मौर्य साम्राज्य का उदय
Table of Contents
- मगध की ताकत के साथ मौर्य साम्राज्य ने जन्म लिया।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने इसकी नींव रखी, जिनका साम्राज्य पश्चिम में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान तक फैला।
मौर्यकालीन इतिहास के स्रोत
- साहित्यिक स्रोत:
- चाणक्य का अर्थशास्त्र: राज्य प्रबंधन का खज़ाना।
- क्षेमेंद्र की वृहत्कथा मंजरी: मौर्य काल की कहानियाँ।
- कल्हण की राजतरंगिणी: राजाओं का इतिहास।
- विशाखदत्त का मुद्राराक्षस: चाणक्य और चंद्रगुप्त की कहानी।
- सोमदेव का कथासरित्सागर: मौर्यकाल की झलक।
- धार्मिक स्रोत:
- पुराण: मौर्यकाल की जानकारी।
- बौद्ध ग्रंथ:
- जातक, दीर्घनिकाय, दीपवंश, महावंश, वंशथपकासिनी, दिव्यावदान।
- जैन ग्रंथ:
- भद्रबाहु का कल्पसूत्र, हेमचंद्र का परिशिष्टपर्वन।
- पुरातात्विक स्रोत:
- अशोक के शिलालेख: वृहत्, लघु, स्तंभ लेख, गुहा लेख।
- रुद्रदामन का जूनागढ़ (गिरनार) अभिलेख: मौर्यकाल की जानकारियाँ।
अर्थशास्त्र
- लेखक: कौटिल्य (चाणक्य), चौथी शताब्दी ई.पू.।
- विवरण:
- संस्कृत ग्रंथ, जो राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय, और राजनीति को कवर करता है।
- अपने तरह का सबसे पुराना राज्य-प्रबंधन ग्रंथ।
- शैली: उपदेशात्मक और सलाहात्मक।
- 15 अधिकरणों (भागों) में बँटा, “राजनीति” से प्रेरित।
सप्तांग सिद्धांत
- राज्य को चलाने के लिए सात अंग बताए गए:
- स्वामी (राजा)
- अमात्य (मंत्री)
- जनपद (प्रजा और क्षेत्र)
- दुर्ग (किला)
- कोष (खज़ाना)
- दंड (सेना)
- मित्र (सहयोगी)
इण्डिका
- लेखक: मेगस्थनीज, यूनानी राजदूत।
- सेल्यूकस निकेटर ने चंद्रगुप्त के दरबार में भेजा (305–298 ई.पू.)।
- इससे पहले आरकोसिया में सेल्यूकस का दूत था।
- विवरण:
- मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र में समय बिताया और अपने अनुभव इण्डिका में लिखे।
- मूल ग्रंथ खो गया, लेकिन इसके अंश एरियन, स्ट्रेबो, प्लिनी जैसे यूनानी-रोमन लेखकों की रचनाओं में मिलते हैं।
- पाटलिपुत्र को “पोलीब्रोथा” कहा, सबसे बड़ा शहर बताया।
- मौर्य प्रशासन: 6 समितियाँ, प्रत्येक में 5 सदस्य।
- भारतीय समाज को 7 जातियों में बाँटा:
- दार्शनिक
- कृषक
- शिकारी/पशुपालक
- व्यापारी/शिल्पी
- योद्धा
- निरीक्षक
- मंत्री
मुद्राराक्षस
- लेखक: विशाखदत्त, चौथी शताब्दी।
- विवरण:
- संस्कृत का ऐतिहासिक नाटक, नायिका-विहीन।
- चंद्रगुप्त को “वृषल” कहा गया।
- चाणक्य की राजनीतिक चालों और चंद्रगुप्त की सफलता का ज़बरदस्त विश्लेषण।
राजतरंगिणी
- लेखक: कल्हण।
- विवरण:
- संस्कृत ग्रंथ, मतलब “राजाओं की नदी” या “राजाओं का इतिहास”।
- काव्य शैली में लिखा, मौर्यकाल की कुछ झलकियाँ देता है।
मौर्य वंश के प्रमुख शासक
- चंद्रगुप्त मौर्य (322–298 ई.पू.):
- मौर्य साम्राज्य का संस्थापक।
- नंद वंश का अंत किया, चाणक्य की मदद से।
- सेल्यूकस निकेटर को हराया, अफगानिस्तान-बलूचिस्तान तक साम्राज्य फैलाया।
- बिंदुसार (298–272 ई.पू.):
- चंद्रगुप्त का बेटा।
- “अमित्रघात” (दुश्मनों का नाश करने वाला) कहलाया।
- दक्षिण भारत में विस्तार।
- अशोक (268–232 ई.पू.):
- बिंदुसार का बेटा, मौर्य साम्राज्य का सबसे मशहूर राजा।
- कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया।
- शिलालेखों और अहिंसा-धर्म प्रचार के लिए जाना जाता है।
- दशरथ (232–224 ई.पू.):
- अशोक का पोता।
- अजिवक संप्रदाय को समर्थन, गुफाएँ दान कीं।
- सम्प्रति (224–215 ई.पू.):
- दशरथ का भाई या बेटा।
- जैन धर्म का प्रचारक, साम्राज्य को मज़बूत किया।
- शालिशुक (215–202 ई.पू.):
- कमज़ोर शासक, साम्राज्य का पतन शुरू।
- देववर्मन (202–195 ई.पू.):
- अल्पकालिक शासन, साम्राज्य और कमज़ोर हुआ।
- शतधन्वन (195–187 ई.पू.):
- साम्राज्य का अंतिम चरण, विद्रोह बढ़े।
- बृहद्रथ (187–180 ई.पू.):
- मौर्य वंश का आखिरी राजा।
- सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने हत्या कर शुंग वंश शुरू किया।