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भारत के भौतिक प्रदेश (Physical Department of India) By LM GYAN
Updated on: 17 March 2025
पृथ्वी की भूगर्भीय संरचना और भारत का भूवैज्ञानिक इतिहास पृथ्वी की आयु और परिवर्तन पृथ्वी की आयु लगभग 4.6 अरब वर्ष है। इस दौरान अंतर्जात (आंतरिक) और बहिर्जात (बाह्य) बलों के कारण अनेक परिवर्तन हुए हैं। पृथ्वी की सतह पर चट्टानों और मिट्टियों में भिन्नता धरातलीय स्वरूप के अनुसार पाई जाती है। इंडियन प्लेट का खिसकना करोड़ों वर्षों के दौरान, इंडियन प्लेट उत्तर दिशा में खिसकती रही है। इसके खिसकने की विभिन्न अवस्थाएँ: गोंडवाना लैंड से अलग होकर उत्तर की ओर बढ़ना।टेथिस सागर के साथ टकराव और हिमालय का निर्माण।वर्तमान में भी इंडियन प्लेट का खिसकना जारी है, जिसका भारतीय उपमहाद्वीप के भौतिक पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप का निर्माण भारतीय उपमहाद्वीप का वर्तमान भौगोलिक स्वरूप गोंडवाना लैंड और अंगारा लैंड के मिलन से बना है। गोंडवाना लैंड के खंडित होकर उत्तर की ओर खिसकने के कारण भारत का वर्तमान रूप विकसित हुआ।टेथिस सागर के अवसादों से हिमालय पर्वतमाला और उत्तरी मैदानों का निर्माण हुआ।भारत की भूगर्भीय संरचना भूगर्भीय संरचना का इतिहास भारत की भूगर्भिक संरचना में नवीनतम और प्राचीनतम दोनों प्रकार की चट्टानें पाई जाती हैं। चट्टानों की प्रकृति और स्वरूप के आधार पर भारत को तीन भूवैज्ञानिक खंडों में बाँटा गया है: प्रायद्वीपीय खंड हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वत सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान 1. प्रायद्वीपीय खंड स्थिति : भारत के दक्षिणी भाग में।विशेषताएँ :प्राचीन और कठोर चट्टानों से निर्मित। मुख्यतः आर्कियन और धारवाड़ क्रम की चट्टानें पाई जाती हैं। नर्मदा , तापी , और महानदी की रिफ्ट घाटियाँ इस खंड की प्रमुख विशेषताएँ हैं।अवशिष्ट पहाड़ियाँ जैसे अरावली , नल्लामाला , और महेंद्रगिरि इसी खंड में स्थित हैं। पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ (गोदावरी , कृष्णा , महानदी ) डेल्टा का निर्माण करती हैं। 2. हिमालय पर्वतमाला स्थिति : भारत के उत्तर में।विशेषताएँ :टेथिस सागर के अवसादों से निर्मित।युवा और लचीली संरचना, जो अभी भी भूगर्भीय हलचलों से प्रभावित है। गॉर्ज , V-आकार घाटियाँ , और जलप्रपात इसकी युवा अवस्था के प्रमाण हैं।3. सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान स्थिति : उत्तर भारत में।विशेषताएँ :हिमालय और प्रायद्वीपीय नदियों द्वारा लाए गए अवसादों से निर्मित। जलोढ़ मिट्टी से भरपूर, जो कृषि के लिए उपयुक्त है। यह भारत का नवीनतम भू-भाग है। भारत की चट्टानों का वर्गीकरण 1. आर्कियन क्रम की चट्टानें विशेषताएँ :प्राचीनतम चट्टानें, जो पृथ्वी के ठंडा होने से बनीं। नीस और सिस्ट प्रकार की चट्टानें।इनमें जीवाश्म नहीं पाए जाते। भारत के दो-तिहाई भाग में पाई जाती हैं। उदाहरण: बंगाल नीस , बुंदेलखंड , नीलगिरि नीस । 2. धारवाड़ क्रम की चट्टानें विशेषताएँ :आर्कियन चट्टानों के अपरदन और निक्षेपण से निर्मित। धात्विक खनिज (लौह-अयस्क, ताँबा, स्वर्ण) के लिए प्रसिद्ध। उदाहरण: कर्नाटक , छोटानागपुर , मेघालय पठार । 3. कुडप्पा क्रम की चट्टानें विशेषताएँ :धारवाड़ चट्टानों के अपरदन से निर्मित। चूना पत्थर , बलुआ पत्थर , और संगमरमर के लिए प्रसिद्ध।उदाहरण: कृष्णा श्रेणी , अन्नामलाई श्रेणी , राजस्थान । 4. विंध्यन क्रम की चट्टानें विशेषताएँ :परतदार चट्टानें, जो जल निक्षेपों से बनीं। बलुआ पत्थर , क्वार्टजाइट , और चूना पत्थर पाए जाते हैं।उदाहरण: पन्ना के हीरे , साँची का स्तूप , दिल्ली का लाल किला । 5. गोंडवाना क्रम की चट्टानें विशेषताएँ :कोयले के लिए प्रसिद्ध (भारत का 90% कोयला इन्हीं चट्टानों में पाया जाता है)। उदाहरण: दामोदर घाटी , गोदावरी घाटी , महानदी घाटी । 6. दक्कन ट्रैप विशेषताएँ :ज्वालामुखी लावा से निर्मित। काली मिट्टी (रेगुर) के लिए प्रसिद्ध।उदाहरण: महाराष्ट्र , गुजरात , मध्य प्रदेश । 7. टर्शियरी क्रम की चट्टानें विशेषताएँ :हिमालय के निर्माण काल की चट्टानें। उदाहरण: जम्मू-कश्मीर , असम । 8. नवजीवन संरचना विशेषताएँ :सिंधु-गंगा के मैदानी भाग में पाई जाती है। उदाहरण: थार मरुस्थल , कच्छ का रण । भारत के भौतिक प्रदेश भारत को निम्नलिखित भू-आकृतिक खंडों में बाँटा जा सकता है: उत्तर और उत्तर-पूर्वी पर्वतमाला (हिमालय)।उत्तरी भारत का मैदान (सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान)।प्रायद्वीपीय पठार (दक्षिणी भारत)।भारतीय मरुस्थल (थार मरुस्थल)।तटीय मैदान (पूर्वी और पश्चिमी तट)।द्वीप समूह (अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप)।
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