राजस्थान की उत्पत्ति और भू-संरचना (Origin of Rajasthan)

By: LM GYAN

On: 23 June 2025

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राजस्थान की उत्पत्ति

राजस्थान की भौगोलिक उत्पत्ति और इसकी जटिल भू-संरचना का निर्माण प्राचीन भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं, विशेष रूप से महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (अल्फ्रेड वेगनर) के तहत हुआ। यह क्षेत्र गौंडवाना लैंड और टेथिस सागर के अवशेषों से बना है, जिसमें अरावली पर्वतमाला, हाड़ौती पठार, पश्चिमी मरुस्थल, और मैदानी क्षेत्र शामिल हैं। नीचे राजस्थान की उत्पत्ति, भू-वैज्ञानिक विकास, और शैल-समूहों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

राजस्थान की उत्पत्ति

महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (अल्फ्रेड वेगनर)

  • पेंजिया: प्राचीन काल में पृथ्वी का एकमात्र संयुक्त महाद्वीप, जिसके चारों ओर जलराशि पेंथालासा थी (प्रशांत महासागर का मूलाधार)।
  • विखंडन:
    • प्री-कैंब्रियन काल में पेंजिया दो भागों में विभक्त:
      • अंगारा लैंड (लॉरेशिया): उत्तरी भाग, राजस्थान की उत्पत्ति में कोई योगदान नहीं।
      • गौंडवाना लैंड: दक्षिणी भाग, राजस्थान का आधार।
    • टेथिस सागर: अंगारा और गौंडवाना लैंड के मध्य भू-सन्नति के रूप में स्थित सागर।
  • राजस्थान का निर्माण:
    • गौंडवाना लैंड: अरावली पर्वतमाला और हाड़ौती पठार।
    • टेथिस सागर: पश्चिमी मरुस्थल और मैदानी क्षेत्र।
  • भौगोलिक संबद्धता:
    • अरावली और हाड़ौती पठार: प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा।
    • पश्चिमी मरुस्थल और मैदानी भाग: उत्तरी विशाल मैदान का हिस्सा।
  • टेथिस सागर के अवशेष:
    • खारी झीलें: सांभर, डीडवाना, पचपदरा।
    • समुद्री खनिज: जिप्सम, लाइमस्टोन, लिग्नाइट कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस।
  • भौगोलिक क्षेत्र:
    • मरु: उत्तर-पश्चिमी मरुस्थल।
    • मेरु: अरावली पर्वतमाला।
    • माल: हाड़ौती पठार।

भू-वैज्ञानिक विकास के महाकल्प

1. आद्य महाकल्प (प्री-कैंब्रियन)

  • प्री-अरावली:
    • विश्व की प्राचीनतम पर्वतमालाएँ: अरावली, आज अवशिष्ट पर्वत के रूप में।
    • विस्तार: उत्तर-पूर्व (दिल्ली के उत्तर) से दक्षिण-पश्चिम (खंभात की खाड़ी)।
    • शैल-समूह:
      • भीलवाड़ा सुपर ग्रुप: बूंदेलखंड नीस, बेड़च घाटी (चित्तौड़-भीलवाड़ा), ग्रेनाइट, हॉर्नब्लेंड, एम्फीबोलाइट, शिस्ट, सिग्मेटाइट, पैग्मेटाइट।
      • विशाल समभिनति: पूर्व में विशाल सीमा-भ्रंश (Great Boundary Fault) के समानांतर, देहली और अरावली समूह की चट्टानें।
  • कैंब्रियन पूर्व:
    • अरावली महासमूह:
      • शैल: फायलाइट्स, ग्रेवेक्स, क्वार्ट्जाइट्स, डोलोमाइट्स, संगुटिकाश्म।
      • विशेष:
        • फायलाइट्स: कार्बन युक्त, डोलोमाइट और क्वार्ट्जाइट्स की पट्टियाँ।
        • डोलोमाइट्स: स्ट्रोमैटोलाइट्स (फॉस्फोराइट भंडार)।
        • ऊपरी भाग: फायलाइट-क्वार्ट्जाइट्स, मोटी वलन।
      • विभाजन: झाड़ोल समूह, उदयपुर समूह।
    • देहली महासमूह:
      • विस्तार: दिल्ली (उत्तर-पूर्व) से गुजरात (दक्षिण-पश्चिम)।
      • क्षेत्र: अजमेर, पश्चिमी मेवाड़ में पर्वत निर्माण।
      • शैल-समूह:
        • रायलो समूह: चूना पत्थर, संगमरमर, क्वार्ट्जाइट्स, संगुटिकाश्म।
        • अलवर समूह: अलवर क्षेत्र में पर्वत, आर्कोज शिस्ट, क्वार्ट्जाइट्स, मेटा-कॉन्ग्लोमेरेट।
        • अजबगढ़ समूह: बायोटाइट शिस्ट, पैग्मेटाइट, एपलाइट (अंतर्वेधी आग्नेय शैल)।

2. पुराजीवी महाकल्प

  • विंध्य महासमूह:
    • विस्तार: पूर्वी राजस्थान (करौली, धौलपुर, निम्बाहेड़ा, सुकेत)।
    • पश्चिमी राजस्थान:
      • नागौर बेसिन: जोधपुर से पोकरण, बीकानेर-गंगानगर, मालानी आग्नेय शैलों पर निच्छेदन।
      • बिरमानिया बेसिन: जैसलमेर के दक्षिण, सममित वलन प्रभावित।
  • पर्मियन-कार्बोनिफेरस:
    • बाप बोल्डर बेड: जोधपुर (बाप क्षेत्र), तालचीर बोल्डर बेड के समकालीन, हिम-वाहित।
    • भादुरा बालुकाश्म: जीवाश्म युक्त, सामुद्रिक, भादुरा के उत्तर-पश्चिम से हरबंस, विभिन्न रंग-आकार।

3. नवजीवी महाकल्प

  • तृतीयक कल्प:
    • शैल: नागौर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर।
    • प्रकार: नरम बालुकाश्म, जीवाश्म युक्त चूना पत्थर, बेंटोनिटिक मृदा, मुल्तानी मिट्टी, लिग्नाइट।
  • चतुर्थक कल्प:
    • शैल: नदियों, नालों, हवा द्वारा निर्मित।
    • प्रकार: हिम-वाहित संगुटिकाश्म, जलोढ़, बालू-रेत।

राजस्थान की भू-संरचना

राजस्थान की भू-संरचना जटिल है, जिसमें विभिन्न शैल-समूहों का विस्तार हुआ। प्रमुख शैल-समूह:

  1. भीलवाड़ा सुपर समूह:
    • शैल: बूंदेलखंड नीस, पट्टित नीस, ग्रेनाइट (विभिन्न रंग)।
    • विशेष: नीस (Gneiss), परिवर्तित शैल, आर्कियन युग, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, दक्षिणी राजस्थान।
  2. अरावली सिस्टम:
    • शैल: कायांतरण शैल, क्वार्ट्जाइट्स, ग्रिट्स, फायलाइट्स, चूना पत्थर, मिश्रित नीस।
    • क्षेत्र: अलवर, अजमेर, उदयपुर (शिस्ट, नीस, चूना पत्थर), सवाई माधोपुर (बलुआ पत्थर)।
  3. देहली सुपर समूह:
    • शैल: रायलो, अलवर, अजबगढ़ समूह, केल्साइट, क्वार्ट्जाइट्स, ग्रिट्स, शिस्ट।
    • विशेष: व्यापक विस्तार, पर्वत निर्माण।
  4. विंध्य श्रेणी:
    • शैल: बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, शैल।
    • क्षेत्र: पश्चिमी राजस्थान, करौली, धौलपुर, निम्बाहेड़ा, सुकेत, बूंदी, सवाई माधोपुर।
  5. मालानी श्रेणी:
    • शैल: रायोलाइटिक लावा, अरावली शिस्ट पर आधारित।
    • क्षेत्र: जालौर ग्रेनाइट, सिवाना, एरिनपुरा ग्रेनाइट।
  6. नेफलीन सायेनाइट:
    • क्षेत्र: किशनगढ़, मदनगंज।
    • विशेष: प्री-अरावली में अंतर्वेधी, पैग्मेटाइट के साथ।
  7. दक्कन ट्रैप:
    • उत्पत्ति: क्रिटेशियस कल्प, ज्वालामुखी उद्गार, क्षैतिज लावा प्रवाह।
    • क्षेत्र: हाड़ौती, मेवाड़ के कुछ भाग।

निष्कर्ष

राजस्थान की उत्पत्ति गौंडवाना लैंड और टेथिस सागर से हुई, जिसमें अरावली पर्वतमाला (विश्व की प्राचीनतम अवशिष्ट पर्वत) और हाड़ौती पठार प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा हैं, जबकि पश्चिमी मरुस्थल और मैदानी भाग उत्तरी विशाल मैदान से संबंधित हैं। प्री-कैंब्रियन से चतुर्थक कल्प तक विभिन्न शैल-समूहों (भीलवाड़ा, अरावली, देहली, विंध्य, मालानी, दक्कन ट्रैप) ने इसकी जटिल भू-संरचना को आकार दिया। विशाल सीमा-भ्रंश और स्ट्रोमैटोलाइट्स जैसे भू-वैज्ञानिक चिह्न इसके प्राचीन इतिहास को दर्शाते हैं।

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