेवाड़ की सीमा पर सम्मेलन।
1735 ई.मराठों ने सांभर को लूटा।
1736 ई.पेशवा चौथ वसूलने के उद्देश्य से उदयपुर पहुँचा।
1741 ई.जोधपुर नरेश अभयसिंह तथा उसके भाई बख्तसिंह द्वारा युद्ध हुआ।
1743 ई.जयपुर नरेश सवाई जयसिंह की मृत्यु।
1744 ई.कोटा का बूंदी पर कब्जा।
1745 ई.बूंदी नरेश उम्मेदसिंह ने जयपुर की सेना को हराया।
1748 ई.जयपुर नरेश ईश्वरी सिंह व अहमदशाही अब्दाली के बीच युद्ध।
1750 ई.बख्त सिंह व रामसिंह की सेना के बीच युद्ध।
1751 ई.जयपुर ने मराठों के विरुद्ध दंगे।
1752 ई.बादशाह अहमद शाह द्वारा भरतपुर का राजा।
1754 ई.गंगारडा के युद्ध में जोधपुर नरेश विजयसिंह, बीकानेर नरेश गजसिंह व किशनगढ़ नरेश बहादुर सिंह।
1755 ई.विजय सिंह ने मराठों से संधि की।
1759 ई.रणथम्भौर के किले पर कब्जा करने के लिए कांकोड़ के मैदान में युद्ध।
1760 ई.अहमदशाह अब्दाली ने डीग के चौफेर घेरा डाला।
1761 ई.भरतपुर नरेश सूरजमल ने आगरा नगर व किले पर कब्जा किया।
1763 ई.भरतपुर महाराज सुरजमल का मुगल सेनापति नजीबुद्दौला से दिल्ली के निकट युद्ध।
1773 ई.उदयपुर का महाराणा अरिसिंह बूंदी के राव अजीतसिंह द्वारा मारा गया।
1774 ई.मिर्जा नजफ ने भरतपुर नरेश से आगरा खाली करवाया।
1775 ई.माचेड़ी नरेश प्रताप सिंह ने अलवर से भरतपुर के जाटों का कब्जा हटा कर अलवर राज्य की स्थापना की।
1776 ई.मिर्जा नजफ ने सम्पूर्ण भरतपुर परगने के जाट राज्य पर अधिकार कर लिया।
1779 ई.बादशाह ने जयपुर नरेश प्रताप सिंह का टीका किया।
1780 ई.जोधपुर नरेश विजयसिंह ने बादशाह से अनुमति लेकर अपने नाम से विजयशाही चाँदी के रुपए चलाए।
1781 ई.जोधपुर टकसाल में शुद्ध सोने की मोहरे बनने लगी।
1786 ई.महादजी सिंधिया तथा बादशाह ने कर प्राप्ति के लिए जयपुर में प्रवेश किया।
1787 ई.तूंगा का युद्ध, जिसमें जयपुर तथा जोधपुर की सम्मिलित सेना ने मराठों को हराया।
1789 ई.जयपुर नरेश प्रताप सिंह तथा मराठों के बीच पाटन का युद्ध जिसमें मराठों की विजय।
1791 ई.अजमेर दुर्ग सिंधिया के सुपुर्द।
1796 ई.झाला जालिम सिंह द्वारा झालरापाटन कस्बे की नींव रखी गई।
1798 ई.महात्मा रामचरण दास की शाहपुरा में मृत्यु।
1799 ई.जयपुर में हवामहल का निर्माण।
1800 ई.जॉर्ज टोमस (थॉमस) ने अपने इतिहास ग्रंथ में राजपूताना शब्द का प्रयोग किया।
1803 ई.गवर्नर वेलेजली ने तय किया कि राजस्थान के नरेश भारत के उत्तर पश्चिम में सुरक्षा के लिए ठीक रहेंगे।
25 सितंबर 1803भरतपुर नरेश रणजीत सिंह ने अंग्रेजों से स्थायी मित्रता की संधि की।
1 नवंबर 1803अलवर के लसवाड़ी मैदान में मराठों तथा अंग्रेज सेनापति लेक की फौजों के मध्य युद्ध।
12 दिसंबर 1803जयपुर महाराजा की मित्रता पारस्परिक सहायता के लिए अंग्रेजों से संधि हुई।
22 दिसंबर 1803जोधपुर नरेश मानसिंह और अंग्रेज सरकार के बीच मित्रता व पारस्परिक सहयोग हेतु सन्धि हुई।
1804 ई.लॉर्ड लेक ने डीग में होल्कर और भरतपुर नरेश रणजीत सिंह को हराकर भरतपुर का घेरा डाला।
25 नवंबर 1804प्रतापगढ़ के महारावल ने अंग्रेजी सरकार से मित्रता व सहायता की संधि की।
16 अप्रैल 1805बीकानेर के सूरत सिंह द्वारा भटनेर दुर्ग मंगलवार के दिन जीता गया।
1805 ई.जोधपुर नरेश मानसिंह ने जोधपुर किले में हस्तलिखित पुस्तकों का एक पुस्तकालय स्थापित किया।
17 अप्रैल 1805भरतपुर नरेश ने अंग्रेजों से दुबारा मित्रता व आपसी सहायता की संधि की।
1807 ई.जयपुर व जोधपुर की सेना के बीच परबतसर की घाटी (गिंगोली) में युद्ध।
1810 ई.उदयपुर के महाराणा भीमसिंह ने अमीर खाँ के प्रस्ताव पर कृष्णा कुमारी को जहर पीला कर मार डाला।
1817 ई.नवम्बर 9, करौली राज्य ने अंग्रेजों से मित्रता व सहायता की संधि की।
26 दिसंबर 1817कोटा राज्य ने अंग्रेजों से मित्रता व सहायता की संधि की।
1818 ई.6 जनवरी, जोधपुर, 13 जनवरी उदयपुर, 10 फरवरी बूंदी, 20 फरवरी कोटा द्वारा अंग्रेजों से मित्रता व सहायता की संधि की।
8 मार्च 1818कर्नल टॉड मेवाड़ व हाड़ौती का पॉलिटीकल एजेन्ट नियुक्त होकर उदयपुर पहुँचा।
9 मार्चबीकानेर, 2 अप्रैल जयपुर में कंपनी से सहायता व मित्रता संधि की।
16 सितम्बर 5 अक्टूबरBाँसवाड़ा से अंग्रेजों ने सहायता व मित्रता संधि की।
31 अक्टूबर 1818सिरोही राज्य की अंग्रेजों से मित्रता व सहायता की संधि हुई।
20 नवम्बर 11 दिसम्बर, 1818-नसीराबाद में अंग्रेजी छावनी की स्थापना।
1821 ई.कोटा नरेश महारावल किशोर सिंह, कर्नल टॉड व जालिम सिंह की फौज से हारा।
1822 ई.मेरवाड़ा बटालियन की स्थापना की गई।
11 सितंबर 1823सिरोही राज्य द्वारा अंग्रेजों से मित्रता व संरक्षण के लिए संधि की गई।
1824 ई.डूंगरपुर व बांसवाड़ा राज्यों ने स्थानीय सेना रखने के लिए अंग्रेजों से संधि की।
1825 ई.उत्तराधिकार मामले को लेकर अंग्रेजों ने भरतपुर पर आक्रमण किया।
1826 ई.भरतपुर गढ़ पर अंग्रेजों का कब्जा।
1828 ई.मारवाड़ में अव्यवस्था बताकर लार्ड विलियम बैंटिंक ने महाराजा मानसिंह को राजगद्दी से हटाया।
4 दिसंबर, 1828लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा बंद की।
1832 ई.अजमेर में राजपूताना रेजीडेन्सी कायम।
1834 ई.5 अप्रैल, जैसलमेर व बीकानेर की सेनाओं के बीच बासवाणी की लड़ाई हुई।
1835 ई.जोधपुर लीजियन का गठन।
1837 ई.एरिनपुरा छावनी (सिरोही) स्थापित की गई।
1838 ई.अंग्रेजी सरकार द्वारा जालिम सिंह (कोटा) के वंशज मदन सिंह को 17 परगने देकर झालावाड़ की स्थापना की गई।
1839 ई.अजमेर कमिश्नर सदरलैण्ड ने अंग्रेजी सेना लेकर जोधपुर दुर्ग पर कब्जा किया।
1841 ई.मेवाड़ भील कोर की स्थापना।
1842 ई.अलवर व भरतपुर राज्यों में अंग्रेजी शिक्षा की पहली स्कूल स्थापित।
1844 ई.जयपुर, जोधपुर, उदयपुर राज्यों में कन्या वध गैर कानूनी घोषित।
1845 ई.एजीजी का कार्यालय अजमेर से आबू लाया गया।
1847 ई.जयपुर राज्य में बच्चों को बेचने को अवैध घोषित किया गया।
1848 ई.अजमेर नगर की पहली बार जनगणना।
1853 ई.उदयपुर में डाकन प्रथा गैर-कानूनी घोषित।
1854 ई.सिरोही के राव शिव सिंह ने अपने राज्य का प्रबंध और अच्छी तरह चलाने के लिए अंग्रेजों को सौंपा।
1856 ई.जयपुर में रामनिवास बाग की नींव रखी गई।
1857 ई.भारत में सिपाही विद्रोह मेरठ से प्रारंभ।
21 मईएरिनपुरा में सैनिक विद्रोह।
28 मईनसीराबाद छावनी में सेना की दो टुकड़ियों ने सशस्त्र विद्रोह किया।
31 मईभरतपुर की सेना ने होड़ल में विद्रोह किया।
3 जूननीमच छावनी नष्ट कर विद्रोही सैनिक निम्बाहेड़ा पहुँच वे उस पर कब्जा किया।
11 जुलाईनीमच तथा नसीराबाद के विद्रोही सैनिकों ने अछनेरा में अलवर राज्य की सेना पर आक्रमण किया।
8 सितम्बरबिठुड़ा/बिथोड़ा (आऊवा) के निकट जोधपुर की सेना तथा आऊवा के कुशाल सिंह के मध्य युद्ध।
18 सितम्बरएजीजी लॉरेन्स का आऊवा पर आक्रमण।
15 अक्टूबरकोटा राज्य की सेना ने मेहताब खां के नेतृतव में अंग्रेजी रेजीडेन्सी पर आक्रमण कर दिया।
1858 ई.बम्बई से आई अंग्रेजी सेना ने विद्रोहियों को हरा कर कोटा पर कब्जा कर लिया।
23 दिसम्बरतात्यां टोपे के सैनिकों का प्रतापगढ़ में अंग्रेजी सेना से सामना हुआ।
30 जनवरीकैप्टन होम्स तथा जोधपुर सेना की संयुक्त सेना द्वारा आऊवा पर आक्रमण।
14 जनवरी, 1859ब्रिगेडीयर शावर्स जयपुर और भरतपुर के बीच देवसां मे तात्यां और फिरोजशाह की सेना के बीच लड़ाई।
21 जनवरी, 1859कर्नल होम्स ने सीकर में तात्यां की सेना को पराजित किया।
1860 ई.झालावाड़ नरेश पृथ्वी सिंह ने झालरापाटन के पास नवलखां दुर्ग की नींव रखी।
1861 ई.बीकानेर नरेश को सिपाही विद्रोह के वक्त की सेवा के उपलक्ष्य में सिरसा जिले के टी. बी. परगने के 41 गाँव मिले।
1861 ई.निम्बाहेड़ा परगना, उदयपुर से वापस लिया जाकर टोंक के नवाब को दिया गया।
1862 ई.मार्च 1862 राजस्थान के समस्त नरेशों को सिवाय टोंक के नवाब के गोद लेने का अधिकार अंग्रेजी सरकार से मिला।
1863 ई.बूंदी में अंग्रेजी स्कूल खुला।
1864 ई.आऊवा के कुशाल सिंह, आजादी की अलख जगाने वाले सूरमा का उदयपुर में स्वर्गवास हुआ।
1865 ई.उदयपुर में अंग्रेजी भाषा की शिक्षा दी जाने लगी।
1867 ई.टोंक का नवाब राजगद्दी से हटाया गया।
1867 ई.जोधपुर में प्रथम अंग्रेजी स्कूल खुला।
1868 ई.7 अगस्त, जयपुर नरेश एवं अंग्रेजों के बीच सांभर नमक समझौता।
फरवरी 1870जयपुर तथा जोधपुर नरेशों ने सांभर झील अंग्रेजों को सौंपी।
1872 ई.बीकानेर में पहला सरकारी स्कूल खुला।
1873 ई.जयपुर में FA तक शिक्षा देते हुए महाराजा कॉलेज स्थापित।
अप्रैल, 1874स्वामी दयानंद सरस्वती की सत्यार्थ प्रकाश ग्रन्थ की रचना।
21 अक्टू., 1875मेयो कॉलेज प्रारंभ।
10 अप्रैल, 1875आर्य समाज की मुम्बई में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापना।
1879 ई.जोधपुर-अंग्रेजों के बीच डीडवाना, पचपदरा, फलौदी नमक संधि।
1883 ई.आर्य समाज की परोपकारिणी सभा का पुनर्गठन कर उदयपुर में पंजीयन हुआ।
अगस्त 12,दयानन्द सरस्वती जोधपुर पहुँचे।
सितम्बर, 29,स्वामी दयानन्द को जोधपुर में जहर दिया गया।
अक्टूबर, 16दयानन्द जोधपुर से आबू रवाना।
अक्टूबर 30अजमेर में दयानन्द की मृत्यु।
दिसम्बर 28अजमेर में स्वामी दयानन्द की परोपकारिणी सभा का प्रथम अधिवेशन हुआ।
1887 ई.जोधपुर में महिला स्कूल स्थापित हुआ।
1888 ई.राजपूताने के एजीजी कर्नल वाल्टर की अध्यक्षता में वाल्टर राजपूत हितकारिणी सभा अजमेर में स्थापित की गई।
1889 ई.जोधपुर राज्य में सरदार रिसाला (घुड़सवार सेना) संगठित की गयी।
1890 ई.भीलवाड़ा में कपास और ऊन ओटने का कारखाना स्थापित हुआ।
1891 ई.खेतड़ी का अजीत सिंह आबू में विवेकानन्द से मिला।
1895 ई.अजमेर में पहला साप्ताहिक राजपूताना टाइम्स चालू किया।
1897 ई.बिजौलिया किसान आंदोलन प्रारंभ।
1900 ई.सर प्रताप सिंह जोधपुर रिसाला लेकर चीन युद्ध के लिए रवाना।
1 जनवरी 1903दिल्ली दरबार में राजस्थान के कई नरेश सम्मिलित हुए।
1905 ई.बंगाल विभाजन। सम्पूर्ण भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर से राजस्थान भी प्रभावित।
1908 ई.अजमेर में राजपूताना संग्रहालय स्थापित।
1911जोधपुर राज्य में सोमवार के स्थान पर इतवार की साप्ताहिक छुट्टी की घोषणा।
12 दिसम्बर,1911दिल्ली दरबार, आयोजित राजधानी कलकत्ता बनायी गई।
1912जोधपुर में चीफ कोर्ट की स्थापना।
23 दिसम्बर,1912दिल्ली में वायसराय हार्डिंग पर चाँदनी चौक में बम फेंका गया।
1913 ई.बाँसवाड़ा में शासन द्वारा आक्रांत किये जाने पर भील आंदोलन का प्रारंभ।
1915जोधपुर में मरुधरा हितकारिणी सभा स्थापित।
21 फरवरी, 1915राव गोपाल सिंह तथा विजय सिंह पथिक द्वारा खरवा के निकट सशस्त्र क्रांति की तिथि निश्चित की गई।
1916 ई.बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व विजयसिंह पथिक ने संभाला।
1918 ई.झालावाड़ नरेश को वंशानुगत महाराज राणा की पदवी भारत सरकार द्वारा।
1920 ई.जोधपुर में मारवाड़ सेवा संघ का भँवरलाल सर्राफ की अध्यक्षता में गठन हुआ।
1921 ई.जमना लाल बजाज ने राव बहादुर की पदवी त्यागी।
1922 ई.सिरोही राज्य की रोहिड़ा तहसील में मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में भील व रासिया आंदोलन हुआ।
1923 ई.विजय सिंह पथिक गिरफ्तार।
1924 ई.मरुधर मित्र हितकारिणी सभा का नाम बदलकर मारवाड़ हितकारिणी सभा किया गया।
1925 ई.जोधपुर के इतिहासकार जगदीश सिंह गहलोत ने पहली बार राजस्थान की भाषा राजस्थानी घोषित करने की माँग की।
1926 ई.गंगनहर का उद्घाटन वायसराय इरविन द्वारा किया गया।
1927 ई.1927 दिसम्बर, 17, बम्बई में अखिल भारतीय देशी राज्य परिषद् का प्रथम अधिवेशन हुआ।
1928 ई.राजस्थान में पहली महिला डॉक्टर पार्वती गहलोत।
1929 ई.मोतीलाल तेजावत गिरफ्तार।
1930 ई.जोधपुर में पहली बार दुर्गादास जयंती चाँदमल सारदा के सभापतित्व में मनाई गई।
1931 ई.बिजौलिया किसान आंदोलन अंतिम चरण में।
1933 ई.झालावाड़ नरेश ने मंदिरों में अछूतों को दर्शन करने की छूट दी।
1934 ई.मारवाड़ प्रजामण्डल स्थापित।
1935 ई.लोहारू के सिंहानी तथा आसपास के अन्य गाँवों में भीषण गोलीकाण्ड व नृशंस हत्याकाण्ड।
1936 ई.जोधपुर में संग्रहालय तथा पुस्तकालय के नए भवन का उद्घाटन।
1937 ई.अप्रैल, भारतीय शासन अधिनियम 1935 का प्रांतीय भाग लागू किया गया।
1938 ई.जयपुर सरकार द्वारा जमनालाल बजाज को गिरफ्तार किया गया।
1939 ई.15-16 फरवरी, अखिल भारतीय प्रजामण्डल का छठा अधिवेशन में चर्चा।
1941 ई.टोंक में मजलिसे आम का उद्घाटन।
1942 ई.जमनालाल बजाज की मृत्यु।
1943 ई.बीकानेर नरेश गंगासिंह का देहान्त।
1944 ई.जोधपुर महाराज ने जोधपुर संविधान अधिनियम बनाया।
1945 ई.जोधपुर महाराज ने जोधपुर संविधान अधिनियम बनाया।
1946 ई.जैसलमेर जेल में सागरमल गोपा को पेट्रोल से जलाकर मार डाला।
26 नवम्बर, 1946झालावाड़ प्रजामण्डल की स्थापना।
1947 ई.राजपूताना विश्वविद्यालय की स्थापना।
13 मार्च, 1947डीडवाना के डाबडा गाँव में किसान सम्मेलन हुआ।
1 अप्रैल, 1947जोधपुर राज्य का नया संविधान लागू।
1947 ई.मेवाड़ संविधान बना, जिसके अन्तर्गत विधानसभा गठित होनी थी।
1948 ई.सिरोही को गुजरात राज्य ऐजेन्सी का भाग बना दिया गया।
4 अप्रैल, 1948संयुक्त राजस्थान में उदयपुर सम्मिलित हुआ।
8 नवम्बर 1948सिरोही को केन्द्रीय प्रशासन के अन्तर्गत लिया गया।
1949 ई.आबू पर केन्द्रीय सरकार के आदेश से बम्बई सरकार का शासन स्थापित हुआ।
14 जनवरी, 1949जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर रियासतों के राजस्थान में विलय की घोषणा।
30 मार्च, 1949जयपुर, जोधपुर बीकानेर, जैसलमेर राज्य वृहत राजस्थान सम्मिलित।
7 अप्रैल 1949राजस्थान प्रशासन अध्यादेश बनाया जाकर लागू किया गया।
15 मई, 1949मत्स्य संघ राज्य में सम्मिलित।
22 दिसंबर 1949राजस्थान लोकसेवा आयोग कानून लागू किया गया।
1950 ई.अजमेर भारत में विलीन हुआ।
1951 ई.हीरालाल शास्त्री ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा।
29 मार्च 1952160 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा का उद्घाटन।
1 अप्रैल, 1955आकाशवाणी जयपुर प्रसारण प्रारंभ।
28 जनवरी 1958राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर में स्थापित।
1958 ई.राजस्थान की सब जागीरों का पुनर्ग्रहण किया गया।

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