पाली जिले का संपूर्ण विवरण
पाली जिला राजस्थान के पश्चिमी भाग में स्थित है और यह “औद्योगिक नगरी” के रूप में प्रसिद्ध है। यह जिला अपने समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर, मंदिरों, किलों और कपड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है। रणकपुर जैन मंदिर, जवाई बांध और परशुराम महादेव मंदिर यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
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भौगोलिक स्थिति
- देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 25.77° N, 73.33° E
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 12,387 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर में नागौर जिला
- दक्षिण में सिरोही और उदयपुर जिले
- पूर्व में अजमेर और राजसमंद जिले
- पश्चिम में जोधपुर जिला
- जलवायु:
- गर्मियों में तापमान 45°C तक और सर्दियों में 5°C तक गिर सकता है।
- भूभाग:
- अरावली पर्वत श्रृंखला और समतल मैदान।
सामान्य परिचय
- अवस्थिति: पाली जिला राजस्थान के पश्चिमी मरुस्थलीय क्षेत्र में स्थित है।
- जलवायु: अर्द्ध-शुष्क, वार्षिक वर्षा लगभग 50-60 सेमी।
- मिट्टी: रेतीली एवं कंकरीली मिट्टी प्रमुख है।
- नदियाँ:
- बांडी नदी: हेमावास गाँव से उद्गम।
- जवाई नदी: सुमेरपुर में जवाई बाँध बनाया गया है।
- सूकड़ी, मीठड़ी अन्य प्रमुख नदियाँ।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- मारवाड़ की प्रथम राजधानी: राव सीहा (राठौड़ वंश) द्वारा स्थापित।
- मुगलकाल में महत्व: अकबर के समय में पाली मुगल साम्राज्य का हिस्सा बना।
- 1857 की क्रांति:
- आउवा का विद्रोह: ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
- सुगाली माता: विद्रोह की प्रतीक देवी।
धार्मिक स्थल
(क) जैन तीर्थ
- रणकपुर जैन मंदिर:
- निर्माणकर्ता: धरणक शाह (15वीं शताब्दी)।
- वास्तुकार – दैपाक
- विशेषता:
- 1444 खंभों पर आधारित।
- पंचायतन शैली में निर्मित।
- आदिनाथ को समर्पित।
- उपनाम: “खंभों का अजायबघर”।
- फालना स्वर्ण मंदिर:
- भारत का पहला जैन स्वर्ण मंदिर।
- प्रमुख आकर्षण: सोने की परत चढ़ी मूर्तियाँ।
- नाणा जैन मंदिर:
- नेमिनाथ जी को समर्पित।
(ख) हिन्दू मंदिर
- आशापुरा माता मंदिर:
- स्थापना: 1001 ई. में राव लाखणसी चौहान द्वारा।
- ओरण भूमि: मंदिर के आसपास संरक्षित वनक्षेत्र।
- परशुराम महादेव गुफा:
- प्राकृतिक शिवलिंग (“राजस्थान का अमरनाथ”)।
(ग) सूफी दरगाह
- खुदा बख्श की दरगाह (सोजत):
- सूफी संत का मकबरा।
- मस्तान बाबा दरगाह (सुमेरपुर):
- स्थानीय लोगों में अत्यंत श्रद्धेय।
प्रमुख बाँध एवं झीलें
- जवाई बाँध:
- निर्माण: 1946 में एडगर तथा फर्ग्यूसन द्वारा।
- उपनाम: “मारवाड़ का अमृत सरोवर”।
- विशेषता: पाली-जालौर को सिंचाई सुविधा।
- सरदार समंद झील:
- निर्माण: 1933 में महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा।
- चौपड़ा झील:
- पाली शहर के निकट स्थित।
सांस्कृतिक विरासत
- लोकनृत्य:
- तेरहताली: पादरला गाँव की प्रसिद्ध नृत्य शैली।
- गैर नृत्य: होली के अवसर पर किया जाता है।
- हस्तशिल्प:
- सोजत की मेहंदी: GI टैग प्राप्त।
- बैगाड़ी के बर्तन: पीतल एवं तांबे के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध।
आर्थिक गतिविधियाँ
- कृषि:
- मुख्य फसलें: बाजरा, गेहूँ, चना।
- जवाई बाँध से सिंचाई।
- खनिज संपदा:
- वोलेस्टोनाइट: भारत में सर्वाधिक उत्पादन।
- मैग्नेसाइट: सेन्द्रा क्षेत्र से निकाला जाता है।
- उद्योग:
- उम्मेद सूती मिल: राजस्थान की सबसे बड़ी कपड़ा मिल।
- संगमरमर उद्योग: खांदरा गाँव से सतरंगी संगमरमर निकाला जाता है।
पर्यटन स्थल
- बादशाह का झंडा:
- ऐतिहासिक स्मारक।
- राव मालदेव की छतरियाँ (मानी की पहाड़ियाँ):
- मारवाड़ के शासक राव मालदेव की स्मृति में निर्मित।
- सत्याग्रह उद्यान (आउवा):
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का स्मारक।
वन्यजीव एवं पर्यावरण
- जवाई बाँध लेपर्ड कंजर्वेशन रिजर्व:
- तेंदुआ संरक्षण हेतु स्थापित।
- कुम्भलगढ़ अभयारण्य:
- घाणेराव के निकट मूंछाला महावीर मंदिर स्थित है।
शिक्षा एवं स्वास्थ्य
- प्रमुख शिक्षण संस्थान:
- मारवाड़ लोक कल्याण मंडल द्वारा संचालित विद्यालय।
- चिकित्सा सुविधाएँ:
- पाली में जिला अस्पताल एवं ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र।
परिवहन एवं संचार
- सड़क मार्ग:
- NH 62 व NH 14 से जुड़ा हुआ।
- रेलवे स्टेशन:
- पाली मारवाड़ रेलवे स्टेशन जोधपुर-अहमदाबाद रेल लाइन पर स्थित।
पाली जिला अपनी ऐतिहासिक गौरवशाली परंपरा, धार्मिक विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य एवं आर्थिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के जैन मंदिर, ऐतिहासिक किले, लोक संस्कृति एवं खनिज संपदा इसे राजस्थान का एक विशिष्ट जिला बनाते हैं।