पृथ्वी की भूगर्भीय संरचना और भारत का भूवैज्ञानिक इतिहास
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पृथ्वी की आयु और परिवर्तन
- पृथ्वी की आयु लगभग 4.6 अरब वर्ष है।
- इस दौरान अंतर्जात (आंतरिक) और बहिर्जात (बाह्य) बलों के कारण अनेक परिवर्तन हुए हैं।
- पृथ्वी की सतह पर चट्टानों और मिट्टियों में भिन्नता धरातलीय स्वरूप के अनुसार पाई जाती है।
इंडियन प्लेट का खिसकना
- करोड़ों वर्षों के दौरान, इंडियन प्लेट उत्तर दिशा में खिसकती रही है।
- इसके खिसकने की विभिन्न अवस्थाएँ:
- गोंडवाना लैंड से अलग होकर उत्तर की ओर बढ़ना।
- टेथिस सागर के साथ टकराव और हिमालय का निर्माण।
- वर्तमान में भी इंडियन प्लेट का खिसकना जारी है, जिसका भारतीय उपमहाद्वीप के भौतिक पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है।
भारतीय उपमहाद्वीप का निर्माण
- भारतीय उपमहाद्वीप का वर्तमान भौगोलिक स्वरूप गोंडवाना लैंड और अंगारा लैंड के मिलन से बना है।
- गोंडवाना लैंड के खंडित होकर उत्तर की ओर खिसकने के कारण भारत का वर्तमान रूप विकसित हुआ।
- टेथिस सागर के अवसादों से हिमालय पर्वतमाला और उत्तरी मैदानों का निर्माण हुआ।
भारत की भूगर्भीय संरचना
भूगर्भीय संरचना का इतिहास
- भारत की भूगर्भिक संरचना में नवीनतम और प्राचीनतम दोनों प्रकार की चट्टानें पाई जाती हैं।
- चट्टानों की प्रकृति और स्वरूप के आधार पर भारत को तीन भूवैज्ञानिक खंडों में बाँटा गया है:
- प्रायद्वीपीय खंड
- हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वत
- सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान
1. प्रायद्वीपीय खंड
- स्थिति: भारत के दक्षिणी भाग में।
- विशेषताएँ:
- प्राचीन और कठोर चट्टानों से निर्मित।
- मुख्यतः आर्कियन और धारवाड़ क्रम की चट्टानें पाई जाती हैं।
- नर्मदा, तापी, और महानदी की रिफ्ट घाटियाँ इस खंड की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
- अवशिष्ट पहाड़ियाँ जैसे अरावली, नल्लामाला, और महेंद्रगिरि इसी खंड में स्थित हैं।
- पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ (गोदावरी, कृष्णा, महानदी) डेल्टा का निर्माण करती हैं।
2. हिमालय पर्वतमाला
- स्थिति: भारत के उत्तर में।
- विशेषताएँ:
- टेथिस सागर के अवसादों से निर्मित।
- युवा और लचीली संरचना, जो अभी भी भूगर्भीय हलचलों से प्रभावित है।
- गॉर्ज, V-आकार घाटियाँ, और जलप्रपात इसकी युवा अवस्था के प्रमाण हैं।
3. सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान
- स्थिति: उत्तर भारत में।
- विशेषताएँ:
- हिमालय और प्रायद्वीपीय नदियों द्वारा लाए गए अवसादों से निर्मित।
- जलोढ़ मिट्टी से भरपूर, जो कृषि के लिए उपयुक्त है।
- यह भारत का नवीनतम भू-भाग है।
भारत की चट्टानों का वर्गीकरण
1. आर्कियन क्रम की चट्टानें
- विशेषताएँ:
- प्राचीनतम चट्टानें, जो पृथ्वी के ठंडा होने से बनीं।
- नीस और सिस्ट प्रकार की चट्टानें।
- इनमें जीवाश्म नहीं पाए जाते।
- भारत के दो-तिहाई भाग में पाई जाती हैं।
- उदाहरण: बंगाल नीस, बुंदेलखंड, नीलगिरि नीस।
2. धारवाड़ क्रम की चट्टानें
- विशेषताएँ:
- आर्कियन चट्टानों के अपरदन और निक्षेपण से निर्मित।
- धात्विक खनिज (लौह-अयस्क, ताँबा, स्वर्ण) के लिए प्रसिद्ध।
- उदाहरण: कर्नाटक, छोटानागपुर, मेघालय पठार।
3. कुडप्पा क्रम की चट्टानें
- विशेषताएँ:
- धारवाड़ चट्टानों के अपरदन से निर्मित।
- चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, और संगमरमर के लिए प्रसिद्ध।
- उदाहरण: कृष्णा श्रेणी, अन्नामलाई श्रेणी, राजस्थान।
4. विंध्यन क्रम की चट्टानें
- विशेषताएँ:
- परतदार चट्टानें, जो जल निक्षेपों से बनीं।
- बलुआ पत्थर, क्वार्टजाइट, और चूना पत्थर पाए जाते हैं।
- उदाहरण: पन्ना के हीरे, साँची का स्तूप, दिल्ली का लाल किला।
5. गोंडवाना क्रम की चट्टानें
- विशेषताएँ:
- कोयले के लिए प्रसिद्ध (भारत का 90% कोयला इन्हीं चट्टानों में पाया जाता है)।
- उदाहरण: दामोदर घाटी, गोदावरी घाटी, महानदी घाटी।
6. दक्कन ट्रैप
- विशेषताएँ:
- ज्वालामुखी लावा से निर्मित।
- काली मिट्टी (रेगुर) के लिए प्रसिद्ध।
- उदाहरण: महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश।
7. टर्शियरी क्रम की चट्टानें
- विशेषताएँ:
- हिमालय के निर्माण काल की चट्टानें।
- उदाहरण: जम्मू-कश्मीर, असम।
8. नवजीवन संरचना
- विशेषताएँ:
- सिंधु-गंगा के मैदानी भाग में पाई जाती है।
- उदाहरण: थार मरुस्थल, कच्छ का रण।
भारत के भौतिक प्रदेश
- भारत को निम्नलिखित भू-आकृतिक खंडों में बाँटा जा सकता है:
- उत्तर और उत्तर-पूर्वी पर्वतमाला (हिमालय)।
- उत्तरी भारत का मैदान (सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान)।
- प्रायद्वीपीय पठार (दक्षिणी भारत)।
- भारतीय मरुस्थल (थार मरुस्थल)।
- तटीय मैदान (पूर्वी और पश्चिमी तट)।
- द्वीप समूह (अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप)।