सलूम्बर जिला दर्शन (Salumbar Jila Darshan)

By: LM GYAN

On: 6 April 2025

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सलूम्बर

सलूम्बर जिला – संपूर्ण विवरण

सलूम्बर जिला राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है। यह मुख्य रूप से अपनी आदिवासी संस्कृति, पहाड़ियों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यह पहले उदयपुर जिले का हिस्सा था, लेकिन 2025 में इसे एक नया जिला बनाया गया।

भौगोलिक स्थिति

  • देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 24.42° N, 74.10° E
  • कुल क्षेत्रफल: लगभग 5,700 वर्ग किमी
  • सीमाएँ:
    • उत्तर में उदयपुर जिला
    • दक्षिण में डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले
    • पूर्व में प्रतापगढ़ जिला
    • पश्चिम में राजसमंद जिला
  • जलवायु:
    • यह क्षेत्र मुख्य रूप से पहाड़ी और वन क्षेत्रों से आच्छादित है।
    • ग्रीष्मकाल में तापमान 40°C तक पहुँचता है, जबकि सर्दियों में यह 5°C तक गिर सकता है।
  • भूभाग:
    • यहाँ अरावली पर्वतमाला फैली हुई है।
    • कृषि और वन क्षेत्र का अधिक महत्व है।

मूल जानकारी

  • गठन: उदयपुर जिले को विभाजित करके बनाया गया
  • संभाग: उदयपुर
  • सीमावर्ती जिले: 4 (उदयपुर, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़)
  • उपनाम:
    • “चूड़ावतों की ठिकाना”
    • “सोनारा भील की नगरी”

ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व

1. प्रमुख ऐतिहासिक स्थल

  • सराड़ा किला:
    • “मेवाड़ का काला पानी” कहलाता है
    • ब्रिटिश काल में राजनीतिक कैदियों को रखा जाता था
  • महाराणा प्रताप की छतरी: सराड़ा (सलूम्बर) में स्थित
  • हाड़ी रानी का महल: जयसमंद झील के किनारे
    • हाड़ी रानी (सहल कँवर) रतनसिंह चुन्डावत की पत्नी थीं
  • रूठी रानी का महल: सलूम्बर में स्थित

2. धार्मिक स्थल

  • ईडाणा माता मंदिर: अग्नि वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध
  • लाखड़ श्यामजी मंदिर: 15वीं सदी में महाराणा लाखा द्वारा निर्मित

प्राकृतिक संसाधन एवं पर्यटन

1. जयसमंद झील

  • उपनाम: ढेबर झील
  • निर्माण: महाराणा जयसिंह (1687-91) द्वारा
  • विशेषताएँ:
    • राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील
    • 7 टापू (बाबा का भाखड़ा व पायरी प्रमुख)
    • जयसमंद अभयारण्य: “जलचरों की बस्ती” के रूप में प्रसिद्ध

2. खनिज संपदा

  • जावर माइन्स: सीसा-जस्ता के लिए प्रसिद्ध
  • नाघरा की पाल: लौह अयस्क का भंडार
  • बाबरमाला जंगल: गुलाबी संगमरमर के लिए जाना जाता है

सांस्कृतिक विरासत

1. लसाड़िया पठार एवं आंदोलन

  • स्थान: जयसमंद झील के उत्तर-पूर्व में
  • लसाड़िया आंदोलन: संत मावजी द्वारा चलाया गया

2. चूड़ावत वंश की विरासत

  • सलूम्बर: मेवाड़ रियासत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना
    • चूड़ावत शाही पगड़ी: सलूम्बर की प्रसिद्ध
    • सलूम्बर दुर्ग: चूड़ावतों द्वारा निर्मित

3. ऐतिहासिक युद्ध

  • ऊंटाला का युद्ध (1600 ई.):
    • महाराणा अमरसिंह की सेना में चुण्डावतों और शक्तावतों के बीच संघर्ष

विशेष तथ्य

  • चावण्ड: महाराणा प्रताप की संकटकालीन राजधानी (1585 ई.)
  • बांडोली: महाराणा प्रताप की छतरी स्थित
  • सराड़ा जेल: ब्रिटिश काल में राजनीतिक कैदियों के लिए कुख्यात

संक्षिप्त तालिका: प्रमुख तथ्य

श्रेणीविवरण
प्रसिद्ध झीलजयसमंद (राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम झील)
प्रमुख खनिजसीसा-जस्ता (जावर माइन्स), लौह अयस्क (नाघरा की पाल)
ऐतिहासिक स्थलसराड़ा किला, हाड़ी रानी का महल, चावण्ड (महाराणा प्रताप की राजधानी)
धार्मिक स्थलबेणेश्वर धाम, ईडाणा माता मंदिर, लाखड़ श्यामजी मंदिर
सांस्कृतिक विरासतचूड़ावत वंश, लसाड़िया आंदोलन

निष्कर्ष

सलूम्बर जिला अपनी ऐतिहासिक विरासत (महाराणा प्रताप, चूड़ावत वंश), प्राकृतिक सौंदर्य (जयसमंद झील), और खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर (बेणेश्वर धाम) और वीरगाथाएँ (हाड़ी रानी) इसे राजस्थान का एक विशिष्ट जिला बनाती हैं।

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