पाषाण युग की शुरूआत
- पाषाण युग को तीन हिस्सों में बाँटा गया है: पुरापाषाण, मध्य पाषाण, और नव पाषाण।
- ये वो दौर था जब इंसान ने पत्थरों से औज़ार बनाए और सभ्यता की नींव रखी।
Table of Contents

1. पुरापाषाण काल (Palaeolithic Age)
- ये वो ज़माना था जब इंसान ने पहली बार पत्थर तराशकर औज़ार बनाना शुरू किया।
- धरती उस वक्त बर्फ से ढकी थी। औज़ारों और मौसम के आधार पर इसे तीन हिस्सों में बाँटा गया:
- निम्न पुरापाषाण: 5 लाख ई.पू. से 50,000 ई.पू. तक।
- मध्य पुरापाषाण: 50,000 ई.पू. से 40,000 ई.पू. तक।
- उच्च पुरापाषाण: 40,000 ई.पू. से 10,000 ई.पू. तक।
- भारत में इसके निशान कुरनूल (आंध्र), हुस्गी (कर्नाटक), कुलिआना (ओडिशा), डीडवाना (राजस्थान), और भीमबेटका (म.प्र.) में मिले।
2. मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age)
- ये पुरापाषाण और नव पाषाण के बीच का बदलाव का दौर था।
- समय था 9000 ई.पू. से 4000 ई.पू. तक। औज़ार छोटे और हल्के हो गए।
- इस काल में फलक, पॉइंट, खुरचनी, और बेधक जैसे छोटे पत्थर के औज़ार थे।
- पशुपालन की शुरुआत यहीं से हुई।
- आदमगढ़ (म.प्र.) और बागोर (राजस्थान) से पशुपालन के सबसे पुराने सबूत मिले।
- प्रमुख जगहें: सांभर झील, लंगनाज, सराय नाहर राय, महादाहा, भीमबेटका, और वीरभानपुर।
3. नव पाषाण काल (Neolithic Age)
- इंसान ने आग का इस्तेमाल शुरू किया, जैसे खाना पकाने और जंगल साफ करने में।
- मेहरगढ़ (पाकिस्तान) से स्थायी बस्तियों और खेती के निशान मिले।
- पहिए का आविष्कार इस काल की सबसे बड़ी खोज थी।
- इंसान ने ताँबे को पहली धातु के रूप में इस्तेमाल किया।
- अनाज रखने के लिए मिट्टी के बर्तन बनाए।
- इस काल में इंसान ने तेज़ी से तरक्की की। औज़ार अब पॉलिश किए हुए और चमकदार थे।
- खेती शुरू करके इंसान ने अनाज उगाना सीख लिया और भोजन पकाने लगा।
- खुदाई में खाना पकाने के बर्तन मिले हैं।
- नव पाषाण संस्कृति पहले के मुकाबले ज़्यादा उन्नत थी। इंसान अब खाना खाने वाला ही नहीं, उगाने वाला भी बन गया।
- खेती और पशुपालन में इंसान माहिर हो गया।
आद्य इतिहास
- पाषाण युग के बाद धातु युग शुरू हुआ, जिसे आद्य ऐतिहासिक काल कहते हैं।
- इस दौर में हड़प्पा और वैदिक संस्कृति उभरी।
- दुनिया की चार बड़ी सभ्यताएँ:
- मेसोपोटामिया: दजला और फरात नदियाँ।
- मिस्र: नील नदी।
- भारत: सिन्धु नदी।
- चीन: ह्वांग-हो (पीली नदी)।
पाषाण युग का हिसाब
ज़माना | औज़ारों का जुगाड़ | ज़िंदगी का तरीका | मशहूर ठिकाने |
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पुरापाषाण काल | |||
निम्न पुरापाषाण | कोर औज़ार: हस्तकुठार, क्लीवर, चॉपिंग, गंडासा, बटिकाश्म | शिकार और जंगल से खाना जुटाना | सोहन नदी (पाकिस्तान), सिंगरौली (उ.प्र.), छोटा नागपुर, नर्मदा घाटी |
मध्य पुरापाषाण | फ्लेक औज़ार (लेवालॉइस): बेधक, खुरचनी, वेधनियाँ | शिकार और संग्रहण | नेवासा (महाराष्ट्र), डीडवाना (राजस्थान), भीमबेटका, नर्मदा, पुरुलिया, तुंगभद्रा |
उच्च पुरापाषाण | समांतर ब्लेड, तक्षणी, खुरचनी, हार्पून, कुरनूल से हड्डी के औज़ार | शिकार और संग्रहण | रेनीगुंटा, कुरनूल (आंध्र), शोलापुर, बीजापुर, बेलन घाटी |
मध्य पाषाण काल | माइक्रोलिथ: ब्लेड, अर्धचन्द्राकार, त्रिकोण, नुकीले औज़ार | शिकार, मछली पकड़ना, पशुपालन शुरू | बागोर, सोजत, लंगनाज (गुजरात), अक्खज, बलसाना, भीमबेटका, आदमगढ़, वीरभानपुर, संगनकल्लु |
नव पाषाण काल | चमकदार पॉलिश औज़ार: सेल्ट, कुल्हाड़ी, हस्तकुठार, हड्डी के औज़ार | खेती, पशुपालन, अनाज उगाना | मेहरगढ़, कोटदीजी, बेलन घाटी, बुर्जहोम, गुफ्कराल, आदमगढ़, चिरांद, प्रायद्वीपीय भारत |