राजसमंद जिले का संपूर्ण विवरण
राजसमंद जिला राजस्थान के मध्य भाग में स्थित है और यह राजसमंद झील, नाथद्वारा मंदिर और कंकरोली के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ श्वेत संगमरमर (मार्बल) खनन उद्योग बहुत विकसित है।
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भौगोलिक स्थिति
- देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 25.07° N, 73.88° E
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 4,768 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर में भीलवाड़ा जिला
- दक्षिण में उदयपुर जिला
- पूर्व में चित्तौड़गढ़ जिला
- पश्चिम में पाली और अजमेर जिले
- जलवायु:
- गर्मियों में तापमान 40°C तक और सर्दियों में 5°C तक गिर सकता है।
- भूभाग:
- यह जिला अरावली पर्वतमाला के बीच स्थित है।
स्थापना एवं भौगोलिक परिचय
- स्थापना: 10 अप्रैल 1991 को राजस्थान का 30वाँ जिला बना।
- नामकरण: महाराणा राजसिंह द्वारा निर्मित राजसमंद झील के नाम पर।
- आकृति: तिल के समान।
- राष्ट्रीय राजमार्ग: NH-58, NH-148D, NH-162A, NH-458, NH-758।
ऐतिहासिक विरासत
- कुंभलगढ़ किला:
- निर्माण: महाराणा कुंभा द्वारा (1448-1458 ई.), शिल्पी मंडन द्वारा डिजाइन।
- उपनाम: “मेवाड़ की आँख” (कटारगढ़), “मारवाड़ की छाती पर तलवार”।
- विशेषता: 36 किमी लंबा परकोटा (विश्व रिकॉर्ड)।
- ऐतिहासिक महत्व:
- महाराणा प्रताप का जन्मस्थान।
- हल्दीघाटी युद्ध के बाद प्रताप की अस्थायी राजधानी।
- प्रमुख युद्ध:
- हल्दीघाटी युद्ध (1576 ई.): महाराणा प्रताप vs अकबर (“मेवाड़ की थर्मोपोली”)।
- दिवेर युद्ध (1582 ई.): प्रताप की विजय।
- रूपनगढ़ का छापर युद्ध (1858 ई.): तांत्या टोपे vs अंग्रेज।
- राजप्रशस्ति:
- स्थान: राजसमंद झील की नौ चौकी पर।
- विशेषता: संस्कृत की सबसे लंबी प्रशस्ति, रचयिता रणछोड़ भट्ट तेलंग।
प्रमुख धार्मिक स्थल
- नाथद्वारा मंदिर:
- श्रीनाथ जी की बाललीलाओं के चित्र (“पिछवाई कला”)।
- हवेली संगीत की परंपरा।
- चारभुजा मंदिर (गढ़बोर):
- निर्माण: राणा मोकल द्वारा, भगवान विष्णु को समर्पित।
- नीलकंठ महादेव मंदिर (कुंभलगढ़):
- 1458 ई. में निर्मित, सर्वतोभद्र शैली।
- आमजा माता मंदिर (रीछेड़): स्थानीय आदिवासियों की आराध्य देवी।
प्राकृतिक संपदा
- नदियाँ:
- बनास नदी: खमनोर की पहाड़ियों से उद्गम।
- कोठारी नदी: दिवेर की पहाड़ियों से निकलती है।
- झीलें:
- राजसमंद झील (1662 ई.):
- निर्माण: महाराणा राजसिंह द्वारा।
- विशेषता: 25 शिलालेखों पर मेवाड़ का इतिहास उत्कीर्ण।
- मनोहर सागर बाँध: “राजसमंद की जीवन रेखा”।
- वन्यजीव अभयारण्य:
- कुंभलगढ़ अभयारण्य (1971):
- विस्तार: राजसमंद, उदयपुर, पाली।
- वनस्पति: ढाक (जंगल की ज्वाला) के वृक्ष।
सांस्कृतिक विरासत
- मेले:
- गुलाबी गणगौर: चैत्र शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है।
- चेतक पशु मेला (हल्दीघाटी): घोड़ों की प्रदर्शनी।
- कला:
- मोलेला की टेराकोटा कला: पक्की मिट्टी के खिलौने।
- थेवा कला: सोने पर कांच की नक्काशी (प्रतापगढ़ से प्रसिद्ध)।
आर्थिक गतिविधियाँ
- खनिज: सफेद संगमरमर का सर्वाधिक उत्पादन।
- कृषि: गेहूँ, मक्का, सरसों।
- पर्यटन:
- मेडि-टूरिज्म वेलनेस सेंटर (नाथद्वारा)।
- शराब मुक्त ग्राम पंचायत: कचबाली।
प्रमुख स्मारक
- दिवेर विजय स्मारक: 2012 में राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटित।
- पन्ना धाय पैनोरमा (कमेरी): मेवाड़ की त्याग की गाथा।
- चेतक की छतरी (बलीचा): हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति को प्राप्त घोड़े की स्मृति।
अन्य तथ्य
- दक्षिणी अरावली:
- प्रमुख चोटियाँ: कुंभलगढ़ (1224 मीटर), कुकरा की पहाड़ी।
- दर्रे: कामली घाट, हाथीगुढ़ा दर्रा।
- ऐतिहासिक छतरियाँ:
- हाकीम खाँ सूरी, झालाबीदा (हल्दीघाटी)।
राजसमंद जिला अपनी ऐतिहासिक गौरवगाथा, धार्मिक विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के किले, झीलें, मंदिर और वन्यजीव अभयारण्य इसे राजस्थान का एक अनूठा जिला बनाते हैं।