भारत में प्राकृतिक वनस्पति 🌳 जलवायु और उच्चावच के आधार पर विविध है। उष्ण कटिबंधीय, मानसूनी, मरुस्थलीय, और ज्वारीय वनस्पति के साथ ISFR 2023 की जानकारी यहाँ पाएँ।
Table of Contents
परिचय: भारत में प्राकृतिक वनस्पति की विविधता 🌍
भारत में जलवायु की विविधता के कारण विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति विकसित हुई है। 🌿 यह वनस्पति मुख्य रूप से वर्षा के अनुसरण में विकसित होती है, और हिमालय जैसे क्षेत्रों में ऊँचाई और तापमान का भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
- प्रमुख प्रभाव:
- जलवायु: वर्षा और तापमान। 🌧️
- उच्चावच: भू-आकृति और ढाल। 🏔️
- विशेषता: भारत की प्राकृतिक वनस्पति जलवायु और भौगोलिक विविधता का अनूठा संगम है। 🚀
आइए, भारत में प्राकृतिक वनस्पति के विभिन्न प्रकारों और उनकी विशेषताओं को विस्तार से जानें! 🌳
भारत में प्राकृतिक वनस्पति के प्रकार 📊
भारत की प्राकृतिक वनस्पति को निम्नलिखित पाँच प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जाता है:
1. उष्ण कटिबंधीय सदाहरित वनस्पति 🌴
- वर्षा: 200 सेमी से अधिक।
- वितरण:
- उत्तर-पूर्वी भारत।
- पश्चिमी घाट का पश्चिमी ढाल।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह। 🏝️
- विशेषताएँ:
- सघन और सदाहरित: अधिक वर्षा के कारण वृक्ष हमेशा हरे-भरे। 🌿
- विविधता: लताएँ, गुल्म, झाड़ियाँ, और जंतुओं की प्रचुरता। 🦜
- दुर्गमता: सघनता के कारण प्रवेश कठिन।
- आर्थिक महत्व: कठोर लकड़ी (रबड़, महोगनी, आबनूस, लौह-काष्ठ) के कारण सीमित।
- वृक्ष: रबड़, महोगनी, आबनूस, ताड़, बाँस, बेंत, सिनकोना। 🌱
- चुनौतियाँ:
- सघन वन।
- मिश्रित वृक्ष।
- परिवहन सुविधा का अभाव। 🚚
2. उष्ण कटिबंधीय आर्द्र मानसूनी वनस्पति 🍂
- वर्षा: 100–200 सेमी।
- नाम: पतझड़ वन।
- वितरण:
- पश्चिमी घाट का पूर्वी ढाल।
- हिमालय की तराई।
- बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु। 🌄
- विशेषताएँ:
- पतझड़: शुष्क गर्मी में नमी संरक्षण के लिए पत्तियाँ गिरती हैं। 🍃
- वृक्ष: सागवान, साल, चंदन, शहतूत, महुआ, आँवला, जामुन, कुसुम, शीशम, सबई घास। 🌳
3. उष्ण कटिबंधीय शुष्क मानसूनी वनस्पति 🌵
- वर्षा: 70–100 सेमी।
- वितरण:
- पूर्वी राजस्थान, उत्तरी गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश।
- दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश, दक्षिणी पंजाब, हरियाणा।
- पश्चिमी घाट का वृष्टि छाया क्षेत्र। 🌄
- विशेषताएँ:
- वृक्ष: महुआ, बबूल, पलाश, तेंदू, खैर, कीकर, बेर, बरगद, पीपल। 🌳
- विशेष: मध्य प्रदेश में तेंदू के वृक्ष सर्वाधिक।
4. मरुस्थलीय और अर्ध-मरुस्थलीय वनस्पति 🏜️
- वर्षा: 50 सेमी से कम।
- वितरण:
- पश्चिमी राजस्थान, उत्तरी गुजरात।
- पश्चिमी घाट का वृष्टि छाया क्षेत्र।
- विशेषताएँ:
- जड़ें: लंबी, पानी की खोज के लिए।
- पत्तियाँ: मोटी और कँटीली, नमी संरक्षण के लिए। 🌵
- वृक्ष: खेजड़ी, खजूर, नागफनी, बबूल।
5. ज्वारीय वनस्पति (मैंग्रोव) 🌊
- वितरण:
- गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा।
- महानदी, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी के डेल्टाई क्षेत्र।
- पूर्वी और पश्चिमी तट। 🏖️
- विशेषताएँ:
- मिट्टी: दलदली।
- जड़ें: जटा जैसी, तना ऊपर उठाए रखती हैं।
- वृक्ष: नारियल, ताड़, बेंत, बाँस, सुंदरी, सोनेरीटा, फोनिक्स। 🌴
- विशेष:
- गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा को सुंदरवन कहा जाता है (सुंदरी वृक्षों की अधिकता)।
- तमिलनाडु: ताड़ की प्रधानता।
- केरल: नारियल की प्रधानता।
भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023: मुख्य बिंदु 📈
भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) 2023 को 21 दिसंबर, 2024 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जारी किया। 🌿 यह भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा तैयार 18वीं द्विवार्षिक रिपोर्ट है, जो सुदूर संवेदन उपग्रह डेटा और राष्ट्रीय वन इन्वेंट्री पर आधारित है।
ISFR 2023 की प्रमुख बातें 🌟
- कुल वन और वृक्ष आवरण:
- 8,27,357 वर्ग किमी (देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17%)。
- वन आवरण: 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%)。
- वृक्ष आवरण: 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%)。 🌳
- वृद्धि (2021 की तुलना में):
- कुल वन और वृक्ष आवरण में 1,445.81 वर्ग किमी की वृद्धि।
- वन आवरण: +156.41 वर्ग किमी।
- वृक्ष आवरण: +1,289 वर्ग किमी। 📈
- कुल वन और वृक्ष आवरण में 1,445.81 वर्ग किमी की वृद्धि।
- वन और वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि वाले राज्य:
- छत्तीसगढ़: 684.62 वर्ग किमी।
- उत्तर प्रदेश: 559.19 वर्ग किमी।
- ओडिशा: 558.87 वर्ग किमी।
- राजस्थान: 394 वर्ग किमी। 🌱
- वन और वृक्ष आवरण में अधिकतम कमी वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश:
- मध्य प्रदेश: -612 वर्ग किमी।
- कर्नाटक: -459 वर्ग किमी।
- लद्दाख: -159 वर्ग किमी।
- नागालैंड: -125 वर्ग किमी। 😓
- वन आवरण में अधिकतम वृद्धि वाले राज्य:
- मिजोरम: +242 वर्ग किमी।
- गुजरात: +180 वर्ग किमी।
- ओडिशा: +152 वर्ग किमी। 🌳
- वन आवरण में अधिकतम कमी वाले राज्य:
- मध्य प्रदेश: -371.54 वर्ग किमी।
- आंध्र प्रदेश: -138.66 वर्ग किमी।
- तेलंगाना: -100.42 वर्ग किमी।
- त्रिपुरा: -95.31 वर्ग किमी।
- अरुणाचल प्रदेश: -91.17 वर्ग किमी।
- सर्वाधिक वन और वृक्ष आवरण वाले राज्य (क्षेत्रफल):
- मध्य प्रदेश: 85,724 वर्ग किमी।
- अरुणाचल प्रदेश: 67,083 वर्ग किमी।
- महाराष्ट्र: 65,383 वर्ग किमी। 🌄
- सर्वाधिक वन आवरण वाले राज्य (क्षेत्रफल):
- मध्य प्रदेश: 77,073 वर्ग किमी।
- अरुणाचल प्रदेश: 65,882 वर्ग किमी।
- छत्तीसगढ़: 55,812 वर्ग किमी।
- वन आवरण का प्रतिशत (भौगोलिक क्षेत्र के सापेक्ष):
- लक्षद्वीप: 91.33%।
- मिजोरम: 85.34%।
- अंडमान और निकोबार: 81.62%। 🏝️
- 75% से अधिक वन आवरण वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश:
- मिजोरम।
- लक्षद्वीप।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह।
- अरुणाचल प्रदेश।
- नागालैंड।
- मेघालय।
- त्रिपुरा।
- मणिपुर। 🌳
- नोट: 19 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में 33% से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आवरण के अंतर्गत।
- बाँस क्षेत्र:
- कुल: 1,54,670 वर्ग किमी।
- 2021 की तुलना में: +5,227 वर्ग किमी। 🌱
- मैंग्रोव (कच्छ) वनस्पति:
- कुल: 4,992 वर्ग किमी (0.15% भौगोलिक क्षेत्र)।
- 2021 की तुलना में: -7.43 वर्ग किमी। 🌊
- कार्बन स्टॉक:
- कुल: 7,285.5 मिलियन टन।
- 2021 की तुलना में: +81.5 मिलियन टन।
- NDC लक्ष्य:
- कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO₂ समतुल्य।
- 2005 की तुलना में 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक।
- 2030 तक लक्ष्य: 2.5–3.0 बिलियन टन। 🌍
निष्कर्ष: भारत की प्राकृतिक वनस्पति का महत्व 🌟
भारत में प्राकृतिक वनस्पति देश की जलवायु और भौगोलिक विविधता का परिणाम है। 🌳 उष्ण कटिबंधीय सदाहरित, मानसूनी, मरुस्थलीय, और ज्वारीय वनस्पति भारत की प्राकृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं। ISFR 2023 के अनुसार, वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि सकारात्मक है, लेकिन कुछ राज्यों में कमी चिंता का विषय है। 😓
वनस्पति संरक्षण से जलवायु परिवर्तन, मृदा अपरदन, और जैव विविधता की रक्षा हो सकती है। 💪 क्या आप भारत में प्राकृतिक वनस्पति या इसके संरक्षण के बारे में और जानना चाहेंगे? अपनी राय कमेंट करें! 💬