नागौर जिले का संपूर्ण विवरण
नागौर जिला राजस्थान के मध्य-पश्चिम भाग में स्थित है और यह “राजस्थान का हृदय स्थल” माना जाता है। यह जिला नागौर के किले, सूफी संतों, पशु मेले और नमक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। नागौर का रामदेवरा मेला, खींवसर का किला और मकराना का संगमरमर यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
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भौगोलिक स्थिति
- देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 26.25° N, 73.75° E
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 17,718 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर में बीकानेर और चूरू जिले
- दक्षिण में अजमेर और पाली जिले
- पूर्व में जयपुर और सीकर जिले
- पश्चिम में जोधपुर जिला
- जलवायु:
- गर्मियों में तापमान 48°C तक और सर्दियों में 3°C तक गिर सकता है।
- भूभाग:
- रेगिस्तानी और अर्ध-शुष्क क्षेत्र।
प्रशासनिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- संभाग: अजमेर
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- स्वतंत्रता पूर्व जोधपुर रियासत का हिस्सा
- चौहान वंश के वासुदेव की प्रारंभिक राजधानी अहिछत्रपुर
- 1570 ई. में अकबर ने नागौर में दरबार लगाया, जहाँ मारवाड़ के शासकों ने उनकी अधीनता स्वीकार की
- उपनाम:
- अहिछत्रपुर (प्राचीन नाम)
- औजारों की नगरी (हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध)
- राजस्थान की धातु नगरी (टंगस्टन खनन)
- शुभंकर: राजहंस
- राष्ट्रीय राजमार्ग: NH-62, NH-58, NH-158, NH-458
भौगोलिक विशेषताएँ
- प्रमुख नदियाँ:
- लूनी
- सूकड़ी
- प्रमुख तालाब: लाखोलाव तालाब (नागौर)
प्रमुख ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल
किले एवं दुर्ग:
- नागौर दुर्ग:
- राजपूत-मुगल शैली में निर्मित
- ऐतिहासिक महत्व का केंद्र
- खींवसर का किला:
- जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी ने यहाँ चातुर्मास बिताया
- औरंगजेब का ठहराव स्थल
धार्मिक स्थल:
- पीपासर:
- लोकदेवता जांभोजी का जन्मस्थान (बिश्नोई समाज के 29 नियमों का पालन)
- खरनाल:
- तेजाजी का जन्मस्थान
- दधिमति माता मंदिर (गोठ मांगलोद):
- 7वीं-9वीं शताब्दी में प्रतिहार कालीन शैली में निर्मित
- चारभुजानाथ मंदिर (मेड़ता):
- राव दूदा द्वारा स्थापित, मीराबाई की आदमकद प्रतिमा सहित संतों की मूर्तियाँ
- सुल्तानतारकीन की दरगाह:
- अजमेर के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा उर्स
सांस्कृतिक स्थल:
- मीरा महोत्सव (मेड़ता-नागौर):
- मीराबाई के जीवन और भक्ति पर आधारित
- रोटू:
- जांभोजी का सत्संग स्थल
आर्थिक एवं औद्योगिक महत्व
- खनन:
- डेगाना: भारत की सबसे बड़ी टंगस्टन खनन परियोजना
- सीमेंट उद्योग:
- गोटन: राज्य का पहला सफेद सीमेंट कारखाना (1984)
- कृषि:
- कसूरी मैथी के उत्पादन में अग्रणी
- जीरा मंडी (मेड़ता)
- पशुपालन:
- बाजावास गाँव: नागौरी बैलों के लिए प्रसिद्ध
- वरूण गाँव: बकरियों के लिए जाना जाता है
सामाजिक एवं राजनीतिक योगदान
- पंचायती राज की शुरुआत:
- 2 अक्टूबर 1959 को बगदरी (नागौर) में पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया
- राजस्थान भारत का पहला राज्य जहाँ पंचायतीराज लागू हुआ
- प्रमुख व्यक्तित्व:
- लिखमाराम चौधरी: राज्य के पहले जिला प्रमुख
- शंभुदयाल सिंह हवलदार: राजस्थान के पहले अशोक चक्र विजेता
पर्यटन एवं संस्कृति
- मेले:
- श्री बलदेव पशु मेला (मेड़ता)
- रामदेव पशु मेला (मानासर)
- नाथुराम मिर्धा पशु मेला (मेड़ता)
- हस्तशिल्प:
- हथौड़े, औजार, कृषि उपकरण निर्माण में विशेषज्ञता
- पैनोरमा:
- वीर अमरसिंह राठौड़ पैनोरमा
- तेजाजी पैनोरमा (खरनाल)
- गुरु जम्भेश्वर जी पैनोरमा
वन्यजीव एवं संरक्षण
- रोटू संरक्षण क्षेत्र (2012):
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे छोटा संरक्षित क्षेत्र
- गोगेलाव संरक्षण (2012):
- पारिस्थितिकी संतुलन हेतु महत्वपूर्ण
नागौर जिला अपनी ऐतिहासिक विरासत, धार्मिक विविधता और आर्थिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का नागौर दुर्ग, पीपासर (जांभोजी का स्थल) और डेगाना की टंगस्टन खदान इसकी विशिष्ट पहचान हैं। पंचायती राज की जन्मस्थली होने का गौरव और कसूरी मैथी जैसी कृषि उपज इसे राजस्थान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है। साथ ही, मीराबाई और तेजाजी से जुड़ी सांस्कृतिक धरोहर इसे आध्यात्मिक दृष्टि से भी समृद्ध बनाती है।